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एजी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- 'डीएमके सरकार ने PSC चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रखी' - अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी

तमिलनाडु में लंबित बिलों का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान एजी ने कहा कि राज्यपाल के संज्ञान में आया है कि डीएमके सरकार ने लोक सेवा आयोग के लिए चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रखी. DMK govt did not maintain transparency, AG to SC, selection process of PSC, Tamil Nadu governor govt row.

AG to SC
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 23, 2023, 7:34 PM IST

नई दिल्ली : अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने पाया है कि राज्य में डीएमके सरकार ने तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के लिए पूरी चयन प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं रखी है.

तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित प्रस्तावों के संबंध में एक नोट में एजी ने कहा, 'राज्यपाल ने पाया कि पूरी चयन प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने पाया कि जिस व्यक्ति को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना है, यदि नियुक्त किया जाता है, तो उसके पास कार्यालय में एक वर्ष से कम का समय होगा.'

नोट में कहा गया है, 'इसके अलावा, अनुशंसित सदस्यों में से एक को उस कॉलेज द्वारा कुप्रबंधन के लिए निलंबित कर दिया गया था जहां वह एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे और अपीलीय प्राधिकारी ने भी निलंबन को बरकरार रखा था.'

एजी ने कहा कि चूंकि चयन के तरीके में राज्यपाल की चिंताओं का सरकार द्वारा समाधान नहीं किया गया, इसलिए संबंधित प्रस्ताव 26 अक्टूबर, 2023 को वापस कर दिया गया था और वर्तमान में, यह मामला राज्यपाल के कार्यालय में लंबित नहीं है.

नोट में कहा गया है कि 'हालांकि, गौरतलब है कि राज्यपाल ने सरकार से मिले नियुक्ति के अन्य सभी प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है.' राज्य के तीन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के चयन के लिए सर्च कमेटी गठित करने के मुद्दे पर एजी ने कहा, 'उपरोक्त निर्णय और यूजीसी विनियम, 2018 के अनुसार सर्च कम सिलेक्शन कमेटी का पुनर्गठन करने के लिए सरकार को लिखित संचार भेजा गया था. चूंकि सरकार ने बार-बार याद दिलाने के बावजूद यूजीसी विनियमों के अनुसार समिति का पुनर्गठन नहीं किया, राज्यपाल-कुलाधिपति के पास यूजीसी अध्यक्ष के नामित व्यक्ति को जोड़ने और खोज सह चयन समिति का पुनर्गठन करने और उसे अधिसूचित करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था.'

नोट में कहा गया है कि मद्रास विश्वविद्यालय के मामले में गवर्नर-चांसलर ने यूजीसी अध्यक्ष के नामित व्यक्ति को जोड़ा है और खोज सह चयन समिति का गठन किया है. नोट में कहा गया है कि जनवरी, 2020 से राज्यपाल को 181 विधेयक प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 152 को मंजूरी दे दी गई, नौ राष्ट्रपति के विचार के लिए रिजर्व थे और 10 रोक दिए गए थे और पांच अभी भी प्रक्रिया में थे.

कहा गया है कि '16 नवंबर, 2023 तक केवल पांच विधेयक जो अक्टूबर 2023 के महीने में प्राप्त हुए हैं, विचाराधीन हैं. 18 नवंबर, 2023 को तमिलनाडु विधानसभा का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया और जिन 10 विधेयकों पर राज्यपाल ने सहमति रोक दी थी, उन पर पुनर्विचार किया गया और विधानसभा में पारित किया गया. राज्य सरकार द्वारा सभी 10 विधेयक 18 नवंबर 2023 को राज्यपाल सचिवालय को भेज दिए गए हैं.'

दोषियों की समयपूर्व रिहाई के प्रस्तावों पर एजी ने कहा कि 580 प्रस्तावों में से 362 को मंजूरी दे दी गई, 165 को खारिज कर दिया गया और 53 अभी भी जांच के अधीन हैं. '53 लंबित प्रस्तावों में से दो 20 जून, 2023 को, एक 4 अगस्त, 2023 को, एक 9 अगस्त को और शेष 49, 24 अगस्त 2023 को प्राप्त हुए. सभी लंबित प्रस्ताव हाल ही में प्राप्त हुए हैं.'

