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Dharma: सभी मनोकामना की पूर्ति करता है एकादशी व्रत

एकादशी व्रत बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है. जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है, उनके लिए एकादशी के दिन धान, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित होता है. भक्त एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानि कि दशमी से ही शुरू कर देते हैं. आइए, जानें, एकादशी व्रत के बारे में...

एकादशी व्रत
एकादशी व्रत
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Published : Dec 30, 2021, 10:23 AM IST

नई दिल्ली : हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि (The eleventh date of the Hindu calendar) को एकादशी कहते हैं. प्रत्येक मास में एकादशी दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कहलाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की. पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है. पुराणों के अनुसार एकादशी को 'हरी दिन' और 'हरी वासर' के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत को वैष्णव और गैर-वैष्णव दोनों ही समुदायों द्वारा मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फल देता है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एकादशी व्रत बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस व्रत को रखने की मान्यता यह है कि इससे पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत के महत्व का उल्लेख मिलता है. जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है, उनके लिए एकादशी के दिन धान, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित होता है. भक्त एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानि कि दशमी से ही शुरू कर देते हैं. दशमी के दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और इस दिन वे बिना नमक का भोजन ग्रहण करते हैं. एकादशी व्रत करने का नियम बहुत ही सख्त होता है, जिसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना पड़ता है.

एकादशी व्रत पूजा विधि

पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन विधि पूर्वक सफला एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी कार्यों में सफलता मिलती है. मान्यता है कि रात्रि जागरण के बाद ही इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है.

2022 में एकादशी

तिथिदिवसएकादशी
13 जनवरीगुरुवारपौष- पुत्रदा एकादशी
28 जनवरीशुक्रवारषटतिला एकादशी
12 फरवरीशनिवारजया एकादशी
27 फरवरीरविवारविजया एकादशी
14 मार्चसोमवारआमलकी एकादशी
28 मार्चसोमवारपापमोचिनी एकादशी
12 अप्रैलमंगलवारकामदा एकादशी
26 अप्रैलमंगलवारवरुथिनी एकादशी
12 मईगुरुवारमोहिनी एकादशी
26 मईगुरुवारअपरा एकादशी
11 जूनशनिवारनिर्जला एकादशी
24 जूनशुक्रवारयोगिनी एकादशी
10 जुलाईरविवारदेवशयनी एकादशी
24 जुलाईरविवारकामिका एकादशी
08 अगस्तसोमवारश्रावण पुत्रदा एकादशी
23 अगस्तमंगलवारअजा एकादशी
06 सितंबरमंगलवारपरिवर्तिनी एकादशी
21 सितंबरबुधवारइन्दिरा एकादशी
06 अक्टूबरगुरुवारपापांकुशा एकादशी
21 अक्टूबरशुक्रवाररमा एकादशी
04 नवंबरशुक्रवारदेवोत्थान एकादशी
20 नवंबररविवारउत्पन्ना एकादशी
03 दिसंबरशनिवारमोक्षदा एकादशी
19 दिसंबरसोमवार सफला एकादशी

नई दिल्ली : हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि (The eleventh date of the Hindu calendar) को एकादशी कहते हैं. प्रत्येक मास में एकादशी दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कहलाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की. पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है. पुराणों के अनुसार एकादशी को 'हरी दिन' और 'हरी वासर' के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत को वैष्णव और गैर-वैष्णव दोनों ही समुदायों द्वारा मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फल देता है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एकादशी व्रत बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस व्रत को रखने की मान्यता यह है कि इससे पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत के महत्व का उल्लेख मिलता है. जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है, उनके लिए एकादशी के दिन धान, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित होता है. भक्त एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानि कि दशमी से ही शुरू कर देते हैं. दशमी के दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और इस दिन वे बिना नमक का भोजन ग्रहण करते हैं. एकादशी व्रत करने का नियम बहुत ही सख्त होता है, जिसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना पड़ता है.

एकादशी व्रत पूजा विधि

पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन विधि पूर्वक सफला एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी कार्यों में सफलता मिलती है. मान्यता है कि रात्रि जागरण के बाद ही इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है.

2022 में एकादशी

तिथिदिवसएकादशी
13 जनवरीगुरुवारपौष- पुत्रदा एकादशी
28 जनवरीशुक्रवारषटतिला एकादशी
12 फरवरीशनिवारजया एकादशी
27 फरवरीरविवारविजया एकादशी
14 मार्चसोमवारआमलकी एकादशी
28 मार्चसोमवारपापमोचिनी एकादशी
12 अप्रैलमंगलवारकामदा एकादशी
26 अप्रैलमंगलवारवरुथिनी एकादशी
12 मईगुरुवारमोहिनी एकादशी
26 मईगुरुवारअपरा एकादशी
11 जूनशनिवारनिर्जला एकादशी
24 जूनशुक्रवारयोगिनी एकादशी
10 जुलाईरविवारदेवशयनी एकादशी
24 जुलाईरविवारकामिका एकादशी
08 अगस्तसोमवारश्रावण पुत्रदा एकादशी
23 अगस्तमंगलवारअजा एकादशी
06 सितंबरमंगलवारपरिवर्तिनी एकादशी
21 सितंबरबुधवारइन्दिरा एकादशी
06 अक्टूबरगुरुवारपापांकुशा एकादशी
21 अक्टूबरशुक्रवाररमा एकादशी
04 नवंबरशुक्रवारदेवोत्थान एकादशी
20 नवंबररविवारउत्पन्ना एकादशी
03 दिसंबरशनिवारमोक्षदा एकादशी
19 दिसंबरसोमवार सफला एकादशी
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