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फिर से नई राजनीतिक पार्टी ज्वाइन करेंगे भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2023, 5:55 PM IST

सिक्किम की राजनीति में कुछ नया होने वाला है. भारत के पूर्व फुटबॉलर कप्तान बाइचुंग भूटिया फिर से नई पार्टी में शामिल होने वाले हैं. जल्द ही वह सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट का हिस्सा होंगे. पढ़ें पूरी खबर.......

Bhaichung Bhutia
बाईचुंग भूटिया

दार्जिलिंग : भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया फिर से राजनीतिक पार्टी बदलने जा रहे हैं. वह सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग की पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) में शामिल होने की पूरी तैयारी कर चुके हैं. भूटिया ने अपनी एक राजनीतिक पार्टी हमरो सिक्किम बनाई थी. इससे पहले वह टीएमसी में रह चुके हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह गुरुवार सुबह को एसडीएफ में शामिल होंगे. वैसे, बार-बार राजनीतिक पार्टी बदलने की वजह से उनकी आलोचना भी होती रही है. सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) के मुख्य सलाहकार चंद्रप्रकाश भट्ट राय ने कहा, 'एक बार बाइचुंग भूटिया ने पवन चामलिंग और तत्कालीन राज्य सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. अब वह उन आरोपों और आदर्शों को भूलकर इसमें शामिल हो रहे हैं. पहले वे तृणमूल कांग्रेस में गए थे. क्या हासिल हुआ ?'

चंद्रप्रकाश ने कहा कि उनकी पार्टी राजनीति में कोई स्थान नहीं रखती है और बार-बार पार्टी बदलने से उनकी विश्वसनीयता भी प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा कि भूटिया का राजनीति में कोई प्रभाव नहीं रह गया है. चंद्रप्रकाश भट्ट ने कहा कि हम एक खिलाड़ी के तौर पर भूटिया का सम्मान करते हैं, लेकिन पॉलिटिशियन के तौर पर उन्हें पसंद नहीं करते हैं.

सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के उपाध्यक्ष डीबी थापा ने भूटिया के पार्टी में शामिल होने पर कहा, 'पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है. अगर बाइचुंग भूटिया पार्टी में शामिल होते हैं तो यह पार्टी के लिए अच्छा होगा. पार्टी की ताकत बढ़ेगी. बाइचुंग भूटिया भविष्य में पार्टी का चेहरा बनने जा रहे हैं. हाल ही में, हमने उत्तरी सिक्किम में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान लोगों के साथ मिलकर काम किया है. उन्होंने सरकार पर निशाना लगाते हुए कहा कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व ने आपदाओं में कोई मदद नहीं की.

दार्जिलिंग जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष आलोक चक्रवर्ती ने भूटिया के एसडीएफ में जाने पर कहा, 'हर किसी को किसी भी पार्टी में शामिल होने का अधिकार है. बाइचुंग की राजनीतिक यात्रा तृणमूल कांग्रेस के साथ शुरू हुई. वह जिस भी पार्टी में जाएं, उन्हें ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.'

बता दें कि 2016 में बाइचुंग ने तृणमूल प्रत्याशी के रूप में सिलीगुड़ी विधानसभा सीट से सीपीएम के कद्दावर नेता अशोक भट्टाचार्य के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि, भूटिया विधानसभा चुनाव में हार गए थे. बाद में ममता बनर्जी ने भूटिया को युवा तृणमूल कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया. लेकिन हार के बाद भूटिया तृणमूल कांग्रेस से दूर हो गये. 2019 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने एक नया राजनीतिक संगठन 'हमरो पार्टी' बनाई. लेकिन वहां भी वे कुछ खास प्रगति नहीं कर सके.

गौरतलब है कि एक साल बाद उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने एक-एक करके इस्तीफा दे दिया. और उनकी पार्टी के कुछ नेता पवन चामलिंग के खेमे में चले गये तो कुछ प्रेम सिंह गोल के खेमे में. अब भूटिया खुद अपनी टीम के साथ एसडीएफ में शामिल हो रहे हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक चामलिंग भूटिया को अहम पद देंगे. उन्हें अगले चुनाव में पार्टी के चेहरों में से एक के रूप में भी सामने लाया जाएगा. वर्तमान में, सिक्किम की 32 विधानसभा सीटों में से 21 पर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, 10 पर भाजपा और 1 पर एसडीएफ का कब्जा है.

