रामनगर (उत्तराखंड): हम सब कहीं न कहीं हंटिंग कर रहे हैं. इस संदेश के साथ वेस्ट वॉरियर्स संस्था (कॉर्बेट के आसपास के क्षेत्र में फेंके गए प्लाटिक के रैपर्स बॉटल्स को उठाने वाली संस्था) और 'प्लास्टिक वाला' नाम से मशहूर मनवीर सिंह ने एक संदेश दिया है. मनवीर का कहना है कि हम सब वन्यजीवों को मार रहे हैं. पहले बंदूकों से किलिंग होती थी. आज प्लास्टिक वन्यजीवों की जान ले रहा है.
प्लास्टिक पॉल्यूशन को लेकर किया जागरूक: अगर ऐसे ही सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग होता रहा तो आने वाले समय में हम प्लास्टिक के ही वन्यजीव देख पाएंगे. इस संदेश के साथ संस्था ने 3 प्लास्टिक से बनाये टाइगर कॉर्बेट प्रशासन को वन्यजीव प्राणी सप्ताह के कार्यक्रम में भेंट किए. मनवीर सिंह ने कहा कि यहां आने वाले पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों द्वारा जंगलों में और आसपास के क्षेत्रों में फेंके गए प्लाटिक को वन्यजीव खाकर अपनी जिंदगी खो रहे हैं. ऐसा ही रहा तो हमें कुछ समय बाद प्लास्टिक के ही वन्यजीव दिखेंगे.
कॉर्बेट प्रशासन को भेंट किए प्लास्टिक के टाइगर: बता दें कि, सिंगल यूज पॉलिथीन के दूरागामी दुष्परिणाम को देखते हुए वन्य प्राणी सप्ताह में कॉर्बेट प्रशासन को कॉर्बेट व आसपास के क्षेत्रों में फेंके गए प्लास्टिक को इकट्ठा कर बनाये गए 3 प्लास्टिक के टाइगर को भेंट किए गए. मनवीर ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य कॉर्बेट पार्क के अंदर भ्रमण पर जाने वाले पर्यटकों को जागरूक करना है. अगर हम ऐसे ही सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने के साथ ही इसे फेंकते रहे तो आने वाले समय में हम स्वच्छ वातावरण के लिए तरसेंगे.
प्लास्टिक वाला का जागरूकता मिशन: मनवीर सिंह ने बताया कि वो दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में प्लास्टिक वाला के नाम से फेमस हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने व वेस्ट वारियर्स (कॉर्बेट व आसपास के क्षेत्र में पर्यटकों के द्वारा फैलाए जाने वाले प्लास्टिक पॉल्यूशन को जिसमें बोतलें, रैपर्स आदि को जंगलों व आसपास के क्षेत्र से उठाने वाली संस्था) ने मिलकर प्लास्टिक का टाइगर बनाया है.
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वेस्ट प्लास्टिक से दिला रहे रोजगार: मनवीर ने कहा कि वह इन पर्यावरण सखियों को प्लास्टिक से अलग अलग चीजों का निर्माण करना सिखाने का काम भी करते हैं. जिससे फेंके गए प्लास्टिक को अलग अलग जगह से एकत्रित करने वाले ये लोग इन प्लास्टिक से अलग अलग चीजें बना सकें और रोजगार से भी जुड़ सकें. मनवीर ने बताया कि हमारा मकसद सस्टेनेबल टूरिज्म है. मनवीर कहते हैं कि मैंने इन प्लास्टिक से बने टाइगरों से एक मैसेज दिया है कि जो पर्यटक कॉर्बेट पार्क आते हैं और यहां पर कूड़ा करके जाते हैं वो अपनी आदत बदलें. वह बाघों की टेरिटरी में प्रवेश करते हैं और प्लास्टिक पॉल्यूशन करके जाते हैं, जिससे समस्या जंगल के अंदर रह रहे वन्यजीवों के साथ ही बाहर घूम रहे हमारे आवारा या पालतू गाय आदि को भी होती है.
आज गोली की जगह प्लास्टिक से हो रही हंटिंग: मनवीर कहते हैं कि पहले जमाने में हंटिंग पर रोक नहीं थी. लोग बंदूक से हंटिंग करते थे. हमने म्यूजियम में खालें भी देखी हैं. लेकिन आज हंटिंग पर रोक है. मगर आज भी हंटिंग हो रही है. अगर हम प्लास्टिक पॉल्यूशन फैला रहे हैं और उसको डिस्पोज नहीं करते हैं तो हम भी जाने अनजाने में हंटिंग कर रहे हैं. कई बार ऐसी खबरें सामने भी आती हैं कि गाय के पेट में इतना किलो प्लास्टिक निकला. मनवीर कहते हैं कि कुछ दिन पहले एक पार्क से एक खबर सामने आई थी, जिसमें एक टाइगर का बच्चा प्लास्टिक से खेल रहा है. वे कहते हैं कि हमारी चीजें, हमारा वेस्ट उनके एरिया में एंट्री कर रहा है. जिसका खामियाजा ये जानवर ही भुगतेंगे. आने वाले समय में अगर ऐसा ही रहा तो हमें ये प्लास्टिक के टाइगर ही देखने को मिलेंगे.
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क्या कहते हैं कॉर्बेट पार्क के डायरेक्टर? वहीं इस विषय में कॉर्बेट पार्क के डायरेक्टर डॉ धीरज पांडे कहते हैं कि प्लास्टिक पॉल्यूशन एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में हमारे सामने आ रहा है. वर्तमान में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. फिर भी कॉर्बेट पार्क के साथ ही अन्य क्षेत्रों में कई पर्यटकों के साथ ही अन्य लोगों द्वारा प्लास्टिक के रेफर्स बोतलें आदि फेंकी जा रही हैं. निदेशक ने कहा कि वेस्ट वॉरियर्स संस्था के द्वारा एक संदेश देने का प्रयास किया गया है कि प्लास्टिक पॉल्यूशन से कितना बड़ा नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि जो पर्यटक कॉर्बेट पार्क के बिजरानी गेट से गुजरेंगे और इन टाइगर्स को देखेंगे तो कहीं न कही उनको रिलाइज होगा कि प्लास्टिक कितना बड़ा नुकसान कर सकता है. इनको देखकर कहीं न कहीं वे जागरूक भी होंगे. डॉक्टर धीरज पांडे ने कहा कि यही संदेश देने का प्रयास संस्था द्वारा किया गया है.
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