रायपुर: छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मिला है. ये रिकॉर्ड राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में चले अरण्य कांड के लिए दिया गया है. तीन दिन तक चले राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में लगातार 765 मिनट तक अलग अलग भाषा में अरण्य कांड की प्रस्तुति हुई.
मोस्ट स्टेज आर्टिस्ट परफार्मिंग ऑन अरण्य कांड: राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में सबसे ज्यादा कलाकार और सबसे देर तक चलने वाले अरण्य कांड के लिए संस्कृति विभाग को पुरस्कार मिला है. 375 कलाकर, 17 दल, 13 राज्य और 2 अंतरराष्ट्रीय देशों के कलाकारों ने अरण्य कांड पर 765 मिनट की प्रस्तुति देकर ये रिकॉर्ड बनाया है. रामायण महोत्सव के सफल आयोजन के लिए रायगढ़ जिला प्रशासन को भी रिकॉर्ड दिया गया है. यहां 10 हजार से ज्यादा लोगों ने सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया.
रामायण महोत्सव का समापन: रायगढ़ में तीन दिवसीय नेशनल रामायण महोत्सव का समापन शनिवार को हुआ. इस दिन केरल, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ की परफार्मेंस हुई. शाम को कंबोडिया के कलाकारों की विशेष प्रस्तुति हुई. केलो महाआरती और दिव्य दीपदान भी हुआ. इसके बाद सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ किया गया. इंडोनेशिया के कलाकारों ने भी विशेष प्रस्तुति दी. रात 9 बजे मैथिली ठाकुर ने भजन संध्या में मन रमाया तो वहीं इसके बाद कवि कुमार विश्वास ने रामकथा सुनाकर सबका मन मोह लिया.
रामायण महोत्सव के पहले दिन क्या हुआ: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने रामायण महोत्सव का शुभारंभ किया. दीप प्रज्ज्वलित कर छत्तीसगढ़ी राजगीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई. भजन गायक दिलीप षडंगी ने हनुमान चालीसा की मनमोहक प्रस्तुति दी. सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया गया. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, गोवा, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड सहित इंडोनेशिया और कंबोडिया की टीमों ने मार्च पास्ट किया. मुंबई से गायिका शणमुख प्रिया और भजन गायक शरद शर्मा भी रायगढ़ पहुंचे. कार्यक्रम में आए सभी कलाकारों को राजकीय गमछा और रामचरित मानस की प्रति भेंट कर सम्मानित किया गया.
रामायण महोत्सव का दूसरा दिन: महोत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ से हुई. इसके बाद अंतरराज्यीय रामायण मंडलियों के बीच अरण्य कांड पर आधारित प्रतियोगिता हुई. जिसमें महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, असम, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, गोवा और छत्तीसगढ़ की टीम ने भाग लिया. शाम को बाबा हंसराज रघुवंशी और लखबीर सिंह लक्खा ने भजन संध्या की प्रस्तुति दी.