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जीएफपी के कार्यकारी अध्यक्ष ने पार्टी छोड़ी, तृणमूल में शामिल

जीएफपी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा कि कंडोलकर का जाना चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा, मैं गठबंधन पर एआईसीसी गोवा डेस्क प्रभारी दिनेश गुंडू राव के हालिया बयान का स्वागत करता हूं.

जीएफपी के कार्यकारी अध्यक्ष किरन कंडोलकर ने तृणमूल कांग्रेस का थामा दामन
जीएफपी के कार्यकारी अध्यक्ष किरन कंडोलकर ने तृणमूल कांग्रेस का थामा दामन
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Published : Nov 21, 2021, 4:25 AM IST

पणजी: गोवा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ संभावित गठजोड़ के खिलाफ गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के कार्यकारी अध्यक्ष किरन कंडोलकर ने शनिवार को पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लुईजिन्हो फलेरो ने कंडोलकर का पार्टी में स्वागत किया.

भारतीय जनता पार्टी के विधायक रह चुके कंडोलकर 2020 में जीएफपी में शामिल हुये थे. संयोगवश, पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिये कंडोलकर को अल्डोना सीट से उम्मीदवार बनाया था.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस ने वहां चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. मुझे लगता है कि विजय सरदेसाई की अगुवाई वाली पार्टी को कांग्रेस अंतिम समय में धोखा देगी. मैं महसूस करता हूं कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दल भाजपा को हराने को लेकर गंभीर नहीं हैं. कंडोलकर ने कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ही एक ऐसी राजनीतिक पार्टी है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हरा सकती है.

उन्होंने कहा, राहुल गांधी अथवा अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी को नहीं करा सकते हैं, लेकिन ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में दिखा दिया है कि वह भाजपा से दो-दो हाथ कर सकती हैं और उसे हरा सकती हैं.

जीएफपी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा कि कंडोलकर का जाना चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा, मैं गठबंधन पर एआईसीसी गोवा डेस्क प्रभारी दिनेश गुंडू राव के हालिया बयान का स्वागत करता हूं. मैं गोवा के लोगों से वादा करता हूं कि हम एकजुट होकर भाजपा के वायरस को खत्म करने के लिए काम करेंगे, जो अब गोवा को प्रभावित कर रहा है.

पढ़ें: महुआ मोइत्रा को तृणमूल कांग्रेस की गोवा इकाई का प्रभारी बनाया गया

राव ने हाल ही में घोषणा की थी कि कांग्रेस चुनाव गठबंधन के लिए जीएफपी, राकांपा और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर रही है. गोवा में 2017 में हुये विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 40 सदस्यीय विधानसभा में 17 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा को 13 सीटों से संतोष करना पड़ा था. हालांकि, भाजपा ने जीएफपी जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में सरकार का गठन कर लिया था.

पीटीआई-भाषा

पणजी: गोवा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ संभावित गठजोड़ के खिलाफ गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के कार्यकारी अध्यक्ष किरन कंडोलकर ने शनिवार को पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लुईजिन्हो फलेरो ने कंडोलकर का पार्टी में स्वागत किया.

भारतीय जनता पार्टी के विधायक रह चुके कंडोलकर 2020 में जीएफपी में शामिल हुये थे. संयोगवश, पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिये कंडोलकर को अल्डोना सीट से उम्मीदवार बनाया था.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस ने वहां चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. मुझे लगता है कि विजय सरदेसाई की अगुवाई वाली पार्टी को कांग्रेस अंतिम समय में धोखा देगी. मैं महसूस करता हूं कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दल भाजपा को हराने को लेकर गंभीर नहीं हैं. कंडोलकर ने कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ही एक ऐसी राजनीतिक पार्टी है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हरा सकती है.

उन्होंने कहा, राहुल गांधी अथवा अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी को नहीं करा सकते हैं, लेकिन ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में दिखा दिया है कि वह भाजपा से दो-दो हाथ कर सकती हैं और उसे हरा सकती हैं.

जीएफपी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा कि कंडोलकर का जाना चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा, मैं गठबंधन पर एआईसीसी गोवा डेस्क प्रभारी दिनेश गुंडू राव के हालिया बयान का स्वागत करता हूं. मैं गोवा के लोगों से वादा करता हूं कि हम एकजुट होकर भाजपा के वायरस को खत्म करने के लिए काम करेंगे, जो अब गोवा को प्रभावित कर रहा है.

पढ़ें: महुआ मोइत्रा को तृणमूल कांग्रेस की गोवा इकाई का प्रभारी बनाया गया

राव ने हाल ही में घोषणा की थी कि कांग्रेस चुनाव गठबंधन के लिए जीएफपी, राकांपा और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर रही है. गोवा में 2017 में हुये विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 40 सदस्यीय विधानसभा में 17 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा को 13 सीटों से संतोष करना पड़ा था. हालांकि, भाजपा ने जीएफपी जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में सरकार का गठन कर लिया था.

पीटीआई-भाषा

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