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वैगनर ग्रुप में गोरखाओं के शामिल होने की रिपोर्ट पर पूर्व सेना प्रमुख बोले- भारत को रहना चाहिए सावधान

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Published : Jun 27, 2023, 6:53 PM IST

Updated : Jun 27, 2023, 7:29 PM IST

हाल में आई कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जानकारी सामने आई थी कि नेपाली गोरखा रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप में शामिल हो रहे हैं. इसे लेकर ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा ने पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक से खास बातचीत की.

Former Indian Army Chief General Ved Prakash Malik
पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक

नई दिल्ली: कुछ समय पहले मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया था कि नेपाली गोरखा रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप में शामिल हो जाएंगे. इस रिपोर्ट के आने के कुछ दिनों बाद पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने कहा है कि भारत को बेहद सतर्क रहना होगा और ऐसे लोगों को काम पर नहीं रखना चाहिए, जो बाहर भाड़े के सैनिकों के रूप में काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि जब सेना में भर्ती के लिए विचार किया जा रहा हो, तो हमें उन लोगों को नौकरी पर नहीं रखना चाहिए जो बाहर भाड़े के सैनिक के रूप में काम कर रहे हैं.

प्रश्न-1. कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बेहतरीन सुरक्षा बलों में से एक माने जाने वाले नेपाली गोरखा अब रूस के वैगनर ग्रुप में शामिल होंगे। आप इसे कैसे देखते हैं?
उत्तर- हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि वे लोग हर जगह नौकरियों की तलाश में हैं और मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर वे पहले से ही नेपाल के बाहर सुरक्षा कर्तव्यों में शामिल हो गए हैं या कर रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि एक बार जब इस तरह की कोई चीज़ रिकॉर्ड हो जाती है, तो हमें उनका उपयोग करते समय सावधान रहना होगा. वहां हमें इस बात को लेकर बेहद सतर्क रहना होगा कि जब सेना में भर्ती के लिए विचार किया जा रहा हो, तो हमें उन लोगों को नौकरी पर नहीं रखना चाहिए, जो बाहर भाड़े के सैनिक के रूप में काम कर रहे हों.

प्रश्न-2. नेपालियों ने अग्निपथ योजना पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया है और ऐसी खबरें हैं कि नेपाली गोरखाओं के वैगनर से जुड़ने के पीछे यह भी कारण हो सकता है?
उत्तर- मैं इससे सहमत नहीं हूं. क्योंकि जहां तक मेरी जानकारी है, नेपाली गोरखा भारतीय सेना में शामिल होने के इच्छुक हैं. हमें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई. भारतीय सेना में शामिल होने के लिए हमारे पास स्वयंसेवकों की कभी कमी नहीं थी.

प्रश्न-3. इस अशांत समय में जब दुनिया शीत युद्ध जैसी स्थिति देख रही है, क्या भाड़े के सैनिक आधुनिक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे?
उत्तर- वास्तव में हमारे बीच जिस तरह के संघर्ष हो रहे हैं, उनमें भाड़े के सैनिकों की भूमिका ज्यादा नहीं दिखती. आतंकवाद जैसी कुछ गतिविधियों के अलावा, जब राष्ट्रीय स्तर के विवाद की बात आती है, तो भाड़े के सैनिकों की मेरी राय में कोई भूमिका नहीं होगी और मैं राष्ट्रीय संघर्ष में भाड़े के सैनिकों की भूमिका नहीं देखता, निश्चित रूप से हमारे देश में नहीं.

प्रश्न-4. आपको क्या लगता है कि नेपाली वैगनर से जुड़ने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं? ऐसी कई रिपोर्ट्स हैं, जिनमें कहा गया है कि वे पहले ही यूक्रेन में लड़ाई में शामिल हो चुके हैं. इस पर आपकी राय?
उत्तर- देखिए, ये तो खबरें ही हैं. सच कहूं तो, इस समय मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वैगनर या यूक्रेन में कितने नेपाली शामिल हुए हैं. लेकिन जब भी नौकरियों की कमी होती है, तो उनमें से कुछ लोग ऐसी चीजों की ओर आकर्षित हो सकते हैं और, मुझे भारत से किसी के जाने की उम्मीद नहीं है.

प्रश्न-5. क्या आपको लगता है कि सरकार गोरखाओं को ध्यान में रखते हुए अग्निपथ योजना में कोई बदलाव लाएगी?
उत्तर- मुझे गोरखाओं के लिए कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा. अग्निपथ योजना के बावजूद देश में स्वयंसेवकों की कोई कमी नहीं है. भारतीय सेना में शामिल होने के लिए नेपाल से आने वाले गोरखाओं की संख्या बहुत कम है. मुझे नहीं लगता कि सरकार उनके लिए कोई बदलाव करेगी.

