अमृतसर : दुनिया का शायद ही कोई देश हो, जहां पंजाबियों की पहुंच अभी तक नहीं हो पाई है. आज दुनियाभर लगभदग सभी देशों में पंजाबी मिलते हैं. पंजाबी जहां भी रहते हैं वहां पंजाबीयत और पगड़ी की शोभा बढ़ाते हैं.
आज हम आपको एक ऐसे पंजाबी ही के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पंजाब के एक छोटे से गांव से अमेरिका गया, उच्च शिक्षा प्राप्त की और वहीं पहली बार पगड़ी पहनकर अमेरिकी सेना में शामिल हुआ. इतना ही उन्हें कर्नल के रूप में सम्मानित किया गया. हालांकि वह आज हमारे साथ नहीं हैं.
हम बात कर रहे हैं अमृतसर के वडाला कलां गांव की, जहां 1949 में खालसा कॉलेज के डीपी रहे डॉक्टर अजायब सिंह, जहां अरजिंदरपाल सिंह का जन्म हुआ था.
अरजिन्दरपाल सिंह सेखों, जिन्होंने 1964 में खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हायर सेकंडरी की और 1965 में खालसा कॉलेज से प्री-मेडिकल किया और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, अमृतसर से एमबीबीएस किया.
बाद में वे 1973 में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के आर्मी वॉर कॉलेज और स्ट्रेटेजिक में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की, और अमेरिकी सेना में सेवा देने वाले पहले सिख कर्नल बने.
जानकारी के अनुसार, डॉ 1982 में अरजिंदरपाल सिंह ने अमेरिकी सेना में भर्ती हुए और विभिन्न बटालियनों में छह बार कर्नल के रूप में कार्य किया. उनका नाम संयुक्त राज्य कांग्रेस लाइब्रेरी में बटालियन कमांडर के रूप में सूचीबद्ध है.
गांव में डॉ सेखों के नाम पर एक स्मारक बना है. सेखों जिन्होंने अमेरिकी सेना में पहले सिख कर्नल के रूप में सेवा की. उनके पैतृक गांव वडाला कलां के सरपंच सहित मोहतरबों ने अरजिन्दरपाल सिंह सेखों के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है.
उन्होंने कहा कि सेखों परिवार विदेश में था, लेकिन उन्हें गांव से बहुत लगाव था. उन्होंने कहा कि मीडिया में प्रकाशित खबर में, उन्हें पता चला कि डॉ अमेरिका के कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में रहने वाले अरजिंदरपाल सिंह सेखों का लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया है.
उन्होंने कहा कि डॉ अरजिंदर पाल सेखों को संयुक्त राज्य अमेरिका में पंजाब, पंजाबी मातृभाषा और पगड़ी की गरिमा बनाए रखने की अपनी क्षमता के लिए अमेरिकी सेना में पहला सिख कर्नल होने पर गर्व था, जिस पर ग्रामीण गर्व करते हैं.
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उनके पिता अजायब सिंह सेखों ने भी अपने कार्यकाल के दौरान खालसा कॉलेज अमृतसर में उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कीं.
वहीं सरपंच तेजिंदर सिंह ने कहा कि बेशक आज डॉ अरजिंदरपाल सिंह सेखों उनके बीच नहीं रहे, लेकिन उन्होंने अपनी शानदार सेवाओं के कारण पंजाबियों के लिए एक शांतिपूर्ण इतिहास छोड़ दिया है, जिसे भूलना नहीं है.
उन्होंने पंजाब सरकार से अपील की कि स्वर्गीय डॉ विदेशों में सिखों की सिख पगड़ी और पंजाबी पहचान को संरक्षित करने के लिए अरजिंदरपाल सिंह सेखों द्वारा किए गए प्रयासों को याद करने के लिए गांव में एक स्मारक द्वार या मूर्ति स्थापित की जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को उनके जीवनकाल के बारे में पता चल सके.