नई दिल्ली : सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जीएसटी नेटवर्क के साथ जानकारी साझा करने की अनुमति देने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों में संशोधन किया है (Govt allows ED to share data with GSTN). इसके साथ ही केंद्र ने माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के दायरे में शामिल करने के लिए अधिसूचना जारी भी कर दी है.
सरकार के इस फैसले से मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से चोरी किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की वसूली में अब मदद मिलेगी.
धारा 66 के तहत बदलाव : जीएसटीएन उन संस्थाओं में से है जिन्हें पीएमएलए अधिनियम 2002 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) और वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) के साथ जानकारी साझा करना अब अनिवार्य है. पीएमएलए की धारा 66 के तहत ये बदलाव किए गए हैं.
पीएमएलए को आम तौर पर आतंकी फंडिंग और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए अधिनियमित किया गया था. पीएमएलए अधिनियम मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान करता है. 1 जुलाई 2005 को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) को लागू किया गया था.
संदिग्ध लेन-देन पर नजर : इस अधिसूचना के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) के साथ भी जानकारी साझा करेंगे यदि उन्हें पता चलता है कि जीएसटी से जुड़े मामले में संदिग्ध विदेशी मुद्रा का लेनदेन शामिल है. जीएसटी अपराध जैसे फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना, फर्जी चालान आदि भी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कवर किए जाएंगे.
दरअसल वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) एक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली है जो जीएसटी पोर्टल का प्रबंधन करती है.पोर्टल का उद्देश्य जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, करदाताओं और अन्य हितधारकों को साझा आईटी बुनियादी ढांचा और सेवाएं प्रदान करना है.
जीएसटी वसूली में मिलेगी मदद : इस कदम से ईडी को जीएसटी चोरी के खिलाफ जांच में मदद मिलेगी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि पीएमएलए के तहत जीएसटीएन को अधिसूचित करने से एक कानूनी ढांचा तैयार होगा जिसके तहत ऐसे अपराधियों का पता लगाया जा सकेगा जो टैक्स की चोरी कर रहे हैं. पकड़े जाने पर उन्हें उचित करों का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी बनाया जा सकेगा. यानि ऐसी जानकारी से ईडी के बड़े जांच उद्देश्यों में मदद मिलेगी और बड़े चोरी के मामलों में जीएसटी वसूली में भी मदद मिलेगी.
अब 26 एजेंसियों से डेटा साझा करेगी ईडी : ईडी जो मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन के मामलों से निपटती है अब उसे जीएसटी नेटवर्क के साथ डेटा साझा करने की अनुमति मिल गई है.
पिछले साल नवंबर में सरकार ने ईडी को एसएफआईओ, सीसीआई और एनआईए सहित 15 और एजेंसियों के साथ आर्थिक अपराधियों के बारे में जानकारी साझा करने की अनुमति दी थी. उसे कुल 25 एजेंसियों के साथ डेटा साझा करने की अनुमति दी गई थी. इस सूची में सीबीआई, आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई, इंटेलिजेंस ब्यूरो और वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) भी शामिल हैं. जीएसटीएन के शामिल होने के साथ, संस्थाओं की सूची अब 26 हो गई है.
राजनीति भी शुरू : मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है. विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि ईडी के जरिए प्रताड़ित किया जाएगा. आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध किया है.
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हम इसका कड़ा विरोध करते हैं और देश के व्यापारियों के साथ हैं। https://t.co/oFEgAZiojS
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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि 'व्यापारियों का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी का भुगतान नहीं करता है - कुछ मजबूरी से, कुछ जानबूझकर. कुछ दिन पहले, केंद्र ने जीएसटी को ईडी के दायरे में भी लाया. इसका मतलब है कि अब, यदि कोई व्यापारी भुगतान नहीं करता है. जीएसटी, ईडी उन्हें सीधे गिरफ्तार करेगी और जमानत नहीं दी जाएगी.'
'आप' नेता आतिशी का कहना है कि 'हमने देखा है कि कैसे ईडी का इस्तेमाल लोगों को परेशान करने और गिरफ्तार करने के लिए किया जाता है. हम इसका विरोध करते हैं, हमने चर्चा की मांग की है. लेकिन केंद्र और वित्त मंत्री सीतारमण इस पर चर्चा के लिए तैयार नहीं हैं.'