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गहलोत सरकार के गले की फांस बनी राजनीतिक नियुक्तियां - आयोग व बोर्ड के दर्जनों पद खाली

राजस्थान में गहलोत सरकार को ढाई साल होने को हैं लेकिन राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से लेकर सभी को है. महिला, अल्पसंख्यक, किसान जैसे महत्वपूर्ण आयोग जो सीधा आम जनता से जुड़े हैं उनमें भी नियुक्तियां नहीं हुई हैं.

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Published : Feb 13, 2021, 8:46 PM IST

जयपुर : राजस्थान में गहलोत सरकार को ढाई साल पूरे होने को हैं लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां सरकार अभी भी नहीं कर पाई है. जिसका खामियाजा आमलोगों को उठाना पड़ रहा है. महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, किसान आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग जैसे कई आयोग हैं जो राजनीतिक नियुक्तियों की राह देख रहे हैं.

पिछले ढाई सालों में कांग्रेस में कभी पार्टी अध्यक्ष को लेकर तो कभी सरकार बचाने को लेकर लगातार उठापटक चलती रही है. जिसके चलते लगातार राजनीतिक नियुक्तियों को टाला जा रहा है. कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी पार्टी को झेलनी पड़ रही है. राज्य महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, किसान आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, मदरसा बोर्ड, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड और खादी बोर्ड सीधे आम आदमी से जुड़े हैं लेकिन यहां सरकार राजनीतिक नियुक्तियां नहीं कर पाई है.

राजस्थान : आयोग व बोर्ड के दर्जनों पद खाली

ढाई साल से महिला आयोग पद खाली

सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि सरकार चाहे किसी की भी हो उसे आयोगों में जल्द से जल्द राजनीतिक नियुक्तियां करनी चाहिए. नियुक्तियों में देरी से आमजन को न्याय मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि राज्य में महिला आयोग के गठन का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में आया था. उस समय परिकल्पना की गई थी पीड़ित महिलाओं को समय पर न्याय मिले. गरीब और दूरदराज के इलाकों में जहां महिलाओं को न्याय नहीं मिलता उनकी आयोग में सुनवाई हो. इसलिए प्रदेश में महिला आयोग का अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मजबूती के साथ गठन किया गया था. लेकिन जिस तरीके से महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति ढाई साल बाद भी नहीं हुई है ये अपने आप में महिलाओं के साथ अन्याय है.

आयोगों और बोर्डों में नियुक्तियों की दरकार

हाउसिंग बोर्ड, राज्य क्रीड़ा परिषद, बुनकर सहकारी संघ, आरटीडीसी, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, समाज कल्याण बोर्ड, उपाध्यक्ष बी सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, अल्पसंख्यक आयोग, राज्य महिला आयोग, किसान आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, मदरसा बोर्ड, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड, डांग विकास बोर्ड, खादी बोर्ड, राज्य बीज निगम पशु कल्याण बोर्ड, साहित्य अकादमी, उर्दू अकादमी, संस्कृत अकादमी, ब्रजभाषा अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, सिंधी भाषा अकादमी, सहकारी डेयरी फेडरेशन, वक्फ बोर्ड, सार्वजनिक मंडल राज्य कमेटी, राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड, सेंटर फॉर डेवलपमेंट, मगरा क्षेत्र विकास बोर्ड, विकास बोर्ड, भूदान बोर्ड, युवा बोर्ड, शिल्प और माटी कला बोर्ड, लघु उद्योग विकास निगम, नीति आयोग, गौ सेवा आयोग, पशु कल्याण बोर्ड, मेला विकास प्राधिकरण बोर्ड राजनीतिक नियुक्तियों की राह देख रहे हैं.

विपक्ष के निशाने पर सरकार

इसके अलावा जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया जाता है. जहां पर भी नियुक्ति नहीं हो पाई हैं. विपक्ष भी सरकार को इस मुद्दे पर घेरता आया है. नेता प्रतिपक्ष गुलाब चन्द कटारिया ने कहा था कि कांग्रेस अगर मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां करती है तो उनकी सरकार गिरना तय है. जिसके बाद यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को घर संभालने की जरूरत है. अलग-अलग टुकड़ों में बंटी बीजेपी को नसीहत देने की जरूरत नहीं है.

यह भी पढ़ें-राहुल पहले शादी कर लें, फिर कहें 'हम दो हमारे दो' तो अच्छा रहेगा : अठावले

बहरहाल प्रदेश की गहलोत सरकार पार्टी की आंतरिक कलह के चलते राजनीतिक नियुक्तियों में लगातार टालती आ रही है.

जयपुर : राजस्थान में गहलोत सरकार को ढाई साल पूरे होने को हैं लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां सरकार अभी भी नहीं कर पाई है. जिसका खामियाजा आमलोगों को उठाना पड़ रहा है. महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, किसान आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग जैसे कई आयोग हैं जो राजनीतिक नियुक्तियों की राह देख रहे हैं.

पिछले ढाई सालों में कांग्रेस में कभी पार्टी अध्यक्ष को लेकर तो कभी सरकार बचाने को लेकर लगातार उठापटक चलती रही है. जिसके चलते लगातार राजनीतिक नियुक्तियों को टाला जा रहा है. कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी पार्टी को झेलनी पड़ रही है. राज्य महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, किसान आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, मदरसा बोर्ड, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड और खादी बोर्ड सीधे आम आदमी से जुड़े हैं लेकिन यहां सरकार राजनीतिक नियुक्तियां नहीं कर पाई है.

राजस्थान : आयोग व बोर्ड के दर्जनों पद खाली

ढाई साल से महिला आयोग पद खाली

सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि सरकार चाहे किसी की भी हो उसे आयोगों में जल्द से जल्द राजनीतिक नियुक्तियां करनी चाहिए. नियुक्तियों में देरी से आमजन को न्याय मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि राज्य में महिला आयोग के गठन का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में आया था. उस समय परिकल्पना की गई थी पीड़ित महिलाओं को समय पर न्याय मिले. गरीब और दूरदराज के इलाकों में जहां महिलाओं को न्याय नहीं मिलता उनकी आयोग में सुनवाई हो. इसलिए प्रदेश में महिला आयोग का अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मजबूती के साथ गठन किया गया था. लेकिन जिस तरीके से महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति ढाई साल बाद भी नहीं हुई है ये अपने आप में महिलाओं के साथ अन्याय है.

आयोगों और बोर्डों में नियुक्तियों की दरकार

हाउसिंग बोर्ड, राज्य क्रीड़ा परिषद, बुनकर सहकारी संघ, आरटीडीसी, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, समाज कल्याण बोर्ड, उपाध्यक्ष बी सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, अल्पसंख्यक आयोग, राज्य महिला आयोग, किसान आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, मदरसा बोर्ड, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड, डांग विकास बोर्ड, खादी बोर्ड, राज्य बीज निगम पशु कल्याण बोर्ड, साहित्य अकादमी, उर्दू अकादमी, संस्कृत अकादमी, ब्रजभाषा अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, सिंधी भाषा अकादमी, सहकारी डेयरी फेडरेशन, वक्फ बोर्ड, सार्वजनिक मंडल राज्य कमेटी, राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड, सेंटर फॉर डेवलपमेंट, मगरा क्षेत्र विकास बोर्ड, विकास बोर्ड, भूदान बोर्ड, युवा बोर्ड, शिल्प और माटी कला बोर्ड, लघु उद्योग विकास निगम, नीति आयोग, गौ सेवा आयोग, पशु कल्याण बोर्ड, मेला विकास प्राधिकरण बोर्ड राजनीतिक नियुक्तियों की राह देख रहे हैं.

विपक्ष के निशाने पर सरकार

इसके अलावा जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया जाता है. जहां पर भी नियुक्ति नहीं हो पाई हैं. विपक्ष भी सरकार को इस मुद्दे पर घेरता आया है. नेता प्रतिपक्ष गुलाब चन्द कटारिया ने कहा था कि कांग्रेस अगर मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां करती है तो उनकी सरकार गिरना तय है. जिसके बाद यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को घर संभालने की जरूरत है. अलग-अलग टुकड़ों में बंटी बीजेपी को नसीहत देने की जरूरत नहीं है.

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बहरहाल प्रदेश की गहलोत सरकार पार्टी की आंतरिक कलह के चलते राजनीतिक नियुक्तियों में लगातार टालती आ रही है.

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