ETV Bharat / bharat

बिहार पुलिस की फिर किरकिरी, शहीद ऋषि कुमार को अंतिम सलामी देते वक्त फुस हुईं बंदूकें!

शहीद लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार (Martyr Rishi Kumar) का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया. सिमरिया घाट पर सेना के जवानों और बिहार पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. हालांकि स्थिति तब थोड़ी असहज हो गई, जब सलामी के दौरान बिहार पुलिस की कई राइफल से गोलियां ही नहीं चलीं.

अंतिम सलामी देते वक्त फुस हुईं बंदूकें
अंतिम सलामी देते वक्त फुस हुईं बंदूकें
author img

By

Published : Nov 2, 2021, 1:21 AM IST

बेगूसराय : बिहार पुलिस (Bihar Police) ने एक बार फिर अपनी किरकिरी करा दी है. उनकी बंदूकें एक बार फिर ऐन मौके पर दगा दे गईं. शहीद के सम्मान में उनकी बंदूकें नहीं चल पाईं और फायरिंग के समय पुलिसवाले ट्रिगर दबाते-दबाते थक गए. मौका था शहीद लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार (Martyr Rishi Kumar) के गार्ड ऑफ ऑनर का. हालांकि हमारी सेना ने लाज बचाई और अपनी बंदूक से फायरिंग कर शहीद को सलामी दी.

दरअसल, बेगूसराय के सिमरिया स्थित गंगा तट पर अंत्येष्टि से पहले लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार को सेना और पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था. जहां शहीद को सेना के जवानों ने अपनी बंदूक से फायरिंग कर सलामी दी. इस दौरान सारे बुलेट फायर हुए, लेकिन जब बिहार पुलिस की ओर से सलामी देने की बारी आई तो फिर से पुरानी वाली गलती सामने आ गई.

शहीद ऋषि कुमार को अंतिम सलामी देते वक्त फुस हुईं बंदूकें

बिहार पुलिस ने बंदूक उठाकर जब ट्रिगर दबाया तो कई पुलिसकर्मी से ट्रिगर दबा ही नहीं. किसी से दबा तो फायरिंग नहीं हो पाई. सलामी के निर्देश के अनुसार कई पुलिसकर्मी तो बिना फायरिंग के ही अगले निर्देश को पालन करते हुए आगे बढ़ गए.

जिन पुलिसकर्मियों की बंदूक दगा दे गई और फायरिंग नहीं हो पाई, उनके लिए स्थिति बेहद असहज रही. वे लगातार बंदूक के ट्रिगर को दबाने और अपने स्तर पर उसे दुरुस्त करने की कोशिश करते दिखे. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि सभी बंदूकें नाकाम रहीं. वहां मौजूद कई पुलिसकर्मियों की बंदूक से फायरिंग हुईं, लेकिन ये स्थिति वास्तव में न केवल असहज बल्कि अफसोसजनक भी रही.

वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब सलामी देने के वक्त बिहार पुलिस की बंदूक से फायरिंग नहीं हो पाई. याद करिए फरवरी 2020 को, जब जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान रमेश रंजन (Ramesh Ranjan) को उनके पैतृक गांव भोजपुर जिला के जगदीशपुर में अंतिम विदाई देने के वक्त फायरिंग कर शहीद को श्रद्धांजलि देने की बारी आई तो बिहार पुलिस की बंदूकें गोलियां उगलने में नाकामयाब रहीं थीं.

पढ़ें - गांधी मैदान धमाका केस: चार दोषियों को फांसी, दो को आजीवन कारावास

वहीं, उससे पहले अगस्त 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा की अंत्येष्टि से पहले गार्ड ऑफ ऑनर देने में पुलिस की 21 राइफलों से एक भी बुलेट फायर नहीं हुई थी. 21 पुलिस जवानों को 10-10 राउंड फायर करने थे, यानी कुल 210 बुलेट छोड़ी जानी थीं लेकिन फायरिंग नहीं हुई.

बेगूसराय : बिहार पुलिस (Bihar Police) ने एक बार फिर अपनी किरकिरी करा दी है. उनकी बंदूकें एक बार फिर ऐन मौके पर दगा दे गईं. शहीद के सम्मान में उनकी बंदूकें नहीं चल पाईं और फायरिंग के समय पुलिसवाले ट्रिगर दबाते-दबाते थक गए. मौका था शहीद लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार (Martyr Rishi Kumar) के गार्ड ऑफ ऑनर का. हालांकि हमारी सेना ने लाज बचाई और अपनी बंदूक से फायरिंग कर शहीद को सलामी दी.

दरअसल, बेगूसराय के सिमरिया स्थित गंगा तट पर अंत्येष्टि से पहले लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार को सेना और पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था. जहां शहीद को सेना के जवानों ने अपनी बंदूक से फायरिंग कर सलामी दी. इस दौरान सारे बुलेट फायर हुए, लेकिन जब बिहार पुलिस की ओर से सलामी देने की बारी आई तो फिर से पुरानी वाली गलती सामने आ गई.

शहीद ऋषि कुमार को अंतिम सलामी देते वक्त फुस हुईं बंदूकें

बिहार पुलिस ने बंदूक उठाकर जब ट्रिगर दबाया तो कई पुलिसकर्मी से ट्रिगर दबा ही नहीं. किसी से दबा तो फायरिंग नहीं हो पाई. सलामी के निर्देश के अनुसार कई पुलिसकर्मी तो बिना फायरिंग के ही अगले निर्देश को पालन करते हुए आगे बढ़ गए.

जिन पुलिसकर्मियों की बंदूक दगा दे गई और फायरिंग नहीं हो पाई, उनके लिए स्थिति बेहद असहज रही. वे लगातार बंदूक के ट्रिगर को दबाने और अपने स्तर पर उसे दुरुस्त करने की कोशिश करते दिखे. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि सभी बंदूकें नाकाम रहीं. वहां मौजूद कई पुलिसकर्मियों की बंदूक से फायरिंग हुईं, लेकिन ये स्थिति वास्तव में न केवल असहज बल्कि अफसोसजनक भी रही.

वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब सलामी देने के वक्त बिहार पुलिस की बंदूक से फायरिंग नहीं हो पाई. याद करिए फरवरी 2020 को, जब जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान रमेश रंजन (Ramesh Ranjan) को उनके पैतृक गांव भोजपुर जिला के जगदीशपुर में अंतिम विदाई देने के वक्त फायरिंग कर शहीद को श्रद्धांजलि देने की बारी आई तो बिहार पुलिस की बंदूकें गोलियां उगलने में नाकामयाब रहीं थीं.

पढ़ें - गांधी मैदान धमाका केस: चार दोषियों को फांसी, दो को आजीवन कारावास

वहीं, उससे पहले अगस्त 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा की अंत्येष्टि से पहले गार्ड ऑफ ऑनर देने में पुलिस की 21 राइफलों से एक भी बुलेट फायर नहीं हुई थी. 21 पुलिस जवानों को 10-10 राउंड फायर करने थे, यानी कुल 210 बुलेट छोड़ी जानी थीं लेकिन फायरिंग नहीं हुई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.