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Supreme Court News : SC का टीएनएस पावर यूनिट को कलर ब्लाइंड व्यक्ति को इंजीनियर के रूप में नियुक्त करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के फैसले को रद्द करते हुए तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) को एक कलर ब्लाइंड व्यक्ति को सहायक अभियंता के रूप में सेवा में नियुक्त करने का निर्देश दिया है. Supreme Court, Power unit to appoint colour blind man as engineer

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 27, 2023, 6:03 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) को एक कलर ब्लाइंड मोहम्मद इब्राहिम को सहायक अभियंता, इलेक्ट्रिकल के रूप में सेवा में नियुक्त करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कलर ब्लाइंड सहायक अभियंता मोहम्मद इब्राहिम की याचिका को खारिज कर दिया था. इस बारे में उनकी उम्मीदवारी को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि वह दृष्टिहीन था, लेकिन वह फिट था. हालांकि उसने सार्वजनिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही मौखिक परीक्षा या साक्षात्कार में भी भाग लिया था.

मामले में पिछले सप्ताह सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि इस मामले में अपीलकर्ता का अधिकार निर्विवाद है, क्योंकि वह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक है और रिकॉर्ड दर्शाता है कि उन्हे हल्की दृष्टिहीनता है. कोर्ट ने 16 अक्टूबर को दिए अपने फैसले में इस बारे में निर्देश देते हुए कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बताता हो कि अपीलकर्ता की जो भी स्थिति थी वह उसकी जानकारी के बिना थी. उनकी शिक्षा के दौरान उनके शैक्षणिक प्रदर्शन, कौशल और दक्षता में कहीं भी रंग दृष्टि की कमी को उजागर नहीं किया गया है, जो उनके चयन के बाद पता चला है.

पीठ ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के संबंध में कानून ने विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) की भागीदारी और सशक्तिकरण को सक्षम करने के प्रावधान निर्धारित किए हैं, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में उनके प्रवेश के लिए सकारात्मक कार्रवाई, राज्य या राज्य द्वारा नियंत्रित संस्थानों में प्रवेश स्तर पर आरक्षण शामिल है. कोर्ट ने 16 अक्टूबर को दिए अपने फैसले में इस बारे में निर्देश देते हुए कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बताता हो कि अपीलकर्ता की जो भी स्थिति थी वह उसकी जानकारी के बिना थी. उनकी शिक्षा के दौरान उनके शैक्षणिक प्रदर्शन, कौशल और दक्षता में कहीं भी रंग दृष्टि की कमी को उजागर नहीं किया गया है, जो उनके चयन के बाद पता चला है.

पीठ ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के संबंध में कानून ने विकलांग व्यक्तियों की भागीदारी और सशक्तिकरण को सक्षम करने के प्रावधान निर्धारित किए हैं, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में उनके प्रवेश के लिए सकारात्मक कार्रवाई, राज्य या राज्य द्वारा नियंत्रित संस्थानों में प्रवेश स्तर पर आरक्षण शामिल है. कानून मौजूदा संस्थानों को भौतिक बुनियादी ढांचे में विकलांगों को समायोजित करने और सभी बिंदुओं पर ऐसे व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और कार्यप्रणाली को बढ़ाने के प्रावधान को भी अनिवार्य बनाता है. पीठ ने कहा कि विकलांगता और विकलांग व्यक्तियों को परिभाषित करने वाले उसके प्रावधान काफी विस्तृत हैं.

दिलचस्प बात यह है कि इन अवधारणाओं को समावेशी तरीके से परिभाषित किया गया है, जिससे उनके उपयोग की संभावनाएं पैदा होती हैं. हालांकि, इसमें आगे कहा गया कि सकारात्मक कार्रवाई के रूप में वास्तविक लाभ (आर्थोपेडिकल, दृश्य, श्रवण, मानसिक, आदि) की एक विशिष्ट श्रेणी द्वारा परिभाषित किए जाते हैं और बेंचमार्क विकलांगताओं के संदर्भ से जुड़े होते हैं. जो उन दिव्यांगों को सकारात्मक कार्रवाई और अन्य समान लाभों का अधिकार देता है जो विकलांगता की एक निश्चित सीमा (40 प्रतिशत या अधिक) के साथ अर्हता प्राप्त करते हैं.

