बेंगलुरु : भारत ने अंतरिक्ष में इंसानों की निरंतर उपस्थिति की योजना बनाई है और इस संबंध में नीतिगत ढांचा तथा दीर्घकालिक रोडमैप तैयार किए जा रहे हैं. अंतरिक्ष विभाग ने मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के सफल प्रदर्शन तथा अंतरिक्ष में निरंतर इंसान की मौजूदगी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय प्रयास की परिकल्पना तैयार की है.
पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि 2022-23 में निर्धारित मानवरहित मिशन के पूरा हो जाने के बाद भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान यान 'गगनयान' शुरू किया जाएगा.
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पहला मानवरहित प्रक्षेपण इस साल दिसंबर में होना है.
अंतरिक्ष विभाग ने लोगों के सुझाव लेने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वेबसाइट पर 'अंतरिक्ष में इंसान संबंधी भारत की नीति-2021' नामक मसौदा तथा उसके क्रियान्वयन संबंधी दिशानिर्देश एवं प्रक्रियाएं डाली हैं. इसरो इसी विभाग के अंतर्गत आता है.
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विभाग का मानना है कि बहुविषयक प्रकृति के चलते मानव अंतरिक्ष उड़ान के साझेदारी संबंधी स्वभाव को ध्यान में रखते हुए नीतिगत ढांचा जरूरी है, जो न केवल साझेदारी को बढ़ावा दे, बल्कि प्रसार संबंधी चिंताओं का निराकरण भी करे और साथ ही वर्तमान नीतियों, कानूनों एवं संधियों का अनुपालन भी सुनिश्चित हो.
मसौदा में कहा गया है कि मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को ठोस फायदों के वास्ते दीर्घकाल तक बनाये रखने की जरूरत है.