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छोटे और मझोले किसानों की प्रगति सरकार का प्रमुख लक्ष्य : केंद्रीय कृषि मंत्री - नरेंद्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि छोटे व मझोले किसानों की प्रगति केंद्र सरकार का प्रमुख लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि देश के 11 करोड़ से अधिक किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक 1.35 लाख करोड़ रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में पहुंचाई जा चुकी है.

केंद्रीय कृषि मंत्री
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Published : Jul 12, 2021, 6:24 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) यानी नाबार्ड की 40वीं वर्षगांठ पर सोमवार को एक वेबिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने खेती की लागत ध्यान में रखते हुए, किसानों के लिए इसे लाभकारी बनाने के उद्देश्य के साथ एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में सतत वृद्धि की है और राज्य एजेंसियों के माध्यम से खरीदी में भी बढ़ोतरी हुई है.

उन्होंने कहा कि नाबार्ड (NABARD) ने राज्य विपणन संघों को करीब 50 हजार करोड़ रुपये का संवितरण करके रिकॉर्ड खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारतीय कृषि क्षेत्र में छोटे व सीमांत किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसके लिए कोरोना महामारी के दौरान भी सरकार ने पीएम-किसान लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड में अभियान चलाया.

तोमर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के बजट में इस क्षेत्र में साढ़े 16 लाख करोड़ रुपये ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है. कृषि मंत्री ने इस बात पर संतोष जताया कि नाबार्ड ने सहकारी व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के जरिए किसानों को रियायती दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराया और सात साल में यह राशि साढ़े छह लाख करोड़ रुपये है.

कृषि विपणन में हुआ सुधार
तोमर ने कहा कि सरकार ने कृषि विपणन में भी सुधार किया है. एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) मंडियां एक हजार हैं, चालू साल में और एक हजार मंडियों को इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा. 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की शुरुआत भी हो चुकी है, जो सामूहिकता के मॉडल पर काम करेंगे. उन्होंने खुशी जताई कि इस महत्वाकांक्षी स्कीम के क्रियान्वयन में नाबार्ड अग्रणी रहा है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ग्रामीण व कृषि आधारभूत संरचनाओं पर जोर देते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री ने कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक पैकेज दिए हैं, जिनका लाभ देश में खेती को मिलेगा. इसमें एक लाख करोड़ रुपये की विशेष 'कृषि आधारभूत संरचना निधि' द्वारा निवेश को बढ़ावा देना उद्देश्य है.

किसानों को तीन प्रतिशत ब्याज पर वित्तीय सहायता
उन्होंने कहा कि किसानों को अब सरकार से तीन प्रतिशत ब्याज व ऋण गारंटी के साथ वित्तीय सहायता मिलेगी. योजना में भागीदार नाबार्ड ने 35 हजार प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को 'वन-स्टॉप शॉप' के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है. नाबार्ड ने तीन हजार पैक्स को बहुसेवा केन्द्रों की स्थापना के लिए 1,700 करोड़ रुपये मंजूर किए है.

तोमर ने कहा कि बतौर कृषि मंत्री बीते सात वर्षों में नाबार्ड ने ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि के तहत राज्यों को 1.81 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया, जिसमें से एक-तिहाई का उपयोग सिंचाई के लिए किया है. यह फंड बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है. पीएम कृषि सिंचाई योजना में 'प्रति बूंद- अधिक फसल' में भी नाबार्ड व अन्य ने अच्छा योगदान दिया है.

नए कृषि कानून छोटे किसानों के लिए महत्वपूर्ण
वेबिनार में भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि भारतीय कृषि के विकास व निवेश के माध्यम से अधिक नवोन्मेषों को प्रेरित करने के लिए निजी निवेश की जरूरत है. इस संदर्भ में उन्होंने उल्लेख किया कि नए कृषि कानून छोटे व सीमांत किसानों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.

यह भी पढ़ें- नरेंद्र सिंह तोमर बोले- तीनों कृषि कानून नहीं होंगे वापस, बाकी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार सरकार

कृषि क्षेत्र के विकास पर टिप्पणी करते हुए डॉ. सुब्रमण्यम ने कहा कि पिछले एक साल में सरकार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण सुधारों को देखते हुए, यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि इससे विशेषकर छोटे व सीमांत किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और अन्य कई मुद्दों का समाधान किया जा सकेगा.

छोटे किसानों के लिए ऋण महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि छोटे व सीमांत किसानों के लिए ऋण अत्यंत महत्वपूर्ण है और नाबार्ड जैसी संस्थाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि पूरे देश में इन किसानों को ऋण उपलब्ध कराने का उचित प्रावधान किया जाता है, इस वजह से छोटे व सीमांत किसानों को बिचौलियों तथा ऋण के अनौपचारिक माध्यमों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है, इसके बजाय वे औपचारिक वित्तीय क्षेत्र से वास्तव में उधार लेने में सक्षम हो पाते हैं.