ये भी पढ़ें - AP Govt To SC : आंध्र प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- धारा 17ए का उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) को एक कलर ब्लाइंड मोहम्मद इब्राहिम को सहायक अभियंता, इलेक्ट्रिकल के रूप में सेवा में नियुक्त करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कलर ब्लाइंड सहायक अभियंता मोहम्मद इब्राहिम की याचिका को खारिज कर दिया था. इस बारे में उनकी उम्मीदवारी को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि वह दृष्टिहीन था, लेकिन वह फिट था. हालांकि उसने सार्वजनिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही मौखिक परीक्षा या साक्षात्कार में भी भाग लिया था.

मामले में पिछले सप्ताह सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि इस मामले में अपीलकर्ता का अधिकार निर्विवाद है, क्योंकि वह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक है और रिकॉर्ड दर्शाता है कि उन्हे हल्की दृष्टिहीनता है. कोर्ट ने 16 अक्टूबर को दिए अपने फैसले में इस बारे में निर्देश देते हुए कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बताता हो कि अपीलकर्ता की जो भी स्थिति थी वह उसकी जानकारी के बिना थी. उनकी शिक्षा के दौरान उनके शैक्षणिक प्रदर्शन, कौशल और दक्षता में कहीं भी रंग दृष्टि की कमी को उजागर नहीं किया गया है, जो उनके चयन के बाद पता चला है.

पीठ ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के संबंध में कानून ने विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) की भागीदारी और सशक्तिकरण को सक्षम करने के प्रावधान निर्धारित किए हैं, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में उनके प्रवेश के लिए सकारात्मक कार्रवाई, राज्य या राज्य द्वारा नियंत्रित संस्थानों में प्रवेश स्तर पर आरक्षण शामिल है. कोर्ट ने 16 अक्टूबर को दिए अपने फैसले में इस बारे में निर्देश देते हुए कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बताता हो कि अपीलकर्ता की जो भी स्थिति थी वह उसकी जानकारी के बिना थी. उनकी शिक्षा के दौरान उनके शैक्षणिक प्रदर्शन, कौशल और दक्षता में कहीं भी रंग दृष्टि की कमी को उजागर नहीं किया गया है, जो उनके चयन के बाद पता चला है.

पीठ ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के संबंध में कानून ने विकलांग व्यक्तियों की भागीदारी और सशक्तिकरण को सक्षम करने के प्रावधान निर्धारित किए हैं, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में उनके प्रवेश के लिए सकारात्मक कार्रवाई, राज्य या राज्य द्वारा नियंत्रित संस्थानों में प्रवेश स्तर पर आरक्षण शामिल है. कानून मौजूदा संस्थानों को भौतिक बुनियादी ढांचे में विकलांगों को समायोजित करने और सभी बिंदुओं पर ऐसे व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और कार्यप्रणाली को बढ़ाने के प्रावधान को भी अनिवार्य बनाता है. पीठ ने कहा कि विकलांगता और विकलांग व्यक्तियों को परिभाषित करने वाले उसके प्रावधान काफी विस्तृत हैं.

दिलचस्प बात यह है कि इन अवधारणाओं को समावेशी तरीके से परिभाषित किया गया है, जिससे उनके उपयोग की संभावनाएं पैदा होती हैं. हालांकि, इसमें आगे कहा गया कि सकारात्मक कार्रवाई के रूप में वास्तविक लाभ (आर्थोपेडिकल, दृश्य, श्रवण, मानसिक, आदि) की एक विशिष्ट श्रेणी द्वारा परिभाषित किए जाते हैं और बेंचमार्क विकलांगताओं के संदर्भ से जुड़े होते हैं. जो उन दिव्यांगों को सकारात्मक कार्रवाई और अन्य समान लाभों का अधिकार देता है जो विकलांगता की एक निश्चित सीमा (40 प्रतिशत या अधिक) के साथ अर्हता प्राप्त करते हैं.

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