नई दिल्ली: रूस से यूक्रेन के बीच चल रही जंग में यूक्रेन की स्थिति चिंताजनक है. रूस के हमले के बाद यूक्रेन में अफरा-तफरी मची हुई है. यूक्रेन के हालात तेजी से बदल रहे हैं, फिलहाल वहां कई भारतीय नागरिक भी फंसे हैं. सरकार लगातार इन भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास कर रही है, लेकिन अभी की स्थिति के मद्देनजर भारतीयों का फिलहाल भारत लौट आना आसान नहीं है. ईटीवी भारत की बातचीत यूक्रेन के उज़गोरोड और खार्किव शहर में फंसे ऐसे ही दो छात्रों से हुई जो मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे, लेकिन रूस के हमले के बाद यूक्रेन में उत्पन्न हुई स्थिति के कारण अब वे घर लौटना चाहते हैं.
यूक्रेन के उज़गोरोड विश्वविद्यालय से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे नितिन कलाल मूल रूप से राजस्थान के हैं, वे पिछले कई वर्षों से यूक्रेन में अपनी पढ़ाई के सिलसिले में रह रहे हैं, वे बताते हैं कि यूक्रेन के वर्तमान हालात बेहद गंभीर हैं. खाने-पीने से लेकर अन्य सारी मूलभूत सुविधाओं की कमी हो रही है. राशन की दुकानों पर सामान भी खत्म हो चुका है, एटीएम पर कैश उपलब्ध नहीं है. नितिन बताते हैं कि यहां रह रहे लोगों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. लोगों के पास सेविंग नहीं है, साथ ही चीजों के दाम भी महंगे हो गए हैं, जिसके चलते लोगों की चिंताए बढ़ गई हैं.
वहीं यूक्रेन के खार्किव शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक और अन्य छात्र मोहित कलाल का कहना है कि खार्किव की स्थिति बेहद भयावह है. रूस के सबसे नजदीक होने के कारण खार्किव बेहद संवेदनशील स्थान है. यहां का मंजर धीरे-धीरे खतरनाक होता जा रहा है. शहर के विभिन्न इलाकों में लगातार बमबारी हो रही है. लोग बचने के लिए मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट, हाॅस्टल के बेसमेंट सहित अन्य जगहों में छिपे हुए हैं.
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मोहित बताते हैं कि यूक्रेन के खार्किव शहर में ना सिर्फ भारतीय, बल्कि कई अन्य देश के लोग भी छिपे हैं, लेकिन सभी को हर वक्त किसी न किसी अनहोनी का डर सता रहा है. वे बताते हैं कि यूक्रेन में उत्पन्न हुई स्थिति के कारण खार्किव शहर पूरी तरह से बंद पड़ा है. उनके विश्वविद्यालय द्वारा भी उनकी कोई सहायता नहीं की जा रही है, इसके विपरीत विश्वविद्यालयों ने छात्रों को अपने देश की एंबेसी से मदद लेने को कहा है. वहीं दूसरी ओर मोहित बताते हैं कि वे और उनके परिवार वाले लगातार भारतीय एंबेसी से संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन एंबेसी से किसी तरह का कोई जवाब नहीं मिल रहा है.