यह भी पढ़ें : आईसीसी की ताजा रैंकिंग जारी, विराट कोहली और रोहित शर्मा ने टॉप 5 में बनाई जगह

दार्जिलिंग : भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया फिर से राजनीतिक पार्टी बदलने जा रहे हैं. वह सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग की पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) में शामिल होने की पूरी तैयारी कर चुके हैं. भूटिया ने अपनी एक राजनीतिक पार्टी हमरो सिक्किम बनाई थी. इससे पहले वह टीएमसी में रह चुके हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह गुरुवार सुबह को एसडीएफ में शामिल होंगे. वैसे, बार-बार राजनीतिक पार्टी बदलने की वजह से उनकी आलोचना भी होती रही है. सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) के मुख्य सलाहकार चंद्रप्रकाश भट्ट राय ने कहा, 'एक बार बाइचुंग भूटिया ने पवन चामलिंग और तत्कालीन राज्य सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. अब वह उन आरोपों और आदर्शों को भूलकर इसमें शामिल हो रहे हैं. पहले वे तृणमूल कांग्रेस में गए थे. क्या हासिल हुआ ?'

चंद्रप्रकाश ने कहा कि उनकी पार्टी राजनीति में कोई स्थान नहीं रखती है और बार-बार पार्टी बदलने से उनकी विश्वसनीयता भी प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा कि भूटिया का राजनीति में कोई प्रभाव नहीं रह गया है. चंद्रप्रकाश भट्ट ने कहा कि हम एक खिलाड़ी के तौर पर भूटिया का सम्मान करते हैं, लेकिन पॉलिटिशियन के तौर पर उन्हें पसंद नहीं करते हैं.

सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के उपाध्यक्ष डीबी थापा ने भूटिया के पार्टी में शामिल होने पर कहा, 'पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है. अगर बाइचुंग भूटिया पार्टी में शामिल होते हैं तो यह पार्टी के लिए अच्छा होगा. पार्टी की ताकत बढ़ेगी. बाइचुंग भूटिया भविष्य में पार्टी का चेहरा बनने जा रहे हैं. हाल ही में, हमने उत्तरी सिक्किम में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान लोगों के साथ मिलकर काम किया है. उन्होंने सरकार पर निशाना लगाते हुए कहा कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व ने आपदाओं में कोई मदद नहीं की.

दार्जिलिंग जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष आलोक चक्रवर्ती ने भूटिया के एसडीएफ में जाने पर कहा, 'हर किसी को किसी भी पार्टी में शामिल होने का अधिकार है. बाइचुंग की राजनीतिक यात्रा तृणमूल कांग्रेस के साथ शुरू हुई. वह जिस भी पार्टी में जाएं, उन्हें ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.'

बता दें कि 2016 में बाइचुंग ने तृणमूल प्रत्याशी के रूप में सिलीगुड़ी विधानसभा सीट से सीपीएम के कद्दावर नेता अशोक भट्टाचार्य के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि, भूटिया विधानसभा चुनाव में हार गए थे. बाद में ममता बनर्जी ने भूटिया को युवा तृणमूल कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया. लेकिन हार के बाद भूटिया तृणमूल कांग्रेस से दूर हो गये. 2019 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने एक नया राजनीतिक संगठन 'हमरो पार्टी' बनाई. लेकिन वहां भी वे कुछ खास प्रगति नहीं कर सके.

गौरतलब है कि एक साल बाद उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने एक-एक करके इस्तीफा दे दिया. और उनकी पार्टी के कुछ नेता पवन चामलिंग के खेमे में चले गये तो कुछ प्रेम सिंह गोल के खेमे में. अब भूटिया खुद अपनी टीम के साथ एसडीएफ में शामिल हो रहे हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक चामलिंग भूटिया को अहम पद देंगे. उन्हें अगले चुनाव में पार्टी के चेहरों में से एक के रूप में भी सामने लाया जाएगा. वर्तमान में, सिक्किम की 32 विधानसभा सीटों में से 21 पर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, 10 पर भाजपा और 1 पर एसडीएफ का कब्जा है.

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