नई दिल्ली: कुछ समय पहले मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया था कि नेपाली गोरखा रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप में शामिल हो जाएंगे. इस रिपोर्ट के आने के कुछ दिनों बाद पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने कहा है कि भारत को बेहद सतर्क रहना होगा और ऐसे लोगों को काम पर नहीं रखना चाहिए, जो बाहर भाड़े के सैनिकों के रूप में काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि जब सेना में भर्ती के लिए विचार किया जा रहा हो, तो हमें उन लोगों को नौकरी पर नहीं रखना चाहिए जो बाहर भाड़े के सैनिक के रूप में काम कर रहे हैं.

प्रश्न-1. कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बेहतरीन सुरक्षा बलों में से एक माने जाने वाले नेपाली गोरखा अब रूस के वैगनर ग्रुप में शामिल होंगे। आप इसे कैसे देखते हैं?
उत्तर- हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि वे लोग हर जगह नौकरियों की तलाश में हैं और मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर वे पहले से ही नेपाल के बाहर सुरक्षा कर्तव्यों में शामिल हो गए हैं या कर रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि एक बार जब इस तरह की कोई चीज़ रिकॉर्ड हो जाती है, तो हमें उनका उपयोग करते समय सावधान रहना होगा. वहां हमें इस बात को लेकर बेहद सतर्क रहना होगा कि जब सेना में भर्ती के लिए विचार किया जा रहा हो, तो हमें उन लोगों को नौकरी पर नहीं रखना चाहिए, जो बाहर भाड़े के सैनिक के रूप में काम कर रहे हों.

प्रश्न-2. नेपालियों ने अग्निपथ योजना पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया है और ऐसी खबरें हैं कि नेपाली गोरखाओं के वैगनर से जुड़ने के पीछे यह भी कारण हो सकता है?
उत्तर- मैं इससे सहमत नहीं हूं. क्योंकि जहां तक मेरी जानकारी है, नेपाली गोरखा भारतीय सेना में शामिल होने के इच्छुक हैं. हमें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई. भारतीय सेना में शामिल होने के लिए हमारे पास स्वयंसेवकों की कभी कमी नहीं थी.

प्रश्न-3. इस अशांत समय में जब दुनिया शीत युद्ध जैसी स्थिति देख रही है, क्या भाड़े के सैनिक आधुनिक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे?
उत्तर- वास्तव में हमारे बीच जिस तरह के संघर्ष हो रहे हैं, उनमें भाड़े के सैनिकों की भूमिका ज्यादा नहीं दिखती. आतंकवाद जैसी कुछ गतिविधियों के अलावा, जब राष्ट्रीय स्तर के विवाद की बात आती है, तो भाड़े के सैनिकों की मेरी राय में कोई भूमिका नहीं होगी और मैं राष्ट्रीय संघर्ष में भाड़े के सैनिकों की भूमिका नहीं देखता, निश्चित रूप से हमारे देश में नहीं.

प्रश्न-4. आपको क्या लगता है कि नेपाली वैगनर से जुड़ने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं? ऐसी कई रिपोर्ट्स हैं, जिनमें कहा गया है कि वे पहले ही यूक्रेन में लड़ाई में शामिल हो चुके हैं. इस पर आपकी राय?
उत्तर- देखिए, ये तो खबरें ही हैं. सच कहूं तो, इस समय मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वैगनर या यूक्रेन में कितने नेपाली शामिल हुए हैं. लेकिन जब भी नौकरियों की कमी होती है, तो उनमें से कुछ लोग ऐसी चीजों की ओर आकर्षित हो सकते हैं और, मुझे भारत से किसी के जाने की उम्मीद नहीं है.

प्रश्न-5. क्या आपको लगता है कि सरकार गोरखाओं को ध्यान में रखते हुए अग्निपथ योजना में कोई बदलाव लाएगी?
उत्तर- मुझे गोरखाओं के लिए कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा. अग्निपथ योजना के बावजूद देश में स्वयंसेवकों की कोई कमी नहीं है. भारतीय सेना में शामिल होने के लिए नेपाल से आने वाले गोरखाओं की संख्या बहुत कम है. मुझे नहीं लगता कि सरकार उनके लिए कोई बदलाव करेगी.

Last Updated : Jun 27, 2023, 7:29 PM IST
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