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MP Election 2023: चंबल के इलाके में हर चुनावी साल में बढ़ जाती है अवैध हथियारों की तस्करी, फैक्ट्रियों में तैयार होते हैं देसी कट्टे और इंग्लिश पिस्टल - मध्यप्रदेश की ताजा खबर

चुनावी समर के बीच अक्सर पुलिस और प्रशासन की चिंता चंबल अंचल में बढ़ जाती है. एक तरफ अवैध हथियारों की तस्करी को रोकना है, तो दूसरी तरफ चुनावी व्यवस्थाओं पर भी नजर बनाए रखनी है. अक्सर चंबल इलाके में अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ जाती है. इसी पर पढ़ें, ETV Bharat की स्पेशल स्टोरी...

illegal weapon in gwalior
अवैध हथियार
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 5, 2023, 8:40 PM IST

Updated : Sep 5, 2023, 10:32 PM IST

अवैध हथियारों की तस्करी

ग्वालियर। चंबल के इलाके में विधानसभा चुनाव पुलिस और प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. हर बार जब-जब चुनाव आते हैं, तब तक अंचल में हथियारों की तस्करी करने वाले तस्कर सक्रिय हो जाते हैं. पूरे इलाके में अवैध और देसी अवैध हथियारों की तस्करी होती है.

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा अवैध हथियारों की तस्करी इसी ग्वालियर चंबल अंचल में होती है. तस्कर उत्तर प्रदेश राजस्थान से आकर यहां पर लाखों रुपए की अवैध हथियारों की तस्करी करते हैं.

अलर्ट पर पुलिस और पार्टियां: राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ यहां की पुलिस भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. पुलिस के सामने चुनाव कराने के साथ-साथ अवैध हथियारों की तस्करी को रोकना भी एक बड़ी चुनौती है. चुनाव के दिनों में बीहड़ के इलाके में अवैध हथियारों की फैक्ट्री शुरु हो जाती है. इन फैक्ट्री में देसी कट्टे से लेकर इंग्लिश पिस्टल तक तैयार की जाती है. इसके बाद आसपास के इलाकों में सप्लाई किया जाता है. बताया जाता है कि यहां अवैध हथियारों की बड़ी चैन है.

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क्या बोले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट: देश के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अशोक सिंह भदोरिया ने ETV भारत से बातचीत करते हुए बताया- बीहड़ के आसपास के कई गांव ऐसे हैं, जहां पर अवैध हथियार बनाए जाते हैं.

गांव में अवैध हथियार बनाने वाला गिरोह मौजूद होता है और उसके बाद देसी कट्टा, 315 बोर की बंदूक, पिस्टल के साथ साथ इंग्लिश हथियार भी बनाया जाता है और उसके बाद जब चुनाव नजदीक होते हैं तो यही अवैध हथियार वोटरों को डराने और धमकाने के लिए काम आते हैं.

यहां के चुनाव में जो खून खराब होता है, उसका सबसे बड़ा कारण अवैध हथियार ही है. इसलिए अवैध हथियारों की तस्करी और बनाने वाली फैक्ट्री को रोकना पुलिस के लिए हमेशा से सिर दर्द रही है और पूरी तरह इन पर नकेल नहीं कर पाई है.

इलाके में इतने शस्त्र लाइसेंस: बता दें, ग्वालियर चंबल अंचल में जितने शस्त्र लाइसेंस मौजूद है, उससे 4 गुनी संख्या में यहां अवैध हथियार मौजूद है. ग्वालियर के मुरैना, भिंड और दतिया जिले में शस्त्र लाइसेंस बंदूको संख्या लगभग एक लाख के आसपास है. जब चुनाव आता है, सभी बंदूके थानों में जमा कर ली जाती है.

जानकरो की मानें, तो चुनावों से ठीक 6 महीने पहले तस्कर अवैध हथियारों की सप्लाई करना शुरू कर देते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल की पुलिस रोज लगभग 50 से 100 से अवैध हथियार बरामद कर रही है. यहां चुनाव के समय हर महीने लाखों रुपए की अवैध हथियारों की सप्लाई होती है. अभी हाल में ही मुरैना और ग्वालियर में हथियार बनाने वाली फैक्ट्री बरामद हुई है.

