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पांच और भारतीय स्थल रामसर सूची में शामिल, 75 स्पॉट्स के लिए टैग हासिल करने का लक्ष्य - मध्य प्रदेश के साख्य सागर

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि रामसर संधि के तहत पांच और भारतीय स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे देश में ऐसे स्थलों की संख्या 54 हो गई है.

पांच और भारतीय स्थल रामसर सूची में अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में जोड़े गए
पांच और भारतीय स्थल रामसर सूची में अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में जोड़े गए
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Published : Jul 27, 2022, 9:56 AM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि रामसर संधि के तहत पांच और भारतीय स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे देश में ऐसे स्थलों की संख्या 54 हो गई है. मंत्रालय ने कहा कि जिन पांच नए स्थलों को रामसर सूची में शामिल किया गया है. उनमें तमिलनाडु के तीन और मिजोरम तथा मध्य प्रदेश का एक-एक स्थल शामिल है. रामसर सूची का उद्देश्य आर्द्रभूमि का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क विकसित करना और इसे बनाए रखना है, जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और मानव जीवन को बनाए रखने के लिए उनके पारिस्थितिकी तंत्र घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के रखरखाव के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं.

Five more Indian sites added to Ramsar list as wetlands of international importance
साख्य सागर
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पाला आर्द्रभूमि
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पिचवरम मैंग्रोव
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पल्लीकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट
Five more Indian sites added to Ramsar list as wetlands of international importance
करिकीली पक्षी अभयारण्य

पढ़ें: बदरीनाथ मंदिर की दीवार में आई दरार, मरम्मत के लिए 5 करोड़ का एस्टीमेट तैयार

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पर्यावरण रक्षा और संरक्षण पर जो जोर दिया है उससे इस दिशा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है कि भारत अपनी आर्द्रभूमि का ध्यान किस तरह रखता है. यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पांच और भारतीय आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में रामसर संबंधी मान्यता मिली है. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के करिकीली पक्षी अभयारण्य, पल्लीकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव, मध्य प्रदेश के साख्य सागर तथा मिजोरम की पाला आर्द्रभूमि को इस प्रतिष्ठित सूची में जगह मिली है. रामसर संधि आर्द्रभूमि के संरक्षण और बुद्धिमानी से उसके उपयोग से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि है. इसका नाम कैस्पियन सागर स्थित ईरानी शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां दो फरवरी, 1971 को संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे.

नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि रामसर संधि के तहत पांच और भारतीय स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे देश में ऐसे स्थलों की संख्या 54 हो गई है. मंत्रालय ने कहा कि जिन पांच नए स्थलों को रामसर सूची में शामिल किया गया है. उनमें तमिलनाडु के तीन और मिजोरम तथा मध्य प्रदेश का एक-एक स्थल शामिल है. रामसर सूची का उद्देश्य आर्द्रभूमि का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क विकसित करना और इसे बनाए रखना है, जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और मानव जीवन को बनाए रखने के लिए उनके पारिस्थितिकी तंत्र घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के रखरखाव के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं.

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पाला आर्द्रभूमि
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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पर्यावरण रक्षा और संरक्षण पर जो जोर दिया है उससे इस दिशा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है कि भारत अपनी आर्द्रभूमि का ध्यान किस तरह रखता है. यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पांच और भारतीय आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में रामसर संबंधी मान्यता मिली है. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के करिकीली पक्षी अभयारण्य, पल्लीकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव, मध्य प्रदेश के साख्य सागर तथा मिजोरम की पाला आर्द्रभूमि को इस प्रतिष्ठित सूची में जगह मिली है. रामसर संधि आर्द्रभूमि के संरक्षण और बुद्धिमानी से उसके उपयोग से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि है. इसका नाम कैस्पियन सागर स्थित ईरानी शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां दो फरवरी, 1971 को संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे.

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