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गुजरात चुनाव से पहले हार्दिक पटेल को हाई कोर्ट से मिली राहत, जानें क्या है मामला - भाजपा नेता हार्दिक पटेल

गुजरात हाई कोर्ट ने भाजपा नेता हार्दिक पटेल (BJP leader Hardik Patel) को राहत दी है. अदालत ने उन पर मेहसाणा जिले में प्रवेश करने से रोकने संबंधी जमानत की शर्त एक साल के लिए हटा दी है. हाई कोर्ट ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े दंगे के मामले में उन्हें जमानत दे दी थी, लेकिन उनके मेहसाणा में प्रवेश पर रोक लगा दी थी.

Hardik Patel
हार्दिक पटेल
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Published : Nov 11, 2022, 9:37 PM IST

अहमदाबाद: गुजरात हाई कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हार्दिक पटेल (BJP leader Hardik Patel) को 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े दंगे के एक मामले में राज्य के मेहसाणा जिले में प्रवेश करने से रोकने संबंधी जमानत की शर्त शुक्रवार को एक साल के लिए हटा दी. न्यायमूर्ति एसएच वोरा की अदालत ने पटेल को अस्थायी रूप से राहत दी.

पटेल ने सात नवंबर को इस आधार पर जमानत की शर्तो में संशोधन संबंधी याचिका दायर की थी कि वह अपनी 'कुलदेवी' के मंदिर में पूजा करना चाहते हैं. पटेल के वकील रफीक लोखंडवाला ने कहा कि जमानत की शर्त, कि वह अपने गृह जिले मेहसाणा में प्रवेश नहीं करेंगे, को एक साल के लिए हटा दिया गया है. बता दें, पटेल को गुरुवार को अहमदाबाद जिले की वीरमगाम सीट से भाजपा का उम्मीदवार घोषित किया गया.

गुजरात की एक अदालत ने जुलाई 2018 में, पटेल और उनके सहयोगियों लालजी पटेल और एके पटेल को पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान 23 जुलाई, 2015 को विसनगर शहर में हुए दंगों और आगजनी के लिए दो साल जेल की सजा सुनाई थी. उस दिन भीड़ ने एक कार में आग लगा दी थी और विसनगर से भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी.

यह भी पढ़ें- गुजरात विधानसभा चुनाव: कांग्रेस छोड़कर आए कई विधायकों, हार्दिक पटेल को भाजपा ने दिया टिकट

गुजरात उच्च न्यायालय ने अगस्त 2018 में निचली अदालत के आदेश को निलंबित कर दिया था और उन्हें जमानत दे दी थी. उच्च न्यायालय ने जमानत की शर्त के रूप में उनके मेहसाणा में प्रवेश पर रोक लगा दी थी. (पीटीआई-भाषा)

अहमदाबाद: गुजरात हाई कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हार्दिक पटेल (BJP leader Hardik Patel) को 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े दंगे के एक मामले में राज्य के मेहसाणा जिले में प्रवेश करने से रोकने संबंधी जमानत की शर्त शुक्रवार को एक साल के लिए हटा दी. न्यायमूर्ति एसएच वोरा की अदालत ने पटेल को अस्थायी रूप से राहत दी.

पटेल ने सात नवंबर को इस आधार पर जमानत की शर्तो में संशोधन संबंधी याचिका दायर की थी कि वह अपनी 'कुलदेवी' के मंदिर में पूजा करना चाहते हैं. पटेल के वकील रफीक लोखंडवाला ने कहा कि जमानत की शर्त, कि वह अपने गृह जिले मेहसाणा में प्रवेश नहीं करेंगे, को एक साल के लिए हटा दिया गया है. बता दें, पटेल को गुरुवार को अहमदाबाद जिले की वीरमगाम सीट से भाजपा का उम्मीदवार घोषित किया गया.

गुजरात की एक अदालत ने जुलाई 2018 में, पटेल और उनके सहयोगियों लालजी पटेल और एके पटेल को पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान 23 जुलाई, 2015 को विसनगर शहर में हुए दंगों और आगजनी के लिए दो साल जेल की सजा सुनाई थी. उस दिन भीड़ ने एक कार में आग लगा दी थी और विसनगर से भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी.

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गुजरात उच्च न्यायालय ने अगस्त 2018 में निचली अदालत के आदेश को निलंबित कर दिया था और उन्हें जमानत दे दी थी. उच्च न्यायालय ने जमानत की शर्त के रूप में उनके मेहसाणा में प्रवेश पर रोक लगा दी थी. (पीटीआई-भाषा)

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