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ऑनलाइन क्लास बनी मुसीबत, नेटवर्क की तलाश में बेटी को लेकर घूम रहा पिता

ग्रामीण अंचलों में ऑनलाइन शिक्षा का लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है. हालत यह है कि कभी नेटवर्क नहीं मिल रहा तो कई परिवारों के पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है. वहीं दक्षिण कन्नड़ में भी नेटवर्क नहीं मिल पाता, जिस कारण छात्र-छात्राओं को सिग्नल के लिए घर से बहुत दूर जाना पड़ता है.

नेटवर्क की तलाश में बेटी को लेकर घूम रहा पिता
नेटवर्क की तलाश में बेटी को लेकर घूम रहा पिता
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Published : Jun 17, 2021, 3:28 PM IST

बेंगलुरु : किसी भी लड़की के लिए उसके पिता ही पहले हीरो होते हैं. न जाने उसे ये भरोसा कब और कैसे हो जाता है कि उसके पिता जितना ताकतवर इस पूरी दुनिया में कोई नहीं. ये सोच कब आ जाती है कि जब तक पापा हैं, तब तक उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. अगर आप भी अपने पापा की राजकुमारी हैं तो यह तस्वीर में पापा का प्यार देखकर यकीनन आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी और अगर आप एक बेटी के पिता हैं तो आपको भी अपनी बेटी के बचपन के दिन याद आ जाएंगे. ये तस्वीर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ से है. जहां एक पिता अपनी बेटी के ऑनलाइन क्लास के लिए तेज बारिश में छाता पकड़ के खड़ा है.

बता दें ग्रामीण अंचलों में ऑनलाइन शिक्षा का लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है. हालत यह है कि कभी नेटवर्क नहीं मिल रहा तो कई परिवारों के पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है. वहीं दक्षिण कन्नड़ में भी नेटवर्क नहीं मिल पाता जिस कारण छात्र छात्राओं को सिग्नल के लिए घर से बहुत दूर जाना पड़ता है. मोबाइल नेटवर्क की समस्या को हल करने के लिए मंत्री एस अंगारा की अध्यक्षता में पहले ही कई बार बैठक हो चुकी हैं, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ है.

ऑनलाइन कक्षाएं चुनौती से कम नहीं

ऑनलाइन कक्षाएं छात्र-छात्राओं के लिए भी एक चुनौती से कम नहीं हैं. ये दक्षिण कन्नड़ के मोगरा-बल्लाक्का इलाके की एक छात्रा है जो नेटवर्क की समस्या के कारण बारिश में सड़क के किनारे छाता के नीचे ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रही है. छाता छात्रा के पिता ने पकड़ा हुआ है. इसी तरह इस क्षेत्र के कई छात्र नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं. छात्रों के माता-पिता का कहना है कि अगर वे बिना नेटवर्क और सिग्नल के घर में बैठे रहेंगे तो उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा.

पढ़ें :6 साल की बच्ची की अपील का असर, ऑनलाइन क्लास का वक्त घटाने पर मुहर

यह केवल एक छात्रा की समस्या नहीं है, इस इलाके के हर छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है. इस इलाकों में बच्चे ऑनलाइन कक्षा अटेंड करने के लिए पहाड़ की चोटी और सड़क के किनारे आते हैं. सरकार और प्रतिनिधि अक्सर नेटवर्क समस्या को हल करने का वादा करते हैं, लेकिन हालत अब भी वही है. लोगों ने समस्या के समाधान के लिए पहले भी कई बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है अब देखना यह होगा कि छात्र-छात्राओं को अच्छे नेटवर्क के साथ ऑनलाइन शिक्षा मिल पाएगी या फिर सरकार के झूठे वादों के साथ भविष्य बर्बाद होगा.

बेंगलुरु : किसी भी लड़की के लिए उसके पिता ही पहले हीरो होते हैं. न जाने उसे ये भरोसा कब और कैसे हो जाता है कि उसके पिता जितना ताकतवर इस पूरी दुनिया में कोई नहीं. ये सोच कब आ जाती है कि जब तक पापा हैं, तब तक उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. अगर आप भी अपने पापा की राजकुमारी हैं तो यह तस्वीर में पापा का प्यार देखकर यकीनन आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी और अगर आप एक बेटी के पिता हैं तो आपको भी अपनी बेटी के बचपन के दिन याद आ जाएंगे. ये तस्वीर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ से है. जहां एक पिता अपनी बेटी के ऑनलाइन क्लास के लिए तेज बारिश में छाता पकड़ के खड़ा है.

बता दें ग्रामीण अंचलों में ऑनलाइन शिक्षा का लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है. हालत यह है कि कभी नेटवर्क नहीं मिल रहा तो कई परिवारों के पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है. वहीं दक्षिण कन्नड़ में भी नेटवर्क नहीं मिल पाता जिस कारण छात्र छात्राओं को सिग्नल के लिए घर से बहुत दूर जाना पड़ता है. मोबाइल नेटवर्क की समस्या को हल करने के लिए मंत्री एस अंगारा की अध्यक्षता में पहले ही कई बार बैठक हो चुकी हैं, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ है.

ऑनलाइन कक्षाएं चुनौती से कम नहीं

ऑनलाइन कक्षाएं छात्र-छात्राओं के लिए भी एक चुनौती से कम नहीं हैं. ये दक्षिण कन्नड़ के मोगरा-बल्लाक्का इलाके की एक छात्रा है जो नेटवर्क की समस्या के कारण बारिश में सड़क के किनारे छाता के नीचे ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रही है. छाता छात्रा के पिता ने पकड़ा हुआ है. इसी तरह इस क्षेत्र के कई छात्र नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं. छात्रों के माता-पिता का कहना है कि अगर वे बिना नेटवर्क और सिग्नल के घर में बैठे रहेंगे तो उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा.

पढ़ें :6 साल की बच्ची की अपील का असर, ऑनलाइन क्लास का वक्त घटाने पर मुहर

यह केवल एक छात्रा की समस्या नहीं है, इस इलाके के हर छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है. इस इलाकों में बच्चे ऑनलाइन कक्षा अटेंड करने के लिए पहाड़ की चोटी और सड़क के किनारे आते हैं. सरकार और प्रतिनिधि अक्सर नेटवर्क समस्या को हल करने का वादा करते हैं, लेकिन हालत अब भी वही है. लोगों ने समस्या के समाधान के लिए पहले भी कई बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है अब देखना यह होगा कि छात्र-छात्राओं को अच्छे नेटवर्क के साथ ऑनलाइन शिक्षा मिल पाएगी या फिर सरकार के झूठे वादों के साथ भविष्य बर्बाद होगा.

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