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राजस्थान: यूथ पार्लियामेंट में हिस्सा लेने पहुंचा अपने गांव का पहला ग्रेजुएट इस्माइल - जयपुर के यूथ पार्लियामेंट

राजस्थान में जयपुर के यूथ पार्लियामेंट में आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव से इस्माइल शेख भी हिस्सा लेने पहुंचे हैं. इस्माइल सभी स्टूडेंट्स के लिए मिसाल हैं. उनके पढ़ने का जुनून ही है कि वो अपने गांव के पहले ग्रेजुएट बने. एक छोटे से गांव से तमाम चुनौतियों को पार करके आगे बढ़ रहे इस्माइल अब पौधों से इलेक्ट्रिसिटी बनाने पर रिसर्च कर रहे हैं.

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Published : Sep 17, 2021, 10:22 PM IST

जयपुर : दृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत और जुनून हो तो कोई भी बाधा सफलता के शिखर को छूने से नहीं रोक सकती है. इस लाइन को आंध्र प्रदेश के छोटे से गांव चिमटा के रहने वाले इस्माइल ने जीवन में आगे बढ़ने का मूलमंत्र बना लिया है. इसी मूलमंत्र के साथ आगे बढ़ते हुए इस्माइल जीवन की हर चुनौतियों को बौना साबित कर न केवल अपनी खास पहचान बना रहे हैं, बल्कि सफलता की नई इबारत भी लिख रहे हैं. इस्माइल अपने गांव के पहले ग्रेजुएट हैं और अब वे पूरे गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करते हैं. साथ ही वे पेड़-पौधों से बिजली बनाने को लेकर रिसर्च कर रहे हैं.

जयपुर में आयोजित यूथ पार्लियामेंट (Youth Parliament Jaipur) में भाग लेने के लिए पहुंचे इस्माइल शेख ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए न केवल अपने अब तक के सफर के बारे बताया. बल्कि लोगों को यह भी संदेश दिया कि संसाधनों के अभाव का रोना आपकी बाधाओं को केवल बढ़ाती है. सफलता के शिखर पर पहुंचना है तो इन बाधाओं से घबराओ नहीं बल्कि लड़ो और आगे बढ़ो. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि वे आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के चिमटा गांव (Chimata Andhra Pradesh) में अपने परिवार के साथ रहते हैं.

चिमटा का पहला ग्रेजुएट पहुंचा यूथ पार्लियामेंट

इस्माइल ने बातचीत में बताया कि उनका बचपन कठिनाइयों में गुजरा. जब वे 9 साल के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठा गया. बचपन से ही इस्माइल को पढ़ने की रूचि थी. ऐसे में मुश्किल की घड़ी में उनके मामा और गांव वालों ने सहयोग किया. जिससे वे अपनी पढ़ाई आगे जारी रख सके. उनकी पढ़ाई की ललक को देखकर उनके गांव वालों ने पैसा इक्ट्ठा करके उन्हें उच्च शिक्षा के लिए गांव से शहर भेजा. गांव वालों की मदद के कारण ही इस्माइल अपनी पढ़ाई पूरी कर सके. अब वे प्लांट्स (पेड़-पौधों) से किस तरह बिजली जनरेट की जा सकती है, इस पर रिसर्च कर रहे हैं.

सरकार से की ये अपील

इस्माइल कहते हैं कि आज वो रिसर्च वर्क कर रहे हैं लेकिन गांव में अभी भी पढ़ाई का माहौल नहीं है. जो पढ़ाई चिमटा गांव में कराई जा रही है, उसका मीडियम तेलुगु है लेकिन इस पढ़ाई का बाहर महत्व नहीं है. साथ ही गांव में किसी तरह की स्किल एजुकेशन नहीं पर दी जा रही है. ऐसे में इस्माइल ने गांव के युवा छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ाने के लिए आंध्र प्रदेश राज्य सरकार से भी अपील की. उनकी मांग है कि चिमटा गांव में उच्च शिक्षा की व्यवस्था की जाए. साथ ही वहां मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए गांव को पिछड़ेपन से मुक्ति दिलाएं.

