बेंगलुरु: परिवारवाद की राजनीति का कट्टर विरोधी रही बीजेपी आलाकमान आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपनी नीति से समझौता कर रही है. इसके हालिया फैसलों से ऐसा संदेह व्यक्त किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा के अन्य राष्ट्रीय स्तर के नेता जो लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राज्य में परिवारवाद की राजनीति के लिए जेडीएस और कांग्रेस पार्टी की कड़ी आलोचना कर रहे हैं. वहीं विधानसभा चुनाव परिवारवाद की राजनीति को ठीक कहते नजर आए.
राजनीतिक विश्लेष्कों के मुताबिक आगामी लोकसभा चुनाव में परिवारवाद का आरोप लगाने वाली बीजेपी जेडीएस के साथ गठबंधन करने जा रही है. यह परिवार विरोधी राजनीति के रुख पर सवाल खड़ा करता है. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा जहां जेडीएस से राज्यसभा सदस्य बन गए हैं, वहीं उनके बड़े बेटे एचडी रेवन्ना हासन जिले के होलेनरासीपुर से विधायक हैं. उनके एक और बेटे पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी चन्नापटना निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं.
देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना हासन निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं, जबकि दूसरे पोते सूरज रेवन्ना विधान परिषद के सदस्य हैं. (ये दोनों विधायक एचडी रेवन्ना के बेटे हैं) पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के बच्चों में शामिल पोते-पोतियों को राजनीतिक प्रमुखता मिली है. लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद में पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के परिवार के लोग हैं.
भाजपा नेता जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान जद (एस) को एक पारिवारिक राजनीतिक दल के रूप में बदनाम किया था, अब लोकसभा चुनाव में उस पार्टी के साथ गठबंधन कर रहे हैं. 'पारिवारिक राजनीति' का विरोध करने की भाजपा की नीति के लिए आलोचना के घेरे में आ गए हैं.
यही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे शिकारीपुरा विधायक बीवाई विजयेंद्र को राज्य भाजपा नेता के रूप में नियुक्त करने के भाजपा आलाकमान के फैसले का विश्लेषण पारिवारिक राजनीति को बढ़ावा देने के रूप में किया जा रहा है. येदियुरप्पा विधायक, उपमुख्यमंत्री, चार बार मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. उनके सबसे बड़े बेटे बी वाई राघवेंद्र शिमोगा लोकसभा क्षेत्र से मौजूदा सदस्य हैं. उनके उत्तराधिकारी के रूप में दूसरे बेटे बी वाई विजयेंद्र येदियुरप्पा शिकारीपुरा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं.
इससे पहले भाजपा नेताओं ने परिवारवाद की राजनीति नहीं होने देने के इरादे से येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को मंत्री बनाने और उन्हें राज्य भाजपा महासचिव चुनने से इनकार कर दिया था. साथ ही विजयेंद्र को शिकारीपुरा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट देने पर भी विचार नहीं किया गया. येदियुरप्पा के दबाव के आगे झुकते हुए आखिरकार विजयेंद्र को टिकट दे दिया गया.
गोपालकृष्ण बेलूर ने कड़ी निंदा की: जद (एस) के साथ भाजपा के गठबंधन और पूर्व सीएम येदियुरप्पा के बेटे को राज्य भाजपा अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने की सागर निर्वाचन क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस विधायक गोपालकृष्ण बेलूर ने कड़ी निंदा की है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'बीजेपी ने परिवार की राजनीति की आलोचना करने का अधिकार खो दिया है. बीजेपी ने कांग्रेस को गांधी परिवार और जेडीएस को देवेगौड़ा के परिवार की पार्टी कहकर अपनी नैतिकता बरकरार नहीं रखी है. बीजेपी कर्नाटक में 'बीएसवाई परिवार पार्टी' बन गई है.
अयानूर मंजूनाथ की आलोचना: कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता और वरिष्ठ राजनेता अयानूर मंजूनाथ ने बीजेपी के परिवारवाद के रुख की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा,'यह हास्यास्पद है कि भाजपा ने जेडीएस के साथ चुनावी गठबंधन किया है, जो पारिवारिक राजनीति की पार्टी होने का अपवाद है. पूर्व सीएम येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को राज्य भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया है. परिवारवाद की राजनीति का विरोध करने की भाजपा पूरी तरह से नैतिकता खो चुकी है. भाजपा में कांग्रेस की तुलना में पारिवारिक राजनीति पृष्ठभूमि वाले अधिक विधायक और सांसद हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से कहा, 'भाजपा के पास हिंदुत्व के अलावा कोई स्पष्ट विचारधारा नहीं है.'