आगरा: ताजमहल और पेठा के बाद देश और दुनिया में ताजनगरी का शूज भी फेमस है. आगरा में करीब पांच लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शूज कारोबार से जुडे हैं. यूपी में आगरा के चमड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गईं. इसमें बसपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के 2008 के कार्यकाल के दौरान आगरा में 283 एकड़ भूमि पर 350 करोड़ रुपये के लेदर पार्क की सौगात दी गई थी. इसकी नींव भी रखी गई. लेकिन, 2013 में पर्यावरणीय कारणों से लेदर पार्क पर रोक लगी और मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इसके चलते ही 15 साल से लेदर पार्क प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं है. लेदर पार्क की जमीन पर खेती हो रही है. जबकि, आगरा के शूज कारोबारी लगातार लेदर पार्क की मांग कर रहे हैं.
बता दें कि यूपी में आगरा शूज कारोबार का गढ़ है. जिले में शूज कारोबार की छोटी-बड़ी करीब सात हजार इकाइयां हैं. इनसे पांच लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है. आगरा की देश के शूज कारोबार में 65 फीसदी भागीदारी है. जबकि, देश के शूज एक्सपोर्ट में 28 फीसदी भागीदारी है. आगरा में शूज का घरेलू कारोबार ही करीब 15 हजार करोड़ रुपये है. बसपा सरकार में वर्ष 2008 में ताजनगरी से 17 किमी दूर आगरा-जयपुर हाईवे पर गांव महुअर के पास करीब 283 एकड़ भूमि में लेदर पार्क की नींव रखी गई थी. लेदर पार्क का तब 350 करोड़ रुपये बजट था. इसके लिए सरकार ने जमीन भी अधिकृत कर ली थी. वर्ष 2010 में 100 करोड़ रुपये भी दिए गए. निर्माण कार्य भी हुआ. इसके निशान भी अभी मौजूद हैं. सरकार की मंशा छोटे लेदर शूज और अन्य लेदर प्रोडेक्ट कारोबारियों को एक मंच देने की थी, जिससे आगरा लेदर शूज के साथ ही अन्य प्रोडेक्ट का भी हब बने.
आगरा की जरूरत है लेदर पार्क
आगरा के शूज कारोबारी लगातर यूपी सरकार से अटके लेदर पार्क की मांग कर रहे हैं. इस बारे में एफमैक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि लेदर पार्क आगरा की जरूरत है. भले ही जेवर एयरपोर्ट के पास एक लेदर पार्क बन रहा है. लेकिन, आगरा के लेदर पार्क का अटका होना यहां के शूज कारोबार के लिए अच्छी बात नहीं है. क्योंकि, ये आगरा की जरूरत है. इसलिए, जल्द ही आगरा में अधूरे लेदर पार्क का काम शुरू होना चाहिए, जिससे आगरा के शूज कारोबारियों को एक नया मंच मिल सके.
यूपीसीडा सीईओ ने दिए पाॅजिटव संकेत
बीते दिनों उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के सीईओ मयूर माहेश्वरी आगरा आए थे. तब आगरा के शूज कारोबारी उनसे लेदर पार्क को लेकर मिले थे. अपना पक्ष भी रखा था. 15 साल से अभी तक लेदर पार्क धरातल पर नहीं आया है. लेदर पार्क की जमीन पर खेती हो रही है. शूज कारोबारियों से बातचीत में यूपीसीडा के सीईओ ने पाॅजिटव संकेत दिए हैं, जिससे शूज कारोबारियों को आगरा में लेदर पार्क की राह आसान दिख रही है.
सुप्रीम कोर्ट में अर्ली हीयरिंग को अर्जी लगाई
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने बताया कि आगरा टीटीजेड में है. आगरा के लेदर पार्क की ज्यादातर कमियां दूर कर ली गईं हैं. हमारी सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कमजोर नहीं है. कोविड-19 की वजह से दो साल में जरूरी मामले ही सुने गए. अब यूपीसीडा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ली हीयरिंग के लिए प्रार्थना पत्र दिया है. भारत सरकार के एमओईएफ का भी कमेंट आ गया है, जो पॉजिटिव है. जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख मिल जाएगी.
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