नई दिल्ली : सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की. समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे और इसमें गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह सदस्य होंगे. वहीं दूसरी ओर अधीर रंजन चौधरी ने समिति का सदस्य बनने से इनकार कर दिया है.
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Govt of India constitutes 8-member committee to examine ‘One nation, One election’.
— ANI (@ANI) September 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Former President Ram Nath Kovind appointed as Chairman of the committee. Union Home Minister Amit Shah, Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury, Former Rajya Sabha LoP Ghulam Nabi Azad, and others… pic.twitter.com/Sk9sptonp0
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— ANI (@ANI) September 2, 2023
Former President Ram Nath Kovind appointed as Chairman of the committee. Union Home Minister Amit Shah, Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury, Former Rajya Sabha LoP Ghulam Nabi Azad, and others… pic.twitter.com/Sk9sptonp0Govt of India constitutes 8-member committee to examine ‘One nation, One election’.
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Former President Ram Nath Kovind appointed as Chairman of the committee. Union Home Minister Amit Shah, Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury, Former Rajya Sabha LoP Ghulam Nabi Azad, and others… pic.twitter.com/Sk9sptonp0
उच्च स्तरीय समिति में पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी सदस्य होंगे. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे, जबकि कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा समिति के सचिव होंगे. अधिसूचना में कहा गया है कि समिति तुरंत ही काम शुरू कर देगी और जल्द से जल्द सिफारिशें करेगी, हालांकि इसमें रिपोर्ट सौंपने के लिए किसी समयसीमा का उल्लेख नहीं किया गया है.
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के अधीन एक समिति बनाने के निर्णय ने न सिर्फ मुंबई में अपना सम्मेलन आयोजित करने में जुटे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को चौंकाया बल्कि राजनीतिक गर्मी भी बढ़ा दी. विपक्षी गठबंधन ने इस फैसले को देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा बताया था. समिति संविधान, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून और नियमों की पड़ताल करेगी और उन विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, जिसकी एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से आवश्यकता होगी.
समिति को चुनावों को एक साथ कराने की रूपरेखा का सुझाव देने और 'विशेष रूप से उन चरणों और समयसीमा का सुझाव देने का भी काम सौंपा गया है, जिनके भीतर एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं, यदि चुनाव एक बार में नहीं कराए जा सकते...' समिति यह भी पड़ताल करेगी और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होगी. संविधान में कुछ संशोधनों के लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होती है.
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Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury declined the invitation to be part of the 8-member committee constituted by the Centre to examine ‘One nation, One election’.
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"I have no hesitation whatsoever in declining to serve on the Committee whose terms of reference have been prepared in… pic.twitter.com/2w523Djag2
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राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन से संबंधित विधेयक के संसद में पारित होने के बाद 50 प्रतिशत से अधिक राज्यों ने इसका अनुमोदन किया था. समिति एकसाथ चुनाव की स्थिति में खंडित जनादेश, अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने या दलबदल या ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण करेगी और संभावित समाधान भी सुझाएगी. समिति को 'एक साथ चुनावों के चक्र की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों की सिफारिश करने और संविधान में आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करने के लिए भी कहा गया है ताकि एक साथ चुनावों का चक्र बाधित न हो.'
साजोसामान का मुद्दा भी समिति के एजेंडे में है क्योंकि इस व्यापक कवायद के लिए अतिरिक्त संख्या में ईवीएम और पेपर-ट्रेल मशीन, मतदान और सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता होगी. यह समिति लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों में मतदाताओं की पहचान के लिए एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र के उपयोग के तौर-तरीकों की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी.
एक संसदीय समिति ने हाल ही में कहा था कि एक सामान्य मतदाता सूची खर्चों को कम करने में मदद करेगी और उस काम के लिए जनशक्ति को लगाने से रोकेगी जिस पर कोई अन्य एजेंसी पहले से ही काम कर रही है. समिति उन सभी व्यक्तियों, अभ्यावेदनों और संवाद को सुनेगी और उन पर विचार करेगी जो उसकी राय में उसके काम को सुविधाजनक बना सकते हैं और उसे अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने में सक्षम बना सकते हैं.
संसदीय और विधानसभा चुनाव कराने का अधिकार निर्वाचन आयोग को है जबकि राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकाय चुनाव कराने का अधिकार है. निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग संविधान के तहत अलग-अलग निकाय हैं. पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई क़ुरैशी के अनुसार, मूल प्रस्ताव लोकतंत्र के तीनों स्तरों - लोकसभा (543 सांसद), विधानसभा (4120 विधायक) और पंचायतों/नगर पालिकाओं (30 लाख सदस्य) के लिए एक साथ चुनाव कराने का था.
शनिवार की अधिसूचना में बताया गया कि 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव ज्यादातर एक साथ होते थे, जिसके बाद यह चक्र टूट गया और अब, लगभग हर साल और एक साल के भीतर भी अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिसके परिणाम सरकार और अन्य हितधारकों द्वारा बड़े पैमाने पर व्यय के तौर पर सामने आते हैं. इसमें कहा गया है कि इससे ऐसे चुनावों में लगे सुरक्षा बलों और अन्य निर्वाचन अधिकारियों का अपने प्राथमिक कर्तव्यों से लंबे समय तक ध्यान भटक जाता है। इसमें कहा गया है कि बार-बार होने वाले मतदान से आदर्श आचार संहिता के लंबे समय तक लागू रहने के कारण विकास कार्य बाधित होते हैं.
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(पीटीआई-भाषा)