अहमदाबाद : गुजरात में कोविड-19 के नए मामलों में गिरावट को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 15 जुलाई से 12वीं कक्षा के अलावा कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों में 50 प्रतिशत क्षमता के साथ कक्षाएं शुरू करने की अनुमति प्रदान करने का फैसला किया है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्यमंत्री (Chief Minister) विजय रूपाणी ने सरकार की कोर कमेटी ( core committee) की बैठक में महामारी की स्थिति की समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया.
छात्रों के लिए कक्षाओं में उपस्थिति होना अनिवार्य नहीं होगा, लेकिन यदि छात्रों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा जाता है तो इसके लिए स्कूलों और कॉलेजों के अधिकारियों को माता-पिता की सहमति लेनी होगी.
विज्ञप्ति के मुताबिक गुजरात के 8,333 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 12 में 6.82 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं जबकि राज्य के 2,000 से अधिक कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों में 11 लाख से अधिक स्नातक और डिप्लोमा छात्र हैं.
सरकार ने कक्षा 9 से 11 तक की निजी कोचिंग कक्षाओं (private coaching classes ) को संचालित करने की अनुमति दी थी, लेकिन समान कक्षाओं के स्कूल खोलने से परहेज किया है.सभी स्कूल और कॉलेजों को संचालित करने की अनुमति है.
इस फैसले ने राज्य भर के अभिभावकों को चौंका दिया है. अभिभावकों ने सरकार से सवाल किया है कि कोचिंग क्लास शुरू करने की इजाजत देने के बावजूद स्कूलों में ऑफलाइन पढ़ाई का काम क्यों नहीं शुरू किया जा रहा है.
साथ ही अभिभावकों ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में कोचिंग क्लास उपलब्ध हैं, लेकिन जिन गांवों में कोचिंग क्लास नहीं चल रही है वहां अभिभावकों में व्यापक भावना है कि छात्रों के साथ गलत व्यवहार किया जाएगा.
अहमदाबाद के माता-पिता इस फैसले के खिलाफ हैं
स्कूल-कॉलेज खोलने के मुद्दे पर नाराज अभिभावक सवाल कर रहे हैं कि सरकार ने 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं को ट्यूशन कक्षाओं में कैसे अनुमति दी. अगर ट्यूशन कक्षाओं की अनुमति है तो स्कूल को क्यों नहीं. जबकि गुजरात में स्कूल और कॉलेज खोलने के सरकार के फैसले को विभिन्न न्यासी बोर्ड ने खारिज कर दिया था, अहमदाबाद में फेडरेशन ऑफ पेरेंट्स एसोसिएशन (Federation of Parents Association ) के अध्यक्ष कमल रावल (Kamal Rawal) ने ईटीवी भारत से कहा कि सरकार पहले भी सही निर्णय नहीं ले पाई और अब लिया गया निर्णय पूरी तरह से गलत है. उन्होंने टिप्पणी की कि सरकार मूर्खतापूर्ण कदम उठा रही है.
सूरत में स्कूल शुरू करने की मांग
वहीं सूरत पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश पांचाल ने ईटीवी भारत से कहा कि गुजरात सरकार द्वारा कक्षा 12 और कॉलेज शुरू करने की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार अन्य कक्षाओं पर भी ध्यान दे. यदि कक्षाएं और ट्यूशन कक्षाएं शुरू की जा सकती हैं तो स्कूलों को भी शुरू किया जाना चाहिए. सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को हो रही परेशानी
राजकोट में कोचिंग कक्षाएं शुरू करने के सरकार के फैसले से प्रशासक खुश थे, लेकिन राज्य सरकार द्वारा कोचिंग कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दिए जाने के बावजूद स्कूलों में ऑफलाइन शैक्षणिक कार्य शुरू क्यों नहीं किया गया. राजकोट जिले में सालों से आरटीई एक्ट पर काम कर रहे योगेंद्रसिंह गोहिल (Yogendrasinh Gohil) ने यह सवाल किया. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि माता-पिता जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपने बच्चों की कोचिंग कक्षाओं का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं, तो स्कूलों को भी फिर से खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे बहुत लाभ होगा और बच्चों को ऑफलाइन शिक्षा भी मिलेगी.
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कोचिंग क्लास मालिकों ने इस फैसले का स्वागत किया
आणंद जिले में शिक्षा के क्षेत्र में कई छोटे-बड़े संस्थान कार्यरत हैं, जहां देश-विदेश से छात्र राज्य के साथ अध्ययन करने आते हैं. इन संस्थाओं के कारण आणंद जिले में ट्यूशन व्यवसाय का भी काफी विस्तार हुआ है. जिले में 500 से अधिक छोटी-बड़ी ट्यूशन कक्षाओं के संचालन के सरकार के फैसले का आनंद के कोचिंग क्लास मालिकों (coaching class owners)ने स्वागत किया है.
ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के साथ अन्याय
अरावली में कोचिंग कक्षाएं फिर से खोलने के सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज किया गया है. गौरतलब है कि ज्यादातर ग्रामीण इलाकों (rural areas) में कोचिंग क्लास नहीं लगती हैं, स्कूलों को एक तरफ छोड़कर सिर्फ कोचिंग क्लास शुरू करने से अभिभावकों में यह भावना पैदा हो गई है कि यह गांवों के छात्रों के साथ अन्याय होगा.
इसके अलावा, कस्बों और शहरों में बच्चों की तुलना में ग्रामीण छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा (online education) भी इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी के कारण उचित नहीं थी. जैसा कि सरकार प्रतिबंधों में ढील देती है और कोचिंग कक्षाएं शुरू करने की अनुमति देती है, ग्रामीण क्षेत्रों में भी कक्षा 9 से 1 स्कूल शुरू करने की अनुमति की मांग बढ़ रही है.