इसमें अवैध हथियारों का निर्माण किया जा रहा था. जब पुलिस ने छापामार कार्रवाई की तो वहां से अवैध कट्टे, पिस्टल, 315 बोर की राउंड और हथियार बनाने वाले औजार बरामद हुए हैं. साथ ही पुलिस ने दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया था.

अवैध हथियारों की तस्करी

ग्वालियर। चंबल के इलाके में विधानसभा चुनाव पुलिस और प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. हर बार जब-जब चुनाव आते हैं, तब तक अंचल में हथियारों की तस्करी करने वाले तस्कर सक्रिय हो जाते हैं. पूरे इलाके में अवैध और देसी अवैध हथियारों की तस्करी होती है.

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा अवैध हथियारों की तस्करी इसी ग्वालियर चंबल अंचल में होती है. तस्कर उत्तर प्रदेश राजस्थान से आकर यहां पर लाखों रुपए की अवैध हथियारों की तस्करी करते हैं.

अलर्ट पर पुलिस और पार्टियां: राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ यहां की पुलिस भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. पुलिस के सामने चुनाव कराने के साथ-साथ अवैध हथियारों की तस्करी को रोकना भी एक बड़ी चुनौती है. चुनाव के दिनों में बीहड़ के इलाके में अवैध हथियारों की फैक्ट्री शुरु हो जाती है. इन फैक्ट्री में देसी कट्टे से लेकर इंग्लिश पिस्टल तक तैयार की जाती है. इसके बाद आसपास के इलाकों में सप्लाई किया जाता है. बताया जाता है कि यहां अवैध हथियारों की बड़ी चैन है.

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क्या बोले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट: देश के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अशोक सिंह भदोरिया ने ETV भारत से बातचीत करते हुए बताया- बीहड़ के आसपास के कई गांव ऐसे हैं, जहां पर अवैध हथियार बनाए जाते हैं.

गांव में अवैध हथियार बनाने वाला गिरोह मौजूद होता है और उसके बाद देसी कट्टा, 315 बोर की बंदूक, पिस्टल के साथ साथ इंग्लिश हथियार भी बनाया जाता है और उसके बाद जब चुनाव नजदीक होते हैं तो यही अवैध हथियार वोटरों को डराने और धमकाने के लिए काम आते हैं.

यहां के चुनाव में जो खून खराब होता है, उसका सबसे बड़ा कारण अवैध हथियार ही है. इसलिए अवैध हथियारों की तस्करी और बनाने वाली फैक्ट्री को रोकना पुलिस के लिए हमेशा से सिर दर्द रही है और पूरी तरह इन पर नकेल नहीं कर पाई है.

इलाके में इतने शस्त्र लाइसेंस: बता दें, ग्वालियर चंबल अंचल में जितने शस्त्र लाइसेंस मौजूद है, उससे 4 गुनी संख्या में यहां अवैध हथियार मौजूद है. ग्वालियर के मुरैना, भिंड और दतिया जिले में शस्त्र लाइसेंस बंदूको संख्या लगभग एक लाख के आसपास है. जब चुनाव आता है, सभी बंदूके थानों में जमा कर ली जाती है.

जानकरो की मानें, तो चुनावों से ठीक 6 महीने पहले तस्कर अवैध हथियारों की सप्लाई करना शुरू कर देते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल की पुलिस रोज लगभग 50 से 100 से अवैध हथियार बरामद कर रही है. यहां चुनाव के समय हर महीने लाखों रुपए की अवैध हथियारों की सप्लाई होती है. अभी हाल में ही मुरैना और ग्वालियर में हथियार बनाने वाली फैक्ट्री बरामद हुई है.

इसमें अवैध हथियारों का निर्माण किया जा रहा था. जब पुलिस ने छापामार कार्रवाई की तो वहां से अवैध कट्टे, पिस्टल, 315 बोर की राउंड और हथियार बनाने वाले औजार बरामद हुए हैं. साथ ही पुलिस ने दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया था.

Last Updated : Sep 5, 2023, 10:32 PM IST
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