श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में रविवार को सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई. जानकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच जबरदस्त फायरिंग हुई, लेकिन मौका पाकर एक आतंकी वहां से भाग निकला, वहीं, सेना का एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया. सेना ने अब से कुछ देर पहले ही सर्च अभियान को खत्म कर दिया है. वहीं. इससे पहले कश्मीर जोन पुलिस ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि पुलवामा के लैरो-परिगाम इलाके में मुठभेड़ शुरू हो गई है. पुलिस और सुरक्षा बल काम पर हैं.
बता दें कि इससे पहले रविवार को ही जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में इस महीने की शुरुआत में घात लगाकर किए गए हमले में शामिल आतंकवादियों की तलाश की जा रही थी. इस हमले में तीन सैनिक शहीद हो गये थै. सुरक्षा अधिकारियों ने संकेत दिया कि इस साल राजौरी और पुंछ में हुए हमलों में भी यही समूह शामिल था.
सुरक्षा बल के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया था कि दक्षिण कश्मीर में तलाशी अभियान जारी है और हमले में शामिल आतंकवादियों का पता लगाने के लिए क्वाडकॉप्टर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. क्वाडकॉप्टर एक खास तरह का ड्रोन होता है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि समूह अभी भी दक्षिण कश्मीर में है और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के दूसरी ओर नहीं गया है. हमें उम्मीद है कि उनके पार जाने से पहले हमारा उनसे सामना होगा.
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J-K: An encounter has started in the Larrow- Parigam area of Pulwama. Police & security forces are on the job. Details shall follow: Kashmir Zone Police
— ANI (@ANI) August 20, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) August 20, 2023
वन क्षेत्र के जरिये आतंकवादियों की संभावित आवाजाही के बारे में संकेत मिलने के बाद सैनिकों ने घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया था. अप्रैल में पुंछ में कुल पांच सैनिक शहीद हुए थे और मई में राजौरी के भट्टादुरियन में हुए हमले में पांच अन्य शहीद हो गये थे. अधिकारी ने कहा कि इस साल की शुरुआत में राजौरी-पुंछ में हुए हमलों और हाल में कुलगाम में हुए हमलों में काफी समानता है. हमारा मानना है कि पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के दोनों ओर छह से आठ आतंकवादियों का समूह सक्रिय है.
उन्होंने कहा कि इस समूह में ज्यादातर उच्च प्रशिक्षित विदेशी आतंकवादी शामिल हैं, जिनका समर्थन दो से तीन स्थानीय चरमपंथी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस समूह में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शामिल हो सकते हैं और यह अब तक फोन जैसे संचार उपकरणों का इस्तेमाल नहीं कर रडार से बचने में कामयाब रहा है.