ETV Bharat / bharat

देशभर में राजभवनों तक मार्च करेंगे किसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में तीनों कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. उसके बाद धरना समाप्त किया गया था. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता हन्नान मोल्ला ने शुक्रवार को कहा, "उन्होंने हमें लिखित में आश्वासन दिया था और हमारी कई मांगों पर सहमति जतायी थी, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया."

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Nov 26, 2022, 12:36 PM IST

नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दो साल पूरे होने के मौके पर शनिवार को किसान संघ देश भर में राजभवनों तक मार्च निकालेंगे. इन तीन कृषि कानूनों को अब निरस्त कर दिया गया है. किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार का अपने वादों को पूरा करने का कोई इरादा नहीं है और एक बड़े आंदोलन की जरूरत है. मार्च सरकार द्वारा विभिन्न वादों को पूरा नहीं करने के खिलाफ किसानों के विरोध को भी दर्ज करेगा.

किसान नेताओं का दावा है कि सरकार ने उन्हें लिखित में आश्वासन दिया था कि वह चर्चा करके फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून लाएगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया. मालूम हो कि हजारों किसानों ने विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया. इन किसानों में विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शामिल थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में तीनों कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. उसके बाद धरना समाप्त किया गया था. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता हन्नान मोल्ला ने शुक्रवार को कहा, "उन्होंने हमें लिखित में आश्वासन दिया था और हमारी कई मांगों पर सहमति जतायी थी, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया." विरोध मार्च में भाग लेने के लिए लखनऊ आए मोल्ला ने कहा, "सरकार ने साबित कर दिया है कि वह धोखेबाज है जिसने देश के किसानों को धोखा दिया है. वे कार्पोरेट की रक्षा कर रहे हैं.

उन्होंने साबित कर दिया है कि हमारी मांगों को पूरा करने का उनका कोई इरादा नहीं है." कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुआई करने वाले किसान संघों के संगठन 'एसकेएम' ने भी आंदोलन की आगे की रणनीति तय करने के लिए 8 दिसंबर को एक बैठक बुलाई है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दो साल पूरे होने के मौके पर शनिवार को किसान संघ देश भर में राजभवनों तक मार्च निकालेंगे. इन तीन कृषि कानूनों को अब निरस्त कर दिया गया है. किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार का अपने वादों को पूरा करने का कोई इरादा नहीं है और एक बड़े आंदोलन की जरूरत है. मार्च सरकार द्वारा विभिन्न वादों को पूरा नहीं करने के खिलाफ किसानों के विरोध को भी दर्ज करेगा.

किसान नेताओं का दावा है कि सरकार ने उन्हें लिखित में आश्वासन दिया था कि वह चर्चा करके फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून लाएगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया. मालूम हो कि हजारों किसानों ने विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया. इन किसानों में विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शामिल थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में तीनों कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. उसके बाद धरना समाप्त किया गया था. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता हन्नान मोल्ला ने शुक्रवार को कहा, "उन्होंने हमें लिखित में आश्वासन दिया था और हमारी कई मांगों पर सहमति जतायी थी, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया." विरोध मार्च में भाग लेने के लिए लखनऊ आए मोल्ला ने कहा, "सरकार ने साबित कर दिया है कि वह धोखेबाज है जिसने देश के किसानों को धोखा दिया है. वे कार्पोरेट की रक्षा कर रहे हैं.

उन्होंने साबित कर दिया है कि हमारी मांगों को पूरा करने का उनका कोई इरादा नहीं है." कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुआई करने वाले किसान संघों के संगठन 'एसकेएम' ने भी आंदोलन की आगे की रणनीति तय करने के लिए 8 दिसंबर को एक बैठक बुलाई है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.