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अनुशासन का पालन करने से ही हम 2022 तक हो पाएंगे कोरोना संक्रमण मुक्त : डॉ. रेड्डी - कोरोना टीका

भारत में कोरोना कहर बरपा रहा है. इससे निबटने के लिए सरकार की योजनाएं फेल नजर आ रही हैं. ईटीवी भारत बात करते हुए प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा कि भारतीयों को मास्क, हाथ धोने और सामाजिक दूरी जैसे बुनियादी के उपायों का कड़ाई से पालन करना चाहिए. इसके अलावा शादियों और अन्य बड़े समारोहों पर रोक लगानी चाहिए. क्योंकि अकेले कोरोना टीका दूसरी लहर को रोकने में मदद नहीं करेगा.

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Published : Apr 17, 2021, 8:48 PM IST

Updated : Apr 17, 2021, 9:40 PM IST

नई दिल्ली : ईटीवी भारत से बात करते हुए पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर खिलाफ देश की लड़ाई में सफलता काफी हद तक समय पर परीक्षण, सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का पालन करने पर निर्भर करता है. क्योंकि बेनुयादी उपाय अब भी किसी तरह के नए वेरिएंट के प्रसार को रोकने में प्रभावी हैं.

प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी से खास बातचीत.

प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि कोरोना को केवल टीकाकरण से नहीं रोका जा सकता है. अगर आप मात्र कोरोना टीकाकरण पर निर्भर हैं और कोरोना के मामलों में तेजी से उछाल लाने वाले कार्यक्रमों को अनुमति देते हैं, बिना मास्क से घूमते हैं तो अगले एक साल तक इस परेशानी से बाहर निकलने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जब हम टीकाकरण की अपनी गति को बढ़ा रहे हैं तो हमें अनुशासन को बनाए रखना होगा.

प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी से खास बातचीत.

हम कितने लोगों को टीका लगाते हैं, यह टीकों की उपलब्धता पर निर्भर करता है. मेरा मानना है कि 15 अगस्त तक 35 से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम 2022 में स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाएंगे. इस वर्ष को हमें वायरस के डर के बिना मनाना चाहिए लेकिन यह तभी संभव है जब हम 2021 में अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और हमारे टीकाकरण अभियान के साथ अनुशासित रहेंगे.

यह है दूसरी लहर का कारण

दूसरी कोविड लहर की शुरुआत के बारे में बात करते हुए जिसने हाल के हफ्तों में देश को जकड़ लिया और चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर दिया, डॉ. रेड्डी ने कहा कि इस साल की शुरुआत में वायरस के खिलाफ जीत का समय से पहले विश्वास करना एक गलती थी. हम जनवरी की शुरुआत से बहुत सुकून में थे, जब संख्या में कमी आई थी.

डॉ. रेड्डी ने कहा कि तब हम यह मानकर चल रहे थे कि महामारी का अंत हो गया है. उस वक्त दैनिक मामले की गिनती और मृत्यु दर में भी कमी हुई थी. हमसे यहीं पर चूक हुई और लापरवाही बरती जाने लगी.

लॉकडाउन में पहली लहर थी

डॉ. रेड्डी कहते हैं कि पहली लहर में कई कदमों के कारण मामलों में कमी आई थी जिसमें एक लंबा लॉकडाउन, यात्रा प्रतिबंधों को अनलॉक करने के कई चरण शामिल थे. दिवाली के दौरान भी बड़ी भीड़ नहीं थी. इस अनुशासन ने उस क्षण को गायब कर दिया जब हमने समय से पहले जीत की घोषणा कर दी.

यह भी पढ़ें-काेराेना से दुनियाभर में 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत, टॉप-5 में भारत भी शामिल

लोगों ने सोचा कि वे शादी समारोहों, जन्मदिन पार्टियों, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों का जश्न मना सकते हैं. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ाने भी शुरु कर दी गईं जिससे नया संस्करण देश में आया.

नई दिल्ली : ईटीवी भारत से बात करते हुए पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर खिलाफ देश की लड़ाई में सफलता काफी हद तक समय पर परीक्षण, सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का पालन करने पर निर्भर करता है. क्योंकि बेनुयादी उपाय अब भी किसी तरह के नए वेरिएंट के प्रसार को रोकने में प्रभावी हैं.

प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी से खास बातचीत.

प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि कोरोना को केवल टीकाकरण से नहीं रोका जा सकता है. अगर आप मात्र कोरोना टीकाकरण पर निर्भर हैं और कोरोना के मामलों में तेजी से उछाल लाने वाले कार्यक्रमों को अनुमति देते हैं, बिना मास्क से घूमते हैं तो अगले एक साल तक इस परेशानी से बाहर निकलने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जब हम टीकाकरण की अपनी गति को बढ़ा रहे हैं तो हमें अनुशासन को बनाए रखना होगा.

प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी से खास बातचीत.

हम कितने लोगों को टीका लगाते हैं, यह टीकों की उपलब्धता पर निर्भर करता है. मेरा मानना है कि 15 अगस्त तक 35 से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम 2022 में स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाएंगे. इस वर्ष को हमें वायरस के डर के बिना मनाना चाहिए लेकिन यह तभी संभव है जब हम 2021 में अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और हमारे टीकाकरण अभियान के साथ अनुशासित रहेंगे.

यह है दूसरी लहर का कारण

दूसरी कोविड लहर की शुरुआत के बारे में बात करते हुए जिसने हाल के हफ्तों में देश को जकड़ लिया और चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर दिया, डॉ. रेड्डी ने कहा कि इस साल की शुरुआत में वायरस के खिलाफ जीत का समय से पहले विश्वास करना एक गलती थी. हम जनवरी की शुरुआत से बहुत सुकून में थे, जब संख्या में कमी आई थी.

डॉ. रेड्डी ने कहा कि तब हम यह मानकर चल रहे थे कि महामारी का अंत हो गया है. उस वक्त दैनिक मामले की गिनती और मृत्यु दर में भी कमी हुई थी. हमसे यहीं पर चूक हुई और लापरवाही बरती जाने लगी.

लॉकडाउन में पहली लहर थी

डॉ. रेड्डी कहते हैं कि पहली लहर में कई कदमों के कारण मामलों में कमी आई थी जिसमें एक लंबा लॉकडाउन, यात्रा प्रतिबंधों को अनलॉक करने के कई चरण शामिल थे. दिवाली के दौरान भी बड़ी भीड़ नहीं थी. इस अनुशासन ने उस क्षण को गायब कर दिया जब हमने समय से पहले जीत की घोषणा कर दी.

यह भी पढ़ें-काेराेना से दुनियाभर में 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत, टॉप-5 में भारत भी शामिल

लोगों ने सोचा कि वे शादी समारोहों, जन्मदिन पार्टियों, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों का जश्न मना सकते हैं. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ाने भी शुरु कर दी गईं जिससे नया संस्करण देश में आया.

Last Updated : Apr 17, 2021, 9:40 PM IST
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