कृषि आधारभूत संरचना में सुधार जरूरी
वहीं, नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. जीआर चिंतला ने कहा कि कृषि आधारभूत संरचना में सुधार करना बहुत जरूरी है. इसमें सिंचाई, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, लॉजिस्टिक्स, बाजार, स्वास्थ्य व अन्य संबंधित आधारभूत संरचनाएं शामिल हैं. इसके लिए हरित आधारभूत संरचना में उचित निवेश करने की आवश्यकता है, जो वर्ष 2024-25 तक लगभग 18.37 लाख करोड़ रुपये होगा, जिसमें से 7.35 लाख करोड़ रुपये कृषि आधारभूत संरचना के लिए रखे जाएंगे.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) यानी नाबार्ड की 40वीं वर्षगांठ पर सोमवार को एक वेबिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने खेती की लागत ध्यान में रखते हुए, किसानों के लिए इसे लाभकारी बनाने के उद्देश्य के साथ एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में सतत वृद्धि की है और राज्य एजेंसियों के माध्यम से खरीदी में भी बढ़ोतरी हुई है.

उन्होंने कहा कि नाबार्ड (NABARD) ने राज्य विपणन संघों को करीब 50 हजार करोड़ रुपये का संवितरण करके रिकॉर्ड खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारतीय कृषि क्षेत्र में छोटे व सीमांत किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसके लिए कोरोना महामारी के दौरान भी सरकार ने पीएम-किसान लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड में अभियान चलाया.

तोमर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के बजट में इस क्षेत्र में साढ़े 16 लाख करोड़ रुपये ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है. कृषि मंत्री ने इस बात पर संतोष जताया कि नाबार्ड ने सहकारी व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के जरिए किसानों को रियायती दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराया और सात साल में यह राशि साढ़े छह लाख करोड़ रुपये है.

कृषि विपणन में हुआ सुधार
तोमर ने कहा कि सरकार ने कृषि विपणन में भी सुधार किया है. एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) मंडियां एक हजार हैं, चालू साल में और एक हजार मंडियों को इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा. 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की शुरुआत भी हो चुकी है, जो सामूहिकता के मॉडल पर काम करेंगे. उन्होंने खुशी जताई कि इस महत्वाकांक्षी स्कीम के क्रियान्वयन में नाबार्ड अग्रणी रहा है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ग्रामीण व कृषि आधारभूत संरचनाओं पर जोर देते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री ने कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक पैकेज दिए हैं, जिनका लाभ देश में खेती को मिलेगा. इसमें एक लाख करोड़ रुपये की विशेष 'कृषि आधारभूत संरचना निधि' द्वारा निवेश को बढ़ावा देना उद्देश्य है.

किसानों को तीन प्रतिशत ब्याज पर वित्तीय सहायता
उन्होंने कहा कि किसानों को अब सरकार से तीन प्रतिशत ब्याज व ऋण गारंटी के साथ वित्तीय सहायता मिलेगी. योजना में भागीदार नाबार्ड ने 35 हजार प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को 'वन-स्टॉप शॉप' के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है. नाबार्ड ने तीन हजार पैक्स को बहुसेवा केन्द्रों की स्थापना के लिए 1,700 करोड़ रुपये मंजूर किए है.

तोमर ने कहा कि बतौर कृषि मंत्री बीते सात वर्षों में नाबार्ड ने ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि के तहत राज्यों को 1.81 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया, जिसमें से एक-तिहाई का उपयोग सिंचाई के लिए किया है. यह फंड बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है. पीएम कृषि सिंचाई योजना में 'प्रति बूंद- अधिक फसल' में भी नाबार्ड व अन्य ने अच्छा योगदान दिया है.

नए कृषि कानून छोटे किसानों के लिए महत्वपूर्ण
वेबिनार में भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि भारतीय कृषि के विकास व निवेश के माध्यम से अधिक नवोन्मेषों को प्रेरित करने के लिए निजी निवेश की जरूरत है. इस संदर्भ में उन्होंने उल्लेख किया कि नए कृषि कानून छोटे व सीमांत किसानों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.

यह भी पढ़ें- नरेंद्र सिंह तोमर बोले- तीनों कृषि कानून नहीं होंगे वापस, बाकी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार सरकार

कृषि क्षेत्र के विकास पर टिप्पणी करते हुए डॉ. सुब्रमण्यम ने कहा कि पिछले एक साल में सरकार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण सुधारों को देखते हुए, यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि इससे विशेषकर छोटे व सीमांत किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और अन्य कई मुद्दों का समाधान किया जा सकेगा.

छोटे किसानों के लिए ऋण महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि छोटे व सीमांत किसानों के लिए ऋण अत्यंत महत्वपूर्ण है और नाबार्ड जैसी संस्थाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि पूरे देश में इन किसानों को ऋण उपलब्ध कराने का उचित प्रावधान किया जाता है, इस वजह से छोटे व सीमांत किसानों को बिचौलियों तथा ऋण के अनौपचारिक माध्यमों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है, इसके बजाय वे औपचारिक वित्तीय क्षेत्र से वास्तव में उधार लेने में सक्षम हो पाते हैं.

कृषि आधारभूत संरचना में सुधार जरूरी
वहीं, नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. जीआर चिंतला ने कहा कि कृषि आधारभूत संरचना में सुधार करना बहुत जरूरी है. इसमें सिंचाई, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, लॉजिस्टिक्स, बाजार, स्वास्थ्य व अन्य संबंधित आधारभूत संरचनाएं शामिल हैं. इसके लिए हरित आधारभूत संरचना में उचित निवेश करने की आवश्यकता है, जो वर्ष 2024-25 तक लगभग 18.37 लाख करोड़ रुपये होगा, जिसमें से 7.35 लाख करोड़ रुपये कृषि आधारभूत संरचना के लिए रखे जाएंगे.

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