चंडीगढ़ : हरियाणा के बासमती चावल (basmati rice) को लेकर इन दिनों भारत और पाकिस्तान में विवाद (Dispute India Pakistan) चल रहा है. दरअसल बासमती चावल की बढ़ती डिमांड को देखते हुए भारत ने बासमती के विशेष ट्रेडमार्क के लिए यूरोपियन यूनियन में अप्लाई किया है. इससे भारत को बासमती के टाइटल का मालिकाना हक मिल जाएगा. लेकिन पाकिस्तान ने भारत के इस कदम पर विरोध जताया है.
पाकिस्तान का दावा
पाकिस्तान का दावा है कि ये हम पर परमाणु बम गिराने जैसा है. पाकिस्तान ने यूरोपीय कमीशन में भारत के प्रोटेक्टेड ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (पीजीआई) हासिल करने के भारत के कदम का विरोध किया. पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने वहां ये सब उपद्रव किया है, ताकि वो किसी तरह हमारे बाजारों में इसे हड़प सके.
भारत का दावा
वहीं भारत का कहना है कि उसने अपने आवेदन में हिमालय की तलहटी में उगाए जाने वाले विशिष्ट चावल के एकमात्र उत्पादक होने का दावा नहीं किया. लेकिन फिर भी पीजीआई का टैग मिलने से उसे ये मान्यता मिल जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, जिससे सालाना आय 6.8 अरब डॉलर है. भारतीय बासमती चावल के टॉप 10 खरीददारों में पांच खाड़ी देश हैं. भारत 25 फीसदी ग्लोबल शेयर के साथ दुनिया का सबसे बड़ा राइस निर्यातक देश है.
बासमती निर्यात में हरियाणा अव्वल
बता दें कि भारत का बासमती चावल अफ्रीका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और ईरान जैसे देशों में निर्यात होता है. भारतीय बासमती चावल के टॉप 10 खरीददारों में पांच खाड़ी देश हैं.
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भारत 25 फीसदी ग्लोबल शेयर के साथ दुनिया का सबसे बड़ा राइस निर्यातक देश है, जिसमें हरियाणा के बासमती चावल की अहम भागीदारी शामिल है. अफ्रीका, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया सहित पड़ोसी देशों में भारतीय चावल खासा पसंद किया जाता है. देश से निर्यात होने वाले बासमती चावल में हरियाणा की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है.