20 नवंबर को तमिलनाडु सरकार की एक रिट याचिका पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सहमति के लिए प्रस्तुत बिलों के निपटान में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की ओर से देरी पर सवाल उठाया और कहा कि 'बिल जनवरी से लंबित हैं. 2020 और राज्यपाल तीन साल तक क्या कर रहे थे.'

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नई दिल्ली : अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने पाया है कि राज्य में डीएमके सरकार ने तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के लिए पूरी चयन प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं रखी है.

तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित प्रस्तावों के संबंध में एक नोट में एजी ने कहा, 'राज्यपाल ने पाया कि पूरी चयन प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने पाया कि जिस व्यक्ति को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना है, यदि नियुक्त किया जाता है, तो उसके पास कार्यालय में एक वर्ष से कम का समय होगा.'

नोट में कहा गया है, 'इसके अलावा, अनुशंसित सदस्यों में से एक को उस कॉलेज द्वारा कुप्रबंधन के लिए निलंबित कर दिया गया था जहां वह एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे और अपीलीय प्राधिकारी ने भी निलंबन को बरकरार रखा था.'

एजी ने कहा कि चूंकि चयन के तरीके में राज्यपाल की चिंताओं का सरकार द्वारा समाधान नहीं किया गया, इसलिए संबंधित प्रस्ताव 26 अक्टूबर, 2023 को वापस कर दिया गया था और वर्तमान में, यह मामला राज्यपाल के कार्यालय में लंबित नहीं है.

नोट में कहा गया है कि 'हालांकि, गौरतलब है कि राज्यपाल ने सरकार से मिले नियुक्ति के अन्य सभी प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है.' राज्य के तीन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के चयन के लिए सर्च कमेटी गठित करने के मुद्दे पर एजी ने कहा, 'उपरोक्त निर्णय और यूजीसी विनियम, 2018 के अनुसार सर्च कम सिलेक्शन कमेटी का पुनर्गठन करने के लिए सरकार को लिखित संचार भेजा गया था. चूंकि सरकार ने बार-बार याद दिलाने के बावजूद यूजीसी विनियमों के अनुसार समिति का पुनर्गठन नहीं किया, राज्यपाल-कुलाधिपति के पास यूजीसी अध्यक्ष के नामित व्यक्ति को जोड़ने और खोज सह चयन समिति का पुनर्गठन करने और उसे अधिसूचित करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था.'

नोट में कहा गया है कि मद्रास विश्वविद्यालय के मामले में गवर्नर-चांसलर ने यूजीसी अध्यक्ष के नामित व्यक्ति को जोड़ा है और खोज सह चयन समिति का गठन किया है. नोट में कहा गया है कि जनवरी, 2020 से राज्यपाल को 181 विधेयक प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 152 को मंजूरी दे दी गई, नौ राष्ट्रपति के विचार के लिए रिजर्व थे और 10 रोक दिए गए थे और पांच अभी भी प्रक्रिया में थे.

कहा गया है कि '16 नवंबर, 2023 तक केवल पांच विधेयक जो अक्टूबर 2023 के महीने में प्राप्त हुए हैं, विचाराधीन हैं. 18 नवंबर, 2023 को तमिलनाडु विधानसभा का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया और जिन 10 विधेयकों पर राज्यपाल ने सहमति रोक दी थी, उन पर पुनर्विचार किया गया और विधानसभा में पारित किया गया. राज्य सरकार द्वारा सभी 10 विधेयक 18 नवंबर 2023 को राज्यपाल सचिवालय को भेज दिए गए हैं.'

दोषियों की समयपूर्व रिहाई के प्रस्तावों पर एजी ने कहा कि 580 प्रस्तावों में से 362 को मंजूरी दे दी गई, 165 को खारिज कर दिया गया और 53 अभी भी जांच के अधीन हैं. '53 लंबित प्रस्तावों में से दो 20 जून, 2023 को, एक 4 अगस्त, 2023 को, एक 9 अगस्त को और शेष 49, 24 अगस्त 2023 को प्राप्त हुए. सभी लंबित प्रस्ताव हाल ही में प्राप्त हुए हैं.'

20 नवंबर को तमिलनाडु सरकार की एक रिट याचिका पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सहमति के लिए प्रस्तुत बिलों के निपटान में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की ओर से देरी पर सवाल उठाया और कहा कि 'बिल जनवरी से लंबित हैं. 2020 और राज्यपाल तीन साल तक क्या कर रहे थे.'

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