यूथ पार्लियामेंट से लिया संकल्प

उन्होंने कहा कि यूथ पार्लियामेंट के मंच से बड़े-बड़े वक्ताओं ने लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी को लेकर अपने विचार रखे. उन्होंने उससे एक संकल्प लिया है अब वे रिसर्च वर्क करने के साथ-साथ लोकतंत्र का हिस्सा बनते हुए अपने गांव के विकास के लिए काम करेंगे. जिसकी शुरुआत क्वालिटी स्कूल एजुकेशन और सड़क निर्माण से की जाएगी.

जयपुर : दृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत और जुनून हो तो कोई भी बाधा सफलता के शिखर को छूने से नहीं रोक सकती है. इस लाइन को आंध्र प्रदेश के छोटे से गांव चिमटा के रहने वाले इस्माइल ने जीवन में आगे बढ़ने का मूलमंत्र बना लिया है. इसी मूलमंत्र के साथ आगे बढ़ते हुए इस्माइल जीवन की हर चुनौतियों को बौना साबित कर न केवल अपनी खास पहचान बना रहे हैं, बल्कि सफलता की नई इबारत भी लिख रहे हैं. इस्माइल अपने गांव के पहले ग्रेजुएट हैं और अब वे पूरे गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करते हैं. साथ ही वे पेड़-पौधों से बिजली बनाने को लेकर रिसर्च कर रहे हैं.

जयपुर में आयोजित यूथ पार्लियामेंट (Youth Parliament Jaipur) में भाग लेने के लिए पहुंचे इस्माइल शेख ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए न केवल अपने अब तक के सफर के बारे बताया. बल्कि लोगों को यह भी संदेश दिया कि संसाधनों के अभाव का रोना आपकी बाधाओं को केवल बढ़ाती है. सफलता के शिखर पर पहुंचना है तो इन बाधाओं से घबराओ नहीं बल्कि लड़ो और आगे बढ़ो. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि वे आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के चिमटा गांव (Chimata Andhra Pradesh) में अपने परिवार के साथ रहते हैं.

चिमटा का पहला ग्रेजुएट पहुंचा यूथ पार्लियामेंट

इस्माइल ने बातचीत में बताया कि उनका बचपन कठिनाइयों में गुजरा. जब वे 9 साल के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठा गया. बचपन से ही इस्माइल को पढ़ने की रूचि थी. ऐसे में मुश्किल की घड़ी में उनके मामा और गांव वालों ने सहयोग किया. जिससे वे अपनी पढ़ाई आगे जारी रख सके. उनकी पढ़ाई की ललक को देखकर उनके गांव वालों ने पैसा इक्ट्ठा करके उन्हें उच्च शिक्षा के लिए गांव से शहर भेजा. गांव वालों की मदद के कारण ही इस्माइल अपनी पढ़ाई पूरी कर सके. अब वे प्लांट्स (पेड़-पौधों) से किस तरह बिजली जनरेट की जा सकती है, इस पर रिसर्च कर रहे हैं.

सरकार से की ये अपील

इस्माइल कहते हैं कि आज वो रिसर्च वर्क कर रहे हैं लेकिन गांव में अभी भी पढ़ाई का माहौल नहीं है. जो पढ़ाई चिमटा गांव में कराई जा रही है, उसका मीडियम तेलुगु है लेकिन इस पढ़ाई का बाहर महत्व नहीं है. साथ ही गांव में किसी तरह की स्किल एजुकेशन नहीं पर दी जा रही है. ऐसे में इस्माइल ने गांव के युवा छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ाने के लिए आंध्र प्रदेश राज्य सरकार से भी अपील की. उनकी मांग है कि चिमटा गांव में उच्च शिक्षा की व्यवस्था की जाए. साथ ही वहां मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए गांव को पिछड़ेपन से मुक्ति दिलाएं.

यूथ पार्लियामेंट से लिया संकल्प

उन्होंने कहा कि यूथ पार्लियामेंट के मंच से बड़े-बड़े वक्ताओं ने लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी को लेकर अपने विचार रखे. उन्होंने उससे एक संकल्प लिया है अब वे रिसर्च वर्क करने के साथ-साथ लोकतंत्र का हिस्सा बनते हुए अपने गांव के विकास के लिए काम करेंगे. जिसकी शुरुआत क्वालिटी स्कूल एजुकेशन और सड़क निर्माण से की जाएगी.

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