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Elgar Parishad Case: ढाई साल बाद जेल से रिहा हुए सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे

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Published : Nov 26, 2022, 3:15 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने तेलतुंबडे (Anand Teltumbde) को मिली जमानत को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दी थी. बॉम्बे हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को तेलतुंबडे को जमानत दी थी. उन्हें एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था.

Anand Teltumbde
आनंद तेलतुंबडे

मुंबई: एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे (Anand Teltumbde) को शनिवार को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया. एक अधिकारी ने बताया कि ढाई साल तक सलाखों के पीछे रहने के बाद तेलतुंबडे शनिवार दोपहर करीब एक बजकर 15 मिनट पर जेल से बाहर आए. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने तेलतुंबडे को मिली जमानत को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दी थी.

अधिकारी ने कहा, 'तेलतुंबडे को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली जमानत को चुनौती देने वाली एनआईए की अर्जी शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी थी. इसके बाद, जमानत औपचारिकताएं पूरी करने पर उन्हें रिहा कर दिया गया.' उन्होंने बताया कि 18 नवंबर को हाई कोर्ट ने तेलतुंबडे को जमानत दी थी. उन्हें एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था.

तेलतुंबडे इस मामले में गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में तीसरे ऐसे आरोप हैं जिन्हें जमानत पर रिहा किया गया है. कवि वरवर राव फिलहाल स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं जबकि वकील सुधा भारद्वाज नियमित जमानत पर हैं. यह मामला पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित रूप से भड़काऊ भाषण से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इसी भाषण के चलते पश्चिमी महाराष्ट्र के इस शहर में अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की थी.

पुणे पुलिस ने यह दावा भी किया था कि यह सम्मेलन कथित माओवादी संबंध वाले व्यक्तियों द्वारा आयोजित किया गया था. बाद में इस मामले की जांच एनआईए ने अपने हाथों में ले ली थी. (पीटीआई-भाषा)

मुंबई: एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे (Anand Teltumbde) को शनिवार को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया. एक अधिकारी ने बताया कि ढाई साल तक सलाखों के पीछे रहने के बाद तेलतुंबडे शनिवार दोपहर करीब एक बजकर 15 मिनट पर जेल से बाहर आए. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने तेलतुंबडे को मिली जमानत को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दी थी.

अधिकारी ने कहा, 'तेलतुंबडे को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली जमानत को चुनौती देने वाली एनआईए की अर