नई दिल्ली : देश जब कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा था, राजस्थान में नीरज चौधरी (37) के परिवार वाले उनके स्वास्थ्य की चिंता में फोन कॉल का इंतजार कर रहे थे. चौधरी ने 2009-11 के दौरान आईआईटी दिल्ली से पर्यावरण विज्ञान एवं प्रबंधन में एमटेक की डिग्री हासिल की थी और वर्तमान में वह राजस्थान सरकार के जल संसाधन विभाग में कार्यरत हैं.
उन्होंने 2014 में पर्वतारोहण शुरू किया था और 2020 में उन्हें युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के तहत इंडियन माउंटेनियरिंग फॉउंडेशन एवरेस्ट एक्सपेडिशन का सदस्य चुना गया. कोरोना वायरस जनित महामारी के कारण यह अभियान स्थगित कर दिया गया था.
चौधरी ने बताया कि इस साल अनिश्चितता के बीच वह अपनी टीम के साथ काठमांडू पहुंचे. उन्होंने कहा कि मेरी जांच में कोविड की पुष्टि हुई और मुझे जयपुर स्थित अपने घर वापस आना पड़ा. मुझे कुछ दिनों से थकान महसूस हो रही थी लेकिन कोई अन्य लक्षण नहीं था.
उन्होंने कहा कि उस क्षण भी मैं कोविड के बारे में नहीं सोच रहा था. मैं यही सोच रहा था कि मैंने वहां पहुंचने के लिए कितने जतन किए हैं और उसे पूरा करने के लिए मेरे पास यही मौका था. मुझे लगता है कि दूसरा मौका जल्दी नहीं मिलने के प्रोत्साहन से ही मुझे अपने शरीर को तैयार करने की प्रेरणा मिली.
चौधरी की जांच में 27 मार्च को संक्रमण की पुष्टि हुई लेकिन वह अप्रैल में काठमांडू लौट आए थे और 31 मई को उन्होंने एवरेस्ट की चोटी फतह कर ली थी. चौधरी, अपने करियर निर्माण के लिए आईआईटी दिल्ली को धन्यवाद देने तथा पर्वतारोहण अभियान के लिए 24 लाख रुपये का चंदा एकत्र करने में सहायता करने के वास्ते संस्थान के पूर्व छात्र संघ के प्रति आभार प्रकट करने के लिए अपने साथ आईआईटी का झंडा लेकर गए थे.
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चौधरी की उपलब्धि के लिए उन्हें सम्मानित करने के वास्ते शुक्रवार को आईआईटी दिल्ली में एक समारोह का आयोजन किया गया.
(पीटीआई-भाषा)