नई दिल्ली : किसानों की समस्याओं को लेकर दो दशक से ज्यादा समय से काम कर रहे नेता सरदार वीएम सिंह ने एक बार फिर एमएसपी के मुद्दे पर नये सिरे से आंदोलन शुरु करने की घोषणा की है. नई दिल्ली में मंगलवार को वीएम सिंह ने किसान नेताओं की एक बड़ी बैठक बुलाई जिसमें 20 प्रदेशों के किसान संगठन के प्रतिनिधि पहुंचे. दिन भर चली बैठक में आंदोलन के स्वरूप पर विस्तार से चर्चा की गई और तय हुआ कि अगले 6 महीने तक सभी किसान संगठन अपने- अपने प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून की मांग के साथ ज्यादा से ज्यादा किसानों का समर्थन प्राप्त करने का काम करेंगे.
इसके बाद अक्टूबर में सभी किसान संगठनों की एक और तीन दिवसीय बैठक होगी. इस बैठक के बाद यह तय किया जाएगा कि आंदोलन को देशव्यापी बनाने के लिये दिल्ली कूच किया जाए या फिर प्रदेशों में ही आंदोलन की शुरुआत की जाए. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में किसान नेता सरदार वीएम सिंह ने कहा कि एमएसपी के मुद्दे पर सबसे पहले उन्होंने दो दशक पहले मुहिम की शुरुआत की थी और कोर्ट तक पहुंचे थे. तमाम प्रयासों के बावजूद आज तक किसी भी सरकार ने एमएसपी को अनिवार्य करने के लिये कानून नहीं बनाया.
तीन कृषि कानूनों के विरोध में जब ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन (AIKSCC) के बैनर तले उन्होंने पहल की तब एमएसपी के मुद्दे को प्राथमिकता में रखने के कारण ही उन्हें उस आंदोलन से किनारा कर दिया गया जिसकी शुरुआत ही उन्होंने की थी. खैर, आखिरकार संयुक्त किसान मोर्चा कृषि कानूनों को रद्द कराने में सफल तो हुआ लेकिन इसके बीच एमएसपी का असल और सबसे पुराना मुद्दा किनारा हो गया. अब जो आंदोलन उनके द्वारा शुरु किया जा रहा है इसके लिये किसानों के साझे मोर्चे का नाम ही उन्होंने 'एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा' दिया है. बतौर वीएम सिंह ऐसा इसलिए किया गया है ताकि एक और बड़ा आंदोलन अपने उद्देश्य से न भटके.
किसान नेता कहते हैं कि यदि एमएसपी पर अनिवार्य खरीद के लिये कानून बन जाता है तो सभी किसानों को 10 हजार प्रति एकड़ का अतिरिक्त लाभ होगा. इससे किसानों के जीवन में भी खुशहाली आएगी और देश की लचर अर्थव्यवस्था को सुधारने में भी मदद मिलेगी. क्योंकि किसान अपने अतिरिक्त कमाई को वापस इसी अर्थव्यवस्था में खर्च करेगा.
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एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा के लिये सरदार वीएम सिंह ने पहले ही 100 से ज्यादा छोटे बड़े किसान संगठनों का समर्थन जुटा लिया है और अगले 6 महीनों में सभी प्रदेशों का दौरा कर और ज्यादा किसानों और संगठनों को साथ जोड़ने का प्रयास करने वाले हैं. ऐसे में देखना होगा कि कई बड़े आंदोलन को मुकाम तक ले जाने में अहम भूमिका निभाने वाले किसान नेता आने वाले समय में सरकार के सामने क्या नई चुनौती खड़ी करते हैं.