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राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनने पर कर्मचारियों को सता रहा डर, जानें क्या है कर्मचारियों में डर की वजह - Employees scared of BJP government in Rajasthan

Employees scared of BJP government in Rajasthan, राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनने के साथ ही कर्मचारियों को डर सता रहा है. यह डर है उन कर्मचारियों को जो एनपीएस से ओपीएस में शामिल हुए हैं. प्रदेश में ऐसे करीब चार लाख से अधिक कर्मचारी हैं, जिन्हें लग रहा है कि कहीं बीजेपी की सरकार बनते ही पिछली गहलोत सरकार की योजनाएं बंद न हो जाए.

Employees scared of BJP government in Rajasthan
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 14, 2023, 8:28 PM IST

एनपीएसईएफआर के जनरल सेक्रेटरी मोजी शंकर सैनी

जयपुर. राजस्थान में 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में भजन लाल शर्मा शपथ लेंगे. इसके साथ प्रदेश में भाजपा सरकार के काम का सिलसिला शुरू हो जाएगा, नई सरकार से जहां आम और खास सबको खास उम्मीदें हैं, वहीं प्रदेश के कर्मचारियों में एक डर भी सता रहा है, वह डर इस बात का है कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की ओर से लिया गया फैसला कहीं भाजपा सरकार बदल नहीं दे. ऐसे में नई पेंशन स्कीम एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान की मांग है कि सहानुभूतिपूर्वक विचार कर यथावत रखें.

6 हजार करोड़ का लाभ ले सरकार: नई पेंशन स्कीम एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान के एडिशनल जनरल सेक्ट्री मोजी शंकर सैनी ने कहा कि सबसे पहले तो राजस्थान में बीजेपी के जो मुख्यमंत्री बने हैं हम उनका हृदय से अभिनंदन करते हैं स्वागत करते हैं, इसके साथ मुख्यमंत्री से यह निवेदन करते हैं कि जो पिछली सरकार ने जो OPS को फिर से लागू किया है, उसे यथावत रहने दें. उन्होंने कहा कि उसमें राज्य सरकार को लगभग 6000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष का फायदा मिल रहा है, एसोसिएशन की नई सरकार से मांग है कि इस यथावत स्थिति में रहने दें उसे बंद ना किया जाए और उस 6000 करोड़ रुपए से राजस्थान सरकार प्रदेश के विकास को गति देने में काम करें.

इसे भी पढ़ें - मोदी-शाह और नड्डा की मौजूदगी में सीएम पद की शपथ लेंगे भजनलाल, एक लाख से ज्यादा लोग बनेंगे साक्षी

मोजी शंकर ने कहा कि OPS को लेकर हाल ही में पैरामिलिट्री फोर्सेस जो हाईकोर्ट से जीत मिली थी उसे सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने स्थगन आदेश लाकर उनकी पेंशन रोक दी है. ऐसे में कर्मचारियों में डर भी बना हुआ है कि कहीं ना कहीं हमारी पेंशन पर भी खतरा है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई है तो कहीं कांग्रेस सरकार की नीतियों को बदल नहीं दें. उन्होंने कहा कि हालांकि हमें प्रधानमंत्री पर भरोसा है कि राजस्थान के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी सभाओं में जिस तरह से कहा कि कांग्रेस की योजनाओं को बंद नहीं बल्कि और बेहतर करेंगे.

संकल्प पत्र से निराशा : बता दें कि राजस्थान में चुनाव से पहले ठीक पहले भाजपा की और संकल्प पत्र में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कुछ नहीं लिखा गया था. संकल्प पत्र में ओपीएस से बनी दूरी के बाद से कर्मचारियों में रोष दिखने लगा था. उन्होंने कहा था कि प्रदेश में 8 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं जिसमें 4 लाख से ज्यादा वो कर्मचारी हैं जो NPS से OPS में आए हैं. बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में जिस तरह से कर्मचारियों को लेकर एक शब्द का भी जिक्र नहीं किया उसे प्रदेश के 7 लाख कर्मचारी और 4 लाख से अधिक पेंशनर नाराज हैं और इसमें खास तौर से उन कर्मचारियों को ज्यादा दुख पहुंचा है जो एनपीएस से हाल ही में गहलोत सरकार ने उन्हें OPS में शामिल किया था.

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नई और पुरानी पेंशन योजना में क्या है : बता दें कि प्रदेश में अशोक गहलोत सरकार ने अपने पिछले 2022-23 के बजट में प्रदेश राज्य कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देने की घोषणा की थी. 1 अप्रैल 2013 से नई पेंशन वाले कर्मचारी भी ओल्ड पेंशन स्कीम शामिल हो गए थे . हालाँकि नई और पुरानी, दोनों पेंशन के कुछ फायदे और नुकसान हैं. पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. पुरानी स्‍कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है. पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह का कोई पैसा नहीं काटा जाता, पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का पूरा भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है. इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.

