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नागरिकता कानून को लेकर गोरखाओं ने असम सरकार के फैसले का किया स्वागत

बीजेपी सचिव नंदा किराति दिवान ने कहा असम सरकार का फैसला उन गोरखा लोगों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है. जिन पर नागरिकता कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था.

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा
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Published : Aug 5, 2021, 11:07 PM IST

गुवाहाटी : भारतीय गोरखा परिसंघ (बीजीपी) ने गोरखाओं पर नागरिकता कानून के तहत अभियोजन नहीं चलाने एवं विदेशी न्यायाधिकरण में इस समुदाय के सदस्यों के विरूद्ध दर्ज सभी मामले वापस लेने के असम सरकार के फैसले का गुरूवार को स्वागत किया गया.

बीजेपी ने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा को अपने मंत्रिपरिषद के साथ मिलकर यह फैसला करने पर धन्यवाद भी दिया. जिससे राज्य में गोरखाओं के सामने 1997 से खड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा. बीजेपी सचिव नंदा किराति दिवान ने यहां एक बयान में कहा, मंत्रिमंडल का फैसला उन गोरखा लोगों के परिवारों के लिए बड़ी राहत के तौर पर आया है. जिन पर नागरिकता कानून के तहत मुकदमा चलाया गया. इससे इस समुदाय के ऊपर से अवैध प्रवासी या विदेशी का चस्पा भी हट जाएगा जो असल में असम के मूल बाशिंदे हैं और असली भारतीय नागरिक हैं.

बीजेपी के अनुसार राज्य में 1997 से कम से कम 22000 गोरखाओं को मतदाता सूची में डी वोटर (संदिग्ध मतदाता) चिह्नित कर दिया गया है और विदेशी न्यायाधिकरणों में नागरिकता से जुड़े करीब 2500 मामलों की सुनवाई चल रही है.

इसे भी पढ़े-असम-मिजोरम बातचीत के जरिए सीमा विवाद का करेंगे समाधान

दिवानी ने कहा, समुदाय चाहता है कि मंत्रिमंडल के फैसले के क्रियान्वयन के जरिए गोरखाओं पर से डी वोटर का चस्पा हटाया जाए. ताकि वे राज्य में आगामी उपचुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें.असम मंत्रिमंडल ने बुधवार को निर्णय किया कि राज्य में गोरखा समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध विदेशी न्यायाधिकरण में नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा.

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इस समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध दर्ज वर्तमान मामलों को भी वापस लेने का निर्णय लिया गया।

(पीटीआई-भाषा)

गुवाहाटी : भारतीय गोरखा परिसंघ (बीजीपी) ने गोरखाओं पर नागरिकता कानून के तहत अभियोजन नहीं चलाने एवं विदेशी न्यायाधिकरण में इस समुदाय के सदस्यों के विरूद्ध दर्ज सभी मामले वापस लेने के असम सरकार के फैसले का गुरूवार को स्वागत किया गया.

बीजेपी ने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा को अपने मंत्रिपरिषद के साथ मिलकर यह फैसला करने पर धन्यवाद भी दिया. जिससे राज्य में गोरखाओं के सामने 1997 से खड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा. बीजेपी सचिव नंदा किराति दिवान ने यहां एक बयान में कहा, मंत्रिमंडल का फैसला उन गोरखा लोगों के परिवारों के लिए बड़ी राहत के तौर पर आया है. जिन पर नागरिकता कानून के तहत मुकदमा चलाया गया. इससे इस समुदाय के ऊपर से अवैध प्रवासी या विदेशी का चस्पा भी हट जाएगा जो असल में असम के मूल बाशिंदे हैं और असली भारतीय नागरिक हैं.

बीजेपी के अनुसार राज्य में 1997 से कम से कम 22000 गोरखाओं को मतदाता सूची में डी वोटर (संदिग्ध मतदाता) चिह्नित कर दिया गया है और विदेशी न्यायाधिकरणों में नागरिकता से जुड़े करीब 2500 मामलों की सुनवाई चल रही है.

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दिवानी ने कहा, समुदाय चाहता है कि मंत्रिमंडल के फैसले के क्रियान्वयन के जरिए गोरखाओं पर से डी वोटर का चस्पा हटाया जाए. ताकि वे राज्य में आगामी उपचुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें.असम मंत्रिमंडल ने बुधवार को निर्णय किया कि राज्य में गोरखा समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध विदेशी न्यायाधिकरण में नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा.

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इस समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध दर्ज वर्तमान मामलों को भी वापस लेने का निर्णय लिया गया।

(पीटीआई-भाषा)

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