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झारखंड : किसानों ने ऑनलाइन बेची डेढ़ करोड़ की सब्जी, जानें पूरी कहानी

आज का युग संचार क्रांति का है जो व्यक्ति कदम से कदम मिलाकर चलेगा उसे लाभ भी मिलेगा. ऐसे में किसान जो कभी पारंपरिक रूप से खेती करके अपना उत्पाद बेचते थे. आज वो भी संचार क्रांति के साथ जुड़कर कीर्तिमान बनाते नजर आ रहे हैं. हजारीबाग में 50 किसानों ने मिलकर डेढ़ करोड़ रुपए की सब्जी और फल ऑनलाइन बेचा है.

farmers selling vegetables online
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Published : Dec 15, 2020, 8:57 PM IST

रांची : लॉकडाउन के दौरान सभी घरों में लॉक हो गए, लेकिन किसान लॉक नहीं हुए. बल्कि इन्होंने नया कीर्तिमान स्थापित कर यह बता दिया कि भारत कृषि प्रधान देश है और हमारी अर्थव्यवस्था में हमारा महत्वपूर्ण योगदान है. कृषि मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया ई-नाम पोर्टल इस बाबत काफी फायदेमंद साबित हुआ है. झारखंड के हजारीबाग जिले के किसान इसका अच्छा लाभ उठा रहे हैं. हजारीबाग के लगभग 50 किसानों ने अपने घर और खेत से ही डेढ़ करोड़ रुपए की सब्जी बेच दी है. इसमें सर्वाधिक कारोबार टमाटर का हुआ है. इसके बाद आलू, तरबूज और धान शामिल है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ऑनलाइन सब्जी बेच रहे किसान
ईचाक के अशोक मेहता ने अपना खेत का लगभग 20 लाख रुपया का आलू ऑनलाइन भेचा है, दूसरी ओर चरही के किसान भी 17 लाख रुपए के तरबूज, टमाटर और अन्य उत्पाद ऑनलाइन बेच चुके हैं. ऐसे में किसान काफी खुश हैं, उनका कहना है कि 'अब हम भी देश के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं. जो किसान कलम नहीं चलाता था आज ऑनलाइन इनकम बिल्डिंग कर रहा है. यह सिर्फ और सिर्फ हमारी सोच को दर्शाता है कि हम भी किसी से कम नहीं है.'

दूसरे राज्य में भी जा रहा उत्पाद
ऑनलाइन सब्जी बेचने में बाजार समिति के सचिव राकेश सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. जो कभी अपने दफ्तर में तो कभी खेतों में जाकर किसानों को इसकी जानकारी दिया है. उनका कहना है कि कोरोना काल में सभी व्यक्ति घर पर थे. लेकिन हम लोग ने खेतों पर जाकर किसानों को जानकारी दिया और उन्होंने अपना उत्पाद ऑनलाइन बेचा है.

इससे फायदा हुआ कि सीधा किसान का उपजा सब्जी राज्य के कोने-कोने में बिका है. यहां तक की दूसरे राज्य बंगाल बिहार तक हमारा उत्पाद गया है. हम लोगों ने डेढ़ करोड़ रुपए का सब्जी ऑनलाइन बेच दिया. किसानों को पैसा हाथों-हाथ 2 दिनों के अंदर उनके अकाउंट में पहुंच गया. ऐसे में किसान भी मालामाल हुए हैं. लेकिन उनका कहना है कि हम अभी अपने कार्य से संतुष्ट नहीं है. हमें इससे बेहतर भी करना है ताकि किसानों को और भी अधिक लाभ मिला.

क्या है ई-नाम ?
ई-नाम कृषि मंत्रालय की ओर से बनाया गया एक पोर्टल है. जिसमें किसान अपना रजिस्ट्रेशन निशुल्क करा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन कराने के समय किसान को अपना आधार कार्ड, अकाउंट नंबर और मोबाइल नंबर जिससे उसका आधार और बैंक अकाउंट लिंक देना होता है. रजिस्ट्रेशन कराने के लिए वो बाजार समिति के पदाधिकारी या फिर अन्य किसान जो जानकार है उसकी मदद से ले सकते है. जब किसान की फसल तैयार हो जाती है तो किसान अपनी उपज का फोटो ई-नाम पोर्टल पर अपलोड करता है. इसके बाद बिल्डिंग का ऑप्शन आता है. बीडिंग में पूरे देशभर के व्यापारी बोली लगाते हैं. किसान को अपना न्यूनतम राशि देना होता है .जो सबसे अधिक बोली लगाते है उसे किसान फसल बेच देते है.

पढ़ें- हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में हो रहा निर्माणकार्य, उप विकास आयुक्त ने उठाए सवाल

इसके लिए बाजार समिति किसान के खेत से ही फसल उठा लेता है और जहां उसे पहुंचाना है उसे पहुंचाया जाता है. लाने और पहुंचाने की जिम्मेवारी बाजार समिति और व्यापारी की होती है. इसके लिए व्यापारी को ट्रांसपोर्टिंग चार्ज देना होता है. वर्तमान समय में ई-नाम से सिर्फ किसान भी नहीं बल्कि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी भी जुड़ रहे हैं. जिसमें छोटे-छोटे किसान मिलकर कंपनी बनाते हैं और इसी प्रक्रिया से अपना उत्पाद बेचते हैं. ई-नाम से अपना उत्पाद बेचने से यह लाभ हो रहा है कि कोई भी बिचौलिया सक्रिय नहीं रहता है और किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिलता है. इसी उद्देश्य से यह सुविधा की शुरुआत की गई है.

