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कोविशील्ड की खुराकों के बीच अंतराल को लेकर चल रहा विचार-विमर्श : अरोड़ा - राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह

टीकाकरण पर गठित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के चेयरमैन एन के अरोड़ा ने कहा, कोरोना रोधी वैक्सीन कोविशील्ड की दो डोज के बीच अंतराल को लेकर मंथन चल रहा है. इस पर विचार किया जा रहा है कि क्या दोनों खुराकों के बीच अंतराल को घटाकर फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर.

कोविशील्ड
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Published : Jun 16, 2021, 6:36 AM IST

Updated : Jun 16, 2021, 5:41 PM IST

नई दिल्ली : सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा (N K Arora) ने कहा है कि आंशिक टीकाकरण तथा पूर्ण टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में सामने आ रहे साक्ष्यों पर विचार किया जा रहा है और यह मंथन भी चल रहा है कि क्या भारत को कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड की दोनों खुराकों के बीच अंतराल को घटाकर फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए.

अरोड़ा ने कहा कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर लिया गया था और इस बारे में एनटीएजीआई के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं थे.

गुण-दोष के आधार पर होगा फैसला

उन्होंने कहा, 'कोविड-19 और टीकाकरण परिवर्तनशील हैं. कल को यदि टीका निर्माण तकनीक (वैक्सीन प्लेटफॉर्म) में कहा जाता है कि टीके की खुराकों के बीच अंतराल कम करना लोगों के लिए फायदेमंद है चाहे इससे महज पांच या दस फीसदी ही अधिक लाभ मिल रहा हो तो समिति गुण-दोष के आधार तथा ज्ञान के बूते पर इस बारे में फैसला लेगी. वहीं दूसरी ओर, यदि ऐसा पता चलता है कि वर्तमान फैसला सही है तो हम इसे जारी रखेंगे.'

स्वास्थ्य मंत्रालय के वक्तव्य के मुताबिक अरोड़ा ने डीडी न्यूज को बताया कि टीके की खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का आधार 'एडेनोवेक्टर टीकों' से जुड़े बुनियादी वैज्ञानिक कारण थे.

12 हफ्ते के अंतराल को बताया था ज्यादा कारगर

अप्रैल माह के अंतिम हफ्ते में ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी 'पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड' ने आंकड़े जारी कर बताया था कि टीके की खुराक के बीच 12 हफ्ते का अंतराल होने पर इसकी प्रभावशीलता 65 से 88 फीसदी के बीच रहती है.

13 मई को हुआ था फैसला

अरोड़ा ने कहा, 'इसी वजह से वे अल्फा स्वरूप के प्रकोप से बाहर आ सके. वहां टीके की खुराकों के बीच अंतर 12 हफ्ते रखा गया था. हमारा सोचना था कि यह एक अच्छा विचार है और इस बात के बुनियादी वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं कि अंतराल बढ़ाने पर एडेनोवेक्टर टीके बेहतर परिणाम देते हैं. इसलिए टीके की खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते करने का 13 मई को फैसला लिया गया.

उन्होंने कहा कि कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल को बढ़ाने का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में समूह के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं था.

कनाडा समेत कुछ देशों में भी ऐसा

सरकार ने 13 मई को कहा था कि उसने कोविड-19 कार्यकारी समूह की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है.

बयान के मुताबिक अरोड़ा ने कहा कि कनाडा, श्रीलंका और कुछ अन्य देशों के उदाहरण भी हैं जहां एस्ट्राजेनेका टीके के लिए 12 से 16 हफ्ते का अंतराल रखा गया है.

पढ़ें- नए कोरोना वैरिएंट के बीच नोवावैक्स उम्मीद की किरण : नीति आयोग

उन्होंने बताया, 'खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का जब हमने फैसला लिया उसके दो से तीन दिन बाद ब्रिटेन से खबरें आईं कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक से महज 33 फीसदी बचाव ही होता है जबकि दो खुराकों से 60 फीसदी तक बचाव होता है. मई माह के मध्य से ही यह विचार विमर्श चल रहा है कि क्या भारत को खुराकों के बीच अंतराल फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए.'

अध्ययन का किया जिक्र

उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में हुए एक अध्ययन का जिक्र किया जिसमें आंशिक टीकाकरण की पूर्ण टीकाकरण से तुलना की गई. इस अध्ययन में स्पष्ट रूप से बताया गया कि आंशिक टीकाकरण और पूर्ण टीकाकरण दोनों की प्रभावशीलता 75 फीसदी है. यह अध्ययन अल्फा स्वरूप के संबंध में किया गया था जो पंजाब, उत्तर भारत और दिल्ली में पाया गया था.

