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नवीन पटनायक : भारतीय हॉकी को 'खेल' में बनाए रखने वाला 'खिलाड़ी' - India's Hockey

टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारतीय महिला और पुरुष हॉकी टीम का प्रदर्शन उम्दा रहा. चार दशकों बाद पुरुष टीम ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची. तो वहीं महिला हॉकी टीम भी पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची. हालांकि, दोनों टीम फाइनल में नहीं पहुंच सकीं. हमारी हॉकी टीमें हारीं जरूर हैं, लेकिन एक उम्मीद जगी गई है कि आने वाले समय में भारतीय हॉकी अतीत के अपने गौरव को फिर हासिल कर सकती है. हॉकी की दोनों टीमों को यहां तक पहुंचाने में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अहम भूमिका निभाई है. दोनों टीमों को राज्य की तरफ से प्रायोजित करवाने वाला शख्स कोई और नहीं, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ही हैं.

नवीन पटनायक
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Published : Aug 4, 2021, 8:03 PM IST

भुवनेश्वर : ओडिशा में नवीन पटनायक की सरकार ने जब 2018 में हॉकी इंडिया के साथ पुरुष और महिला दोनों राष्ट्रीय टीमों को प्रायोजित करने के लिए पांच साल का करार किया था तब आलोचकों ने हैरानी जताई थी कि बार-बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वाला यह गरीब राज्य क्या इस खेल के लिए सरकारी खजाने पर 100 करोड़ रुपये का बोझ वहन कर पाएगा.

ठीक तीन साल बाद, ओडिशा सरकार ने सभी राष्ट्रीय और स्थानीय दैनिक अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर घोषणा की- 'इस उल्लेखनीय यात्रा में हॉकी इंडिया के साथ भागीदारी करके ओडिशा को गर्व है.'

गर्व होता भी क्यों न, मौका ही ऐसा था. राष्ट्रीय पुरुष और महिला हॉकी टीमें टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल में पहुंच गई थीं. पुरुष टीम ने 41 साल बाद सेमीफाइनल में जगह बनाई थी तो वहीं महिला टीम पहली बार ओलंपिक में इस स्तर पर पहुंची है.

हॉकी की दोनों टीमों को राज्य की तरफ से प्रायोजित करवाने वाला शख्स कोई और नहीं, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हैं. उन्होंने आलोचकों को माकूल जवाब देते हुए कहा, 'खेल में निवेश युवाओं में निवेश है.'

उन्होंने कहा कि इस मंत्र ने ओडिशा का ध्यान हॉकी पर केंद्रित करवाया, जो एक तरह से जनजातीय आबादी के लिये जीवन जीने का तरीका है. पटनायक ने कहा, 'सुंदरगढ़ जिले के बच्चे हाथों में हॉकी स्टिक पकड़कर चलना सीखते हैं.'

विपक्षी दलों समेत आलोचकों का मुंह बंद करते हुए उन्होंने कहा कि पांच साल तक प्रायोजक बनने का करार ओडिशा का राष्ट्र को तोहफा है. उन्होंने पांच सालों में प्रायोजन राशि को भी बढ़ाकर 150 करोड़ कर दिया है.

ओडिशा सरकार ने घोषणा की, '38 चैंपियनों ने हॉकी में इतिहास लिखा, 1.3 अरब भारतीय सीना तान कर चलते हैं.'

जैसे ही हॉकी में देश की दावेदारी बढ़ी, पटनायक खुश हो गए और टेलीविजन पर ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल मैच को देखते हुए खड़े होकर भारतीय टीम का इस्तकबाल किया. अगले दिन, आम तौर पर शर्मीले और अंतर्मुखी नवीन काले रंग की टी-शर्ट और ट्राउजर पहने नजर आए और 'थम्स अप' का भाव दिखाते हुए जीत का जश्न मनाया.

भारतीय पुरुष हॉकी टीम को सेमीफाइनल में बेल्जियम के हाथों 2-5 से मिली हार के बावजूद 74 वर्षीय पटनायक आहत नहीं हैं.

पटनायक ने कांस्य पदक के लिये भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा, 'अच्छा खेले. विश्व चैंपियन बेल्जियम के खिलाफ टोक्यो 2020 के सेमीफाइनल में कड़ी टक्कर देने के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम को बधाई. उन्होंने जो हासिल किया है वो खिलाड़ियों की एक पीढ़ी को प्रेरित करेगा. भविष्य के लिये उन्हें शुभकामनाएं.' कांस्य पदक के लिये भारत का मुकाबला जर्मनी से होगा.

वहीं अर्जेटीना ने टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय महिला हॉकी टीम को 2-1 से हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया, जबकि भारत का स्वर्ण पदक मुकाबले में पहुंचने का सपना टूट गया.

भारतीय महिला टीम भले ही फाइनल में नहीं पहुंच सकी, लेकिन उसके पास कांस्य पदक जीतने का मौका अभी शेष है। कांस्य पदक के लिए उसका सामना ग्रेट ब्रिटेन से होगा

हॉकी से पटनायक का जुड़ाव उनके बचपन के दिनों से है जब वो दून स्कूल में थे और वहां टीम के गोलकीपर या 'गोली' थे.

