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हर घर तिरंगा आज से, राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए जानें ये अहम बातें

भारत की स्वतंत्रता के 75वें साल पूरे होने पर हर घर तिरंगा अभियान की शुरुआत आज से हो गई है और 15 अगस्त तक यह अभियान चलेगा. ऐसे में भारतीय ध्वज तिरंगा के उपयोग और फहराने से संबंधित भारतीय ध्वज संहिता के तहत नियमों को जानना जरूरी है. तिरंगे फहराने से पहले क्या करें और न करें जानने के लिए पढ़ें ये खबर...

हर घर तिरंगा
हर घर तिरंगा
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Published : Aug 13, 2022, 1:07 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 3:04 PM IST

नई दिल्ली : भारत की आजादी के 75वें वर्ष से पहले, प्रधान मंत्री मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया है, जो शनिवार से शुरू हुआ और सोमवार 15 अगस्त तक जारी रहेगा. अभियान के तहत, केंद्र सरकार ने लोगों से भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अपने घरों में तिरंगा फहराने का आग्रह किया है.

राष्ट्रीय ध्वज फहराने से पहले क्या करें और क्या न करें को समझना जरूरी है :-

- भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार, तिरंगा की गरिमा और सम्मान का अनादर किए बिना सभी अवसरों पर सभी स्थानों पर तिरंगा फहराया जा सकता है.

- झंडा किसी भी आकार का हो सकता है, लेकिन इसकी लंबाई और ऊंचाई का अनुपात आयताकार आकार में 3:2 होना चाहिए.

- तिरंगा अब दिन के 24 घंटों में किसी भी समय देश में किसी भी व्यक्ति के घर पर फहराया जा सकता है.

- राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले व्यक्ति यह सुनिश्चित करें कि झंडा उल्टा नहीं फहराया जाए. अर्थात ध्वज का भगवा भाग ऊपर रहना चाहिए.

- तिरंगा क्षतिग्रस्त न हो और न ही यह जमीन या पानी को छूना चाहिए.

- झंडा फहराने वाले व्यक्ति यह सुनिश्चित करें कि झंडा किसी अन्य झंडे के साथ झंडे के ऊपरी हिस्से से नहीं फहराया जाए.

- क्षतिग्रस्त तिरंगे की गरिमा को बगैर ठेस पहुंचाए, उसे रख दें और इस्तेमाल न करें. भारतीय ध्वज संहिता का सुझाव है कि तिरंगे को जलाकर पूरी तरह से निजी तौर पर नष्ट कर देना चाहिए और अगर यह कागज से बना है, तो सुनिश्चित करें कि ये जमीन पर न फेंका गया हो. संक्षेप में, भारत के राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए पूरी गोपनीयता के साथ त्याग देना चाहिए.

- एक नागरिक, एक निजी संगठन या एक शैक्षणिक संस्थान सभी दिनों और अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है. ध्वज प्रदर्शन के समय पर कोई प्रतिबंध नहीं है. सरकार ने भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया है, ताकि तिरंगे को खुले में और अलग-अलग घरों या इमारतों में दिन-रात प्रदर्शित किया जा सके.

बता दें कि इससे पहले, भारतीयों को केवल कुछ विशिष्ट अवसरों पर ही अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति थी, लेकिन पूर्व सांसद तथा उद्योगपति नवीन जिंदल की एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यह बदल दिया गया, जिसकी परिणति 23 जनवरी, 2004 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले में हुई, जिन्होंने घोषित किया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज को स्वतंत्र रूप से फहराने का अधिकार 'एक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार' है.

हर घर तिरंगा अभियान के लिए केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए, नवीन जिंदल ने प्रत्येक भारतीय से 'हर दिन तिरंगा' को अपना आदर्श वाक्य बनाने का आग्रह किया है.

भारतीय ध्वज संहिता को पहले पिछले साल दिसंबर में संशोधित किया गया था, जिसमें कपास, ऊन, रेशम और खादी के अलावा हाथ से काते, हाथ से बुने हुए और मशीन से बने झंडे बनाने के लिए पॉलिएस्टर के उपयोग की अनुमति दी गई थी.

(एएनआई)

नई दिल्ली : भारत की आजादी के 75वें वर्ष से पहले, प्रधान मंत्री मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया है, जो शनिवार से शुरू हुआ और सोमवार 15 अगस्त तक जारी रहेगा. अभियान के तहत, केंद्र सरकार ने लोगों से भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अपने घरों में तिरंगा फहराने का आग्रह किया है.

राष्ट्रीय ध्वज फहराने से पहले क्या करें और क्या न करें को समझना जरूरी है :-

- भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार, तिरंगा की गरिमा और सम्मान का अनादर किए बिना सभी अवसरों पर सभी स्थानों पर तिरंगा फहराया जा सकता है.

- झंडा किसी भी आकार का हो सकता है, लेकिन इसकी लंबाई और ऊंचाई का अनुपात आयताकार आकार में 3:2 होना चाहिए.

- तिरंगा अब दिन के 24 घंटों में किसी भी समय देश में किसी भी व्यक्ति के घर पर फहराया जा सकता है.

- राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले व्यक्ति यह सुनिश्चित करें कि झंडा उल्टा नहीं फहराया जाए. अर्थात ध्वज का भगवा भाग ऊपर रहना चाहिए.

- तिरंगा क्षतिग्रस्त न हो और न ही यह जमीन या पानी को छूना चाहिए.

- झंडा फहराने वाले व्यक्ति यह सुनिश्चित करें कि झंडा किसी अन्य झंडे के साथ झंडे के ऊपरी हिस्से से नहीं फहराया जाए.

- क्षतिग्रस्त तिरंगे की गरिमा को बगैर ठेस पहुंचाए, उसे रख दें और इस्तेमाल न करें. भारतीय ध्वज संहिता का सुझाव है कि तिरंगे को जलाकर पूरी तरह से निजी तौर पर नष्ट कर देना चाहिए और अगर यह कागज से बना है, तो सुनिश्चित करें कि ये जमीन पर न फेंका गया हो. संक्षेप में, भारत के राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए पूरी गोपनीयता के साथ त्याग देना चाहिए.

- एक नागरिक, एक निजी संगठन या एक शैक्षणिक संस्थान सभी दिनों और अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है. ध्वज प्रदर्शन के समय पर कोई प्रतिबंध नहीं है. सरकार ने भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया है, ताकि तिरंगे को खुले में और अलग-अलग घरों या इमारतों में दिन-रात प्रदर्शित किया जा सके.

बता दें कि इससे पहले, भारतीयों को केवल कुछ विशिष्ट अवसरों पर ही अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति थी, लेकिन पूर्व सांसद तथा उद्योगपति नवीन जिंदल की एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यह बदल दिया गया, जिसकी परिणति 23 जनवरी, 2004 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले में हुई, जिन्होंने घोषित किया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज को स्वतंत्र रूप से फहराने का अधिकार 'एक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार' है.

हर घर तिरंगा अभियान के लिए केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए, नवीन जिंदल ने प्रत्येक भारतीय से 'हर दिन तिरंगा' को अपना आदर्श वाक्य बनाने का आग्रह किया है.

भारतीय ध्वज संहिता को पहले पिछले साल दिसंबर में संशोधित किया गया था, जिसमें कपास, ऊन, रेशम और खादी के अलावा हाथ से काते, हाथ से बुने हुए और मशीन से बने झंडे बनाने के लिए पॉलिएस्टर के उपयोग की अनुमति दी गई थी.

(एएनआई)

Last Updated : Aug 13, 2022, 3:04 PM IST
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