इसे भी पढ़ें - भजन सरकार की ताजपोशी : रामनिवास बाग में दो दिन यातायात बंद, जानिए कहां से डायवर्ट कर निकाले जाएंगे वाहन

OPS और NPS में अंतर : रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है. इसके साथ ही समय-समय पर DA और वेतनमान का भी लाभ मिलता है, जबकि NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है. वहीं, पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है.

पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है. इसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है, जबकि नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है. इसमें एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है.

एनपीएसईएफआर के जनरल सेक्रेटरी मोजी शंकर सैनी

जयपुर. राजस्थान में 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में भजन लाल शर्मा शपथ लेंगे. इसके साथ प्रदेश में भाजपा सरकार के काम का सिलसिला शुरू हो जाएगा, नई सरकार से जहां आम और खास सबको खास उम्मीदें हैं, वहीं प्रदेश के कर्मचारियों में एक डर भी सता रहा है, वह डर इस बात का है कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की ओर से लिया गया फैसला कहीं भाजपा सरकार बदल नहीं दे. ऐसे में नई पेंशन स्कीम एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान की मांग है कि सहानुभूतिपूर्वक विचार कर यथावत रखें.

6 हजार करोड़ का लाभ ले सरकार: नई पेंशन स्कीम एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान के एडिशनल जनरल सेक्ट्री मोजी शंकर सैनी ने कहा कि सबसे पहले तो राजस्थान में बीजेपी के जो मुख्यमंत्री बने हैं हम उनका हृदय से अभिनंदन करते हैं स्वागत करते हैं, इसके साथ मुख्यमंत्री से यह निवेदन करते हैं कि जो पिछली सरकार ने जो OPS को फिर से लागू किया है, उसे यथावत रहने दें. उन्होंने कहा कि उसमें राज्य सरकार को लगभग 6000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष का फायदा मिल रहा है, एसोसिएशन की नई सरकार से मांग है कि इस यथावत स्थिति में रहने दें उसे बंद ना किया जाए और उस 6000 करोड़ रुपए से राजस्थान सरकार प्रदेश के विकास को गति देने में काम करें.

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मोजी शंकर ने कहा कि OPS को लेकर हाल ही में पैरामिलिट्री फोर्सेस जो हाईकोर्ट से जीत मिली थी उसे सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने स्थगन आदेश लाकर उनकी पेंशन रोक दी है. ऐसे में कर्मचारियों में डर भी बना हुआ है कि कहीं ना कहीं हमारी पेंशन पर भी खतरा है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई है तो कहीं कांग्रेस सरकार की नीतियों को बदल नहीं दें. उन्होंने कहा कि हालांकि हमें प्रधानमंत्री पर भरोसा है कि राजस्थान के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी सभाओं में जिस तरह से कहा कि कांग्रेस की योजनाओं को बंद नहीं बल्कि और बेहतर करेंगे.

संकल्प पत्र से निराशा : बता दें कि राजस्थान में चुनाव से पहले ठीक पहले भाजपा की और संकल्प पत्र में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कुछ नहीं लिखा गया था. संकल्प पत्र में ओपीएस से बनी दूरी के बाद से कर्मचारियों में रोष दिखने लगा था. उन्होंने कहा था कि प्रदेश में 8 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं जिसमें 4 लाख से ज्यादा वो कर्मचारी हैं जो NPS से OPS में आए हैं. बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में जिस तरह से कर्मचारियों को लेकर एक शब्द का भी जिक्र नहीं किया उसे प्रदेश के 7 लाख कर्मचारी और 4 लाख से अधिक पेंशनर नाराज हैं और इसमें खास तौर से उन कर्मचारियों को ज्यादा दुख पहुंचा है जो एनपीएस से हाल ही में गहलोत सरकार ने उन्हें OPS में शामिल किया था.

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नई और पुरानी पेंशन योजना में क्या है : बता दें कि प्रदेश में अशोक गहलोत सरकार ने अपने पिछले 2022-23 के बजट में प्रदेश राज्य कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देने की घोषणा की थी. 1 अप्रैल 2013 से नई पेंशन वाले कर्मचारी भी ओल्ड पेंशन स्कीम शामिल हो गए थे . हालाँकि नई और पुरानी, दोनों पेंशन के कुछ फायदे और नुकसान हैं. पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. पुरानी स्‍कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है. पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह का कोई पैसा नहीं काटा जाता, पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का पूरा भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है. इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.

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OPS और NPS में अंतर : रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है. इसके साथ ही समय-समय पर DA और वेतनमान का भी लाभ मिलता है, जबकि NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है. वहीं, पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है.

पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है. इसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है, जबकि नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है. इसमें एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है.

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