लगातार पांच बार से ओडिशा के मुख्यमंत्री पटनायक को अंतत: अब राष्ट्रीय खेल के लिये योगदान करने की इच्छा पूरी करने का मौका मिला है जो 1970 के दशक के अंत में क्रिकेट के लोकप्रिय होने के बाद से हाशिये पर जा रहा था.

(पीटीआई भाषा)

भुवनेश्वर : ओडिशा में नवीन पटनायक की सरकार ने जब 2018 में हॉकी इंडिया के साथ पुरुष और महिला दोनों राष्ट्रीय टीमों को प्रायोजित करने के लिए पांच साल का करार किया था तब आलोचकों ने हैरानी जताई थी कि बार-बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वाला यह गरीब राज्य क्या इस खेल के लिए सरकारी खजाने पर 100 करोड़ रुपये का बोझ वहन कर पाएगा.

ठीक तीन साल बाद, ओडिशा सरकार ने सभी राष्ट्रीय और स्थानीय दैनिक अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर घोषणा की- 'इस उल्लेखनीय यात्रा में हॉकी इंडिया के साथ भागीदारी करके ओडिशा को गर्व है.'

गर्व होता भी क्यों न, मौका ही ऐसा था. राष्ट्रीय पुरुष और महिला हॉकी टीमें टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल में पहुंच गई थीं. पुरुष टीम ने 41 साल बाद सेमीफाइनल में जगह बनाई थी तो वहीं महिला टीम पहली बार ओलंपिक में इस स्तर पर पहुंची है.

हॉकी की दोनों टीमों को राज्य की तरफ से प्रायोजित करवाने वाला शख्स कोई और नहीं, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हैं. उन्होंने आलोचकों को माकूल जवाब देते हुए कहा, 'खेल में निवेश युवाओं में निवेश है.'

उन्होंने कहा कि इस मंत्र ने ओडिशा का ध्यान हॉकी पर केंद्रित करवाया, जो एक तरह से जनजातीय आबादी के लिये जीवन जीने का तरीका है. पटनायक ने कहा, 'सुंदरगढ़ जिले के बच्चे हाथों में हॉकी स्टिक पकड़कर चलना सीखते हैं.'

विपक्षी दलों समेत आलोचकों का मुंह बंद करते हुए उन्होंने कहा कि पांच साल तक प्रायोजक बनने का करार ओडिशा का राष्ट्र को तोहफा है. उन्होंने पांच सालों में प्रायोजन राशि को भी बढ़ाकर 150 करोड़ कर दिया है.

ओडिशा सरकार ने घोषणा की, '38 चैंपियनों ने हॉकी में इतिहास लिखा, 1.3 अरब भारतीय सीना तान कर चलते हैं.'

जैसे ही हॉकी में देश की दावेदारी बढ़ी, पटनायक खुश हो गए और टेलीविजन पर ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल मैच को देखते हुए खड़े होकर भारतीय टीम का इस्तकबाल किया. अगले दिन, आम तौर पर शर्मीले और अंतर्मुखी नवीन काले रंग की टी-शर्ट और ट्राउजर पहने नजर आए और 'थम्स अप' का भाव दिखाते हुए जीत का जश्न मनाया.

भारतीय पुरुष हॉकी टीम को सेमीफाइनल में बेल्जियम के हाथों 2-5 से मिली हार के बावजूद 74 वर्षीय पटनायक आहत नहीं हैं.

पटनायक ने कांस्य पदक के लिये भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा, 'अच्छा खेले. विश्व चैंपियन बेल्जियम के खिलाफ टोक्यो 2020 के सेमीफाइनल में कड़ी टक्कर देने के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम को बधाई. उन्होंने जो हासिल किया है वो खिलाड़ियों की एक पीढ़ी को प्रेरित करेगा. भविष्य के लिये उन्हें शुभकामनाएं.' कांस्य पदक के लिये भारत का मुकाबला जर्मनी से होगा.

वहीं अर्जेटीना ने टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय महिला हॉकी टीम को 2-1 से हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया, जबकि भारत का स्वर्ण पदक मुकाबले में पहुंचने का सपना टूट गया.

भारतीय महिला टीम भले ही फाइनल में नहीं पहुंच सकी, लेकिन उसके पास कांस्य पदक जीतने का मौका अभी शेष है। कांस्य पदक के लिए उसका सामना ग्रेट ब्रिटेन से होगा

हॉकी से पटनायक का जुड़ाव उनके बचपन के दिनों से है जब वो दून स्कूल में थे और वहां टीम के गोलकीपर या 'गोली' थे.

लगातार पांच बार से ओडिशा के मुख्यमंत्री पटनायक को अंतत: अब राष्ट्रीय खेल के लिये योगदान करने की इच्छा पूरी करने का मौका मिला है जो 1970 के दशक के अंत में क्रिकेट के लोकप्रिय होने के बाद से हाशिये पर जा रहा था.

(पीटीआई भाषा)

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