नई दिल्ली : इन दिनों संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session) चल रहा है. सरकार चुनाव सुधार संबंधी विधेयक (Bill Related To Electoral Reforms) सोमवार को लोकसभा में पेश करेगी. यह जानकारी लोकसभा के एक बुलेटिन में दी गई. बुलेटिन में कहा गया है कि ‘चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक 2021 निचले सदन (lower house) यानि लोकसभा (loksabha) की सोमवार की कार्यसूची में सूचीबद्ध है जिसे विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजीजू पेश करेंगे.
इस विधेयक के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 (representation of the people act 1950) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (1951 representation of the people act 1951) में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी. इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा (Aadhaar-voter card link Bill).
मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए विधेयक के मुताबिक, चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा. वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है. प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी.
निर्वाचन आयोग ने विधि मंत्रालय से जनप्रतिनिधित्व कानून में सैन्य मतदाताओं से संबंधित प्रावधानों में ‘पत्नी शब्द को बदलकर spouse यानी जीवनसाथी करने को कहा था. इसके तहत एक अन्य प्रावधान में युवाओं को मतदाता के रूप में प्रत्येक वर्ष चार तिथियों के हिसाब से पंजीकरण कराने की अनुमति देने की बात कही गई है. वर्तमान में एक जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष के होने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति दी जाती है.
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निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति देने के लिए कई ‘कट ऑफ तारीख की वकालत करता रहा है. आयोग ने सरकार से कहा था कि एक जनवरी की ‘कट ऑफ तिथि के कारण मतदाता सूची की कवायद से अनेक युवा वंचित रह जाते हैं. केवल एक ‘कट ऑफ तिथि होने के कारण दो जनवरी या इसके बाद1 8 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिए अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था.
विधि एवं न्याय संबंधी संसदीय समिति द्वारा संसद के जारी शीतकालीन सत्र में हाल में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि विधि मंत्रालय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 14-बी में संशोधन करना चाहता है. इसमें कहा गया कि संशोधन में मतदाता पंजीकरण के लिए हर वर्ष चार ‘कट ऑफ तिथियों-एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई तथा एक अक्टूबर-रखने का प्रस्ताव है.
इससे पहले मार्च में, उस समय विधि मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी थी कि निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची से आधार प्रणाली को जोड़ने का प्रस्ताव किया है, ताकि कोई व्यक्ति विभिन्न स्थानों से कई बार पंजीकरण न करा सके.
(पीटीआई-भाषा)