नई दिल्ली : कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन के सात महीने पूरे हो गए. किसान आज पूरे भारत मे 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' (save agriculture save democracy day) दिवस मना रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर किसानों का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि 'सीधी-सीधी बात है- हम सत्याग्रही अन्नदाता के साथ हैं.'
किसानों के इस दिन को देखते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कॉपोरेशन ने मेट्रो के तीन स्टेशन (विश्वविद्यालय, सिविल लाइन, विधान सभा) सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक बंद रखे हैं.
किसान दिल्ली के उपराज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए समय मांग रहें हैं. वहीं किसानों ने ये तय किया है कि, यदि उपराज्यपाल से मिलने जाने के दौरान पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किया गया तो बॉर्डर पर बैठे अन्य किसान दिल्ली की ओर कुच करेंगे.
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि, ढांसा से कुछ किसान दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलने जाएंगे. वहीं यदि उनके प्रदर्शन के दौरान किसी तरह का दुर्व्यवहार किया गया तो बॉर्डर पर बैठे किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे.
राज्यपाल से मिलने का मांगा समय
दरअसल शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ किसान नेताओ की बैठक हुई, इसमें किसानों ने मांग रखी कि दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलने का समय आप हमें लेकर दें.
वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से ये साफ कर दिया गया कि ऐसा मुमकिन नहीं है. इसके बाद दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच सहमति नहीं बनी और बैठक को खत्म कर दिया गया.
एसकेएम ने साधा निशाना
वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के मुताबिक 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस' आपातकाल की घोषणा की 46 वीं वर्षगांठ और 1975 और 1977 के बीच भारत के आपातकाल के काले दिनों की पृष्ठभूमि के खिलाफ भी है, यह एक ऐसा समय था जब नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर बेरहमी से अंकुश लगाया गया था और नागरिकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया.
दूसरी ओर शनिवार को 20वीं सदी के भारत के एक प्रतिष्ठित किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि भी है, जिन्होंने जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.
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एसकेएम द्वारा एक बयान साझा कर कहा गया कि, भारत में आज का अधिनायकवादी शासन उन काले दिनों की याद दिलाता है जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति का अधिकार और विरोध का अधिकार सबों का गला घोंट दिया गया था. यह एक ऐसा समय है जो अघोषित आपातकाल जैसा दिखता है. यह एक ऐसा शासन है जिसने अनुत्तरदायी और गैर-जिम्मेदार बने रहना चुना है.
(आईएएनएस)