हैदराबाद : फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने इस बार 23 देशों को ग्रे लिस्ट में रखा है. पाकिस्तान की इस लिस्ट से निकलने की कोशिश लगातार चौथे साल भी नाकाम रही है. साथ ही उसके साथी तुर्की को भी एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया है. एफएटीएफ प्रमुख के अनुसार, पाकिस्तान सुरक्षा परिषद (UNSC) की ओर से नामित आतंकी नेताओं को दोषी ठहराने में विफल रहा है. साथ ही आतंक रोकने लिए तय की गई 34 सूत्रीय एजेंडे में से 4 पर अबतक कोई काम नहीं किया है.
2008 में पहली बार ग्रे लिस्ट में था पाकिस्तान : पाकिस्तान को पहली बार 2008 में ग्रे लिस्ट में रखा गया था. 2009 में राहत देते हुए उसे लिस्ट से हटा दिया गया. आतंकियों के शरण देने और धन मुहैया कराने के कारण 2012 से 2015 तक दोबारा वह टास्क फोर्स की निगरानी में रहा. तीन साल के बाद पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया. गनीमत यह रही कि उसे ब्लैक लिस्ट में नहीं डाला गया, क्योंकि समीक्षा के दौरान पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का झूठा वादा करता रहा.
मगर FATF से किए गए वादों को पूरा नहीं करने के कारण 2019, 2020 और अप्रैल 2021 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली. इस बैठक में इसकी समीक्षा की गई कि पाकिस्तान आतंकियों की फ़ंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में कितना कामयाब रहा है. समीक्षा में यह स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की सिफारिशों को अमलीजामा नहीं पहनाया और अपनी धरती से आतंकी संगठनों आर्थिक मदद देता रहा. इसके अलावा पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों के लिए विदेशों से भी धन जुटाए. साथ ही चिह्नित आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की.
ब्याज चुकाने के लिए पाकिस्तान लेता है कर्ज : पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विदेश मदद और कर्जों से चलती है. ग्रे लिस्ट में बने रहने से आईएमएफ़ और एडीबी जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज लेने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है. ग्रे लिस्ट में बने रहने से पाकिस्तान को मिलने वाले विदेशी निवेश पर बुरा असर पड़ रहा है. आयात और निर्यात का बैलेंस भी गड़बड़ हो रहा है. फिलहाल हर पाकिस्तानी पौने दो करोड़ रुपये का कर्जदार है.
इमरान खान को कर्ज के लिए बेलने पड़ेंगे पापड़ : जुलाई में पाकिस्तान की संसद में इमरान खान ने बताया था अब हर पाकिस्तानी के ऊपर अब 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है. इसमें इमरान खान की सरकार का योगदान 54901 रुपये है, जो कर्ज की कुल राशि का 46 फीसदी हिस्सा है. पाकिस्तान ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सरकार का कर्ज और रक्षा पर ब्याज का भुगतान पिछले वित्तीय वर्ष (2020-2021) में 4.1 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गया था. अब ब्याज चुकाने के लिए भी पाकिस्तान को विदेशी फंडिंग एजेंसियों से कर्ज की दरकार होगी. अब उसे कर्ज के लिए पापड़ बेलने होंगे
क्या है FATF? : फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जी-7 ग्रुप की ओर से बनाई गई निगरानी एजेंसी है. इसकी स्थापना इंटरनेशनल लेवल पर मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद और विनाशकारी हथियारों के प्रसार और फाइनैंस को रोकना है. यह ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसी गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है. यह निगरानी के बाद देशों को टारगेट देता है, जैसे आतंकियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, हथियारों की तस्करी की रोकथाम के लिए कानून बनाने की सलाह देता है. जो देश ऐसा नहीं करते हैं तो उसे वह अपनी ग्रे या ब्लैक लिस्क में डाल देता है. इन लिस्ट में जाने से अंतराष्ट्रीय बैंक से लोन लेने की संभावना कम हो जाती है. इसकी बैठक एक साल में तीन बार होती है.
ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट क्या है ? : ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जो एफएटीएफ के बताए गए पॉइंट्स पर अमल करने की हामी भरते हैं. जैसे पाकिस्तान ने दावा किया कि वह संगठन की ओर से दी गए 34 सूत्रीय एजेंडे में से 30 पर अमल किया है. मगर इराक और नॉर्थ कोरिया जैसे देश संगठन की सलाह मानने से स्पष्ट इनकार करते हैं, इसलिए उन्हें ब्लैक लिस्ट में डाला गया है.
पाकिस्तान सूची से कैसे बाहर आ सकता है?
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को सलाह दी है कि वह संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें. आतंकियों को अपने इलाके में प्रतिबंधित करे. आतंक के इस्तेमाल के लिए की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच करें और मुकदमे दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करे. इसके अलावा आतंकी गतिविधि में शामिल व्यक्ति और संगठन की संपत्ति को पता लगाकर जब्त करे. एफएटीएफ की अगली बैठक 27 फरवरी और 4 मार्च 2022 के बीच होगी. उसमें दोबारा इस पर विचार किया जाएगा.