गुवाहाटी : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने रविवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों का वित्तीय अनुशासन जरूरी है (Financial discipline of Northeastern states). यहां पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के 70 वें पूर्ण अधिवेशन (70th plenary session of the North Eastern Council) को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि उग्रवाद, कनेक्टिविटी के अभाव और पूर्वोत्तर पर ध्यान देने में पिछली सरकारों की विफलता ने दशकों तक इस क्षेत्र के विकास को अवरुद्ध किया.
उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मूल समस्याओं को समझने की कोशिश की और इस क्षेत्र को विकास की राह पर ले जाने के लिए मुद्दों के स्थायी हल के तौर तरीके इजाद किए.' उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पिछले आठ सालों में इस क्षेत्र में शांति लाने, कनेक्टिविटी बढ़ाने, विकास को प्राथमिकता देने के कई प्रयास किए गए हैं.
एनईसी के अध्यक्ष शाह ने इस क्षेत्र के मुख्यमंत्रियों से अपने राज्यों का वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने की अपील करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों का वित्तीय अनुशासन जरूरी है. उन्होंने राज्यों से बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, पर्यटन, वानिकीकरण, कृषि के लिए नोर्थ ईस्ट स्पेश अप्लिकेशन सेंटर (एनईएसएसी) का पूरा लाभ उठाने की अपील की.
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के सभी मुख्यमंत्रियों को अपने अपने राज्यों में एनईएसएसी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करना चाहिए ताकि उसका अधिकतम एवं बेहतर उपयोग किया जा सके. गुवाहाटी में प्रशासनिक कर्मी महाविद्यालय में यह बैठक हुई जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवं अधिकारी मौजूद रहे.
शाह ने कहा कि केंद्र जैविक खेती, कृषि में डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा प्राकृतिक उत्पादों के प्रमाणन को प्राथमिकता दे रहा है. उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में केंद्र बाढ़ मुक्त एवं ड्रग मुक्त पूर्वोत्तर के लिए भी कटिबद्ध है. उन्होंने मुख्यमंत्रियों से राज्यों को एकल-उपयोग प्लास्टिक से मुक्त रखने की अपील की.
इस क्षेत्र की पनबिजली परियोजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनका मकसद न केवल ऊर्जा पैदा करना है बल्कि उनका उपयोग बाढ़ रोकथाम में भी किया जा सकता है. शाह ने कहा कि शेष भारत पूर्वोत्तर की भाषाओं, संस्कृतियों, खानपान, परिधान को अपनी धरोहर समझता है तथा केंद्र इस क्षेत्र की पहचान को अक्षुण्ण रखने एवं बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है कि देश का सर्वांगीण विकास सभी भाषाओं को साथ लेकर ही संभव है तथा यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है कि प्राथमिक शिक्षा केवल मातृभाषा में दी जाए.
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(पीटीआई-भाषा)