वेल्लोर के परिणाम भी ऐसे

अरोड़ा ने बताया कि सीएमसी वेल्लोर में हुए अध्ययन के परिणाम भी इसके समान ही हैं जिसमें बताया गया कि कोविशील्ड के आंशिक टीकाकरण से 61 फीसदी तक बचाव हो सकता है और दो खुराकों से 65 फीसदी तक बचाव होता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा (N K Arora) ने कहा है कि आंशिक टीकाकरण तथा पूर्ण टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में सामने आ रहे साक्ष्यों पर विचार किया जा रहा है और यह मंथन भी चल रहा है कि क्या भारत को कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड की दोनों खुराकों के बीच अंतराल को घटाकर फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए.

अरोड़ा ने कहा कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर लिया गया था और इस बारे में एनटीएजीआई के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं थे.

गुण-दोष के आधार पर होगा फैसला

उन्होंने कहा, 'कोविड-19 और टीकाकरण परिवर्तनशील हैं. कल को यदि टीका निर्माण तकनीक (वैक्सीन प्लेटफॉर्म) में कहा जाता है कि टीके की खुराकों के बीच अंतराल कम करना लोगों के लिए फायदेमंद है चाहे इससे महज पांच या दस फीसदी ही अधिक लाभ मिल रहा हो तो समिति गुण-दोष के आधार तथा ज्ञान के बूते पर इस बारे में फैसला लेगी. वहीं दूसरी ओर, यदि ऐसा पता चलता है कि वर्तमान फैसला सही है तो हम इसे जारी रखेंगे.'

स्वास्थ्य मंत्रालय के वक्तव्य के मुताबिक अरोड़ा ने डीडी न्यूज को बताया कि टीके की खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का आधार 'एडेनोवेक्टर टीकों' से जुड़े बुनियादी वैज्ञानिक कारण थे.

12 हफ्ते के अंतराल को बताया था ज्यादा कारगर

अप्रैल माह के अंतिम हफ्ते में ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी 'पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड' ने आंकड़े जारी कर बताया था कि टीके की खुराक के बीच 12 हफ्ते का अंतराल होने पर इसकी प्रभावशीलता 65 से 88 फीसदी के बीच रहती है.

13 मई को हुआ था फैसला

अरोड़ा ने कहा, 'इसी वजह से वे अल्फा स्वरूप के प्रकोप से बाहर आ सके. वहां टीके की खुराकों के बीच अंतर 12 हफ्ते रखा गया था. हमारा सोचना था कि यह एक अच्छा विचार है और इस बात के बुनियादी वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं कि अंतराल बढ़ाने पर एडेनोवेक्टर टीके बेहतर परिणाम देते हैं. इसलिए टीके की खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते करने का 13 मई को फैसला लिया गया.

उन्होंने कहा कि कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल को बढ़ाने का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में समूह के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं था.

कनाडा समेत कुछ देशों में भी ऐसा

सरकार ने 13 मई को कहा था कि उसने कोविड-19 कार्यकारी समूह की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है.

बयान के मुताबिक अरोड़ा ने कहा कि कनाडा, श्रीलंका और कुछ अन्य देशों के उदाहरण भी हैं जहां एस्ट्राजेनेका टीके के लिए 12 से 16 हफ्ते का अंतराल रखा गया है.

पढ़ें- नए कोरोना वैरिएंट के बीच नोवावैक्स उम्मीद की किरण : नीति आयोग

उन्होंने बताया, 'खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का जब हमने फैसला लिया उसके दो से तीन दिन बाद ब्रिटेन से खबरें आईं कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक से महज 33 फीसदी बचाव ही होता है जबकि दो खुराकों से 60 फीसदी तक बचाव होता है. मई माह के मध्य से ही यह विचार विमर्श चल रहा है कि क्या भारत को खुराकों के बीच अंतराल फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए.'

अध्ययन का किया जिक्र

उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में हुए एक अध्ययन का जिक्र किया जिसमें आंशिक टीकाकरण की पूर्ण टीकाकरण से तुलना की गई. इस अध्ययन में स्पष्ट रूप से बताया गया कि आंशिक टीकाकरण और पूर्ण टीकाकरण दोनों की प्रभावशीलता 75 फीसदी है. यह अध्ययन अल्फा स्वरूप के संबंध में किया गया था जो पंजाब, उत्तर भारत और दिल्ली में पाया गया था.

वेल्लोर के परिणाम भी ऐसे

अरोड़ा ने बताया कि सीएमसी वेल्लोर में हुए अध्ययन के परिणाम भी इसके समान ही हैं जिसमें बताया गया कि कोविशील्ड के आंशिक टीकाकरण से 61 फीसदी तक बचाव हो सकता है और दो खुराकों से 65 फीसदी तक बचाव होता है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jun 16, 2021, 5:41 PM IST
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