रांची : लॉकडाउन के दौरान सभी घरों में लॉक हो गए, लेकिन किसान लॉक नहीं हुए. बल्कि इन्होंने नया कीर्तिमान स्थापित कर यह बता दिया कि भारत कृषि प्रधान देश है और हमारी अर्थव्यवस्था में हमारा महत्वपूर्ण योगदान है. कृषि मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया ई-नाम पोर्टल इस बाबत काफी फायदेमंद साबित हुआ है. झारखंड के हजारीबाग जिले के किसान इसका अच्छा लाभ उठा रहे हैं. हजारीबाग के लगभग 50 किसानों ने अपने घर और खेत से ही डेढ़ करोड़ रुपए की सब्जी बेच दी है. इसमें सर्वाधिक कारोबार टमाटर का हुआ है. इसके बाद आलू, तरबूज और धान शामिल है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ऑनलाइन सब्जी बेच रहे किसान
ईचाक के अशोक मेहता ने अपना खेत का लगभग 20 लाख रुपया का आलू ऑनलाइन भेचा है, दूसरी ओर चरही के किसान भी 17 लाख रुपए के तरबूज, टमाटर और अन्य उत्पाद ऑनलाइन बेच चुके हैं. ऐसे में किसान काफी खुश हैं, उनका कहना है कि 'अब हम भी देश के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं. जो किसान कलम नहीं चलाता था आज ऑनलाइन इनकम बिल्डिंग कर रहा है. यह सिर्फ और सिर्फ हमारी सोच को दर्शाता है कि हम भी किसी से कम नहीं है.'

दूसरे राज्य में भी जा रहा उत्पाद
ऑनलाइन सब्जी बेचने में बाजार समिति के सचिव राकेश सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. जो कभी अपने दफ्तर में तो कभी खेतों में जाकर किसानों को इसकी जानकारी दिया है. उनका कहना है कि कोरोना काल में सभी व्यक्ति घर पर थे. लेकिन हम लोग ने खेतों पर जाकर किसानों को जानकारी दिया और उन्होंने अपना उत्पाद ऑनलाइन बेचा है.

इससे फायदा हुआ कि सीधा किसान का उपजा सब्जी राज्य के कोने-कोने में बिका है. यहां तक की दूसरे राज्य बंगाल बिहार तक हमारा उत्पाद गया है. हम लोगों ने डेढ़ करोड़ रुपए का सब्जी ऑनलाइन बेच दिया. किसानों को पैसा हाथों-हाथ 2 दिनों के अंदर उनके अकाउंट में पहुंच गया. ऐसे में किसान भी मालामाल हुए हैं. लेकिन उनका कहना है कि हम अभी अपने कार्य से संतुष्ट नहीं है. हमें इससे बेहतर भी करना है ताकि किसानों को और भी अधिक लाभ मिला.

क्या है ई-नाम ?
ई-नाम कृषि मंत्रालय की ओर से बनाया गया एक पोर्टल है. जिसमें किसान अपना रजिस्ट्रेशन निशुल्क करा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन कराने के समय किसान को अपना आधार कार्ड, अकाउंट नंबर और मोबाइल नंबर जिससे उसका आधार और बैंक अकाउंट लिंक देना होता है. रजिस्ट्रेशन कराने के लिए वो बाजार समिति के पदाधिकारी या फिर अन्य किसान जो जानकार है उसकी मदद से ले सकते है. जब किसान की फसल तैयार हो जाती है तो किसान अपनी उपज का फोटो ई-नाम पोर्टल पर अपलोड करता है. इसके बाद बिल्डिंग का ऑप्शन आता है. बीडिंग में पूरे देशभर के व्यापारी बोली लगाते हैं. किसान को अपना न्यूनतम राशि देना होता है .जो सबसे अधिक बोली लगाते है उसे किसान फसल बेच देते है.

पढ़ें- हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में हो रहा निर्माणकार्य, उप विकास आयुक्त ने उठाए सवाल

इसके लिए बाजार समिति किसान के खेत से ही फसल उठा लेता है और जहां उसे पहुंचाना है उसे पहुंचाया जाता है. लाने और पहुंचाने की जिम्मेवारी बाजार समिति और व्यापारी की होती है. इसके लिए व्यापारी को ट्रांसपोर्टिंग चार्ज देना होता है. वर्तमान समय में ई-नाम से सिर्फ किसान भी नहीं बल्कि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी भी जुड़ रहे हैं. जिसमें छोटे-छोटे किसान मिलकर कंपनी बनाते हैं और इसी प्रक्रिया से अपना उत्पाद बेचते हैं. ई-नाम से अपना उत्पाद बेचने से यह लाभ हो रहा है कि कोई भी बिचौलिया सक्रिय नहीं रहता है और किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिलता है. इसी उद्देश्य से यह सुविधा की शुरुआत की गई है.

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