देहरादून: गंगा-यमुना जैसी कई बड़ी-बड़ी नदियों के उद्गम वाले राज्य उत्तराखंड में लगातार भौगोलिक बदलाव हो रहे हैं. इन बदलावों को जियोलॉजिस्ट बेहद संवेदनशील मान रहे हैं. इससे पूरे देश की पर्यावरण और भौगोलिक संरचना पर असर पड़ रहा है. इन्हीं में से एक बदलाव गंगा यमुना की घाटी को लेकर भी है. जहां पर पिछले कुछ समय में घाटी के ऊपरी कैचमेंट पर अतिक्रमण किया गया है.
प्राकृतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण राज्य उत्तराखंड जोकि हिमालय की गोद में बसा है, आए दिन यहां तमाम भौगोलिक गतिविधियां देखने को मिलती हैं. इस लिहाज से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में गंगा, यमुना सहित सैकड़ों छोटी बड़ी नदियां हैं, जो यहां की विविध प्राकृतिक धरोहर और यहां के सुंदर प्राकृतिक इकोसिस्टम को जन्म देती हैं. गंगा और यमुना उत्तराखंड की ही नहीं बल्कि देश की दो प्रमुख बड़ी नदी हैं. इन दोनों नदियों का उद्गम उत्तराखंड से होता है. इनके उद्गम स्थान से ही इनकी वाटर डिवाइड लाइन निर्धारित होती है जो उत्तराखंड में मौजूद बंदरपूंछ चोटी से शुरू होती है और उत्तराखंड के देहरादून में डाट काली से आगे जाकर खत्म होती है.
वाटर डिवाइड लाइन: एक बड़ी नदी का जब उद्गम होता है तो कई छोटी जलधाराएं उसमें जाकर मिलती हैं. वहीं एक मुख्य जलधारा में मिलने वाली सभी जल धाराओं के क्षेत्र को उस नदी का जल क्षेत्र कहा जाता है. वहीं दूसरी नदी से अलग करने वाले जल क्षेत्र के बीच की लाइन को वाटर डिवाइड लाइन कहा जाता है. मुख्य द्वार से उत्तराखंड में दो बड़ी नदी गंगा और यमुना हैं. कई छोटी-बड़ी नदियां इन दोनों नदियों में आकर मिलती हैं. लेकिन बड़े जल क्षेत्र या फिर नदियों की बात की जाए तो उत्तराखंड के पश्चिम में टोंस नदी, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा, रामगंगा, कोसी जैसी कई बड़ी नदियां हैं जो अपना-अपना रिवर बेसिन या फिर जल क्षेत्र बनाती हैं.
बंदरपूंछ से डाट काली तक वाटर वाटर डिवाइड लाइन: इसी तरह से गंगा और यमुना के बीच का जल क्षेत्र यानी गंगा और यमुना के बीच के बेसिन की शुरुआत बंदरपूंछ से होती है. जहां पर एक तरफ यमुना के जल क्षेत्र की शुरुआत होती है तो वहीं दूसरी तरफ भागीरथी के जल क्षेत्र की शुरुआत होती है. भागीरथी आगे बढ़ते हुए टिहरी से होते हुए देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है, जहां से गंगा बनती है. गंगा आगे बढ़ते हुए ऋषिकेश, हरिद्वार के बाद उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर जाती है. दूसरी तरफ यमुना कालसी, विकासनगर होते हुए उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बहती है. गंगा और यमुना की वाटर डिवाइड लाइन बंदरपूंछ से शुरू होकर धनौल्टी, सुवाखोली, मसूरी और देहरादून शहर के बीच से होते हुए डाट काली पर जाकर खत्म हो जाती है. देहरादून शहर इस तरह से दोनों नदियों के बीच में बसा हुआ है. देहरादून शहर से होकर बहने वाला पानी एक तरफ गंगा में चला जाता है तो दूसरी तरफ यमुना में चला जाता है.
घट रहा यमुना का जल क्षेत्र: भूगोल शास्त्रियों के मुताबिक, उत्तराखंड में नदियों के जल क्षेत्र में लंबे समय में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. एक नदी के जल क्षेत्र का दूसरे नदी के जल क्षेत्र पर हो रहे इस अतिक्रमण पर ग्राउंड रिपोर्ट करते हुए ईटीवी भारत ने देहरादून के ही क्षेत्र में मौजूद गंगा और यमुना की वाटर डिवाइड लाइन के उन इलाकों पर ग्राउंड रिपोर्टिंग की जहां पर पिछले कुछ सालों में इस तरह के स्पष्ट बदलाव देखने को मिले हैं. इस दौरान जियोलॉजिस्ट साइंटिस्ट डॉ एमपीएस बिष्ट भी ईटीवी भारत की टीम के साथ मौजूद रहे. ग्राउंड पर हमने जाना कि किस तरह से गंगा का बेसिन यमुना के बेसिन को कम करता जा रहा है.
नदियों के ऊपरी कैचमेंट में सॉइल इरोजन: देहरादून के राजपुर रोड के ऊपरी इलाकों में जहां पर शिवालिक की पहाड़ियां दून घाटी से मिलती हैं, वहां पर लगातार गंगा नदी का जल क्षेत्र यमुना नदी के जल क्षेत्र पर अतिक्रमण कर रहा है. जियोलॉजिस्ट एमपीएस बिष्ट का कहना है कि अमूमन नदियां अपने-अपने निचले कैचमेंट में सॉइल इरोजन करती है. लेकिन उत्तराखंड के कुछ इलाकों में यह हैरतअंगेज भौगोलिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है. जहां पर नदियां अपने ऊपरी कैचमेंट में सॉइल इरोजन कर रही हैं. अक्सर यह शिवालिक रेंज और घाटी वाले इलाकों के आपस में मिलने वाली जगहों पर देखने को मिल रहा है.
ईटीवी भारत ने इस भौगोलिक महत्व वाली घटना की ग्राउंड पर जाकर रिपोर्टिंग की, साथ में जियोलॉजिस्ट एमपीएस बिष्ट ने भी इस घटना के बारे में विस्तार से ईटीवी भारत को बताया कि किस तरह से लगातार गंगा का जल क्षेत्र यमुना के जल क्षेत्र पर अतिक्रमण कर रहा है. निश्चित तौर पर ग्राउंड रिपोर्टिंग एक छोटे से हिस्से पर की गई लेकिन उत्तराखंड में कई सैकड़ों किलोमीटर लंबे गंगा और यमुना के वाटर डिवाइड लाइन पर ऐसे कई जगह पर भौगोलिक बदलाव आए होंगे. लिहाजा इससे जहां एक तरफ गंगा का जल क्षेत्र बढ़ा है तो वहीं दूसरी तरफ यमुना का जल क्षेत्र निश्चित तौर से इससे कम भी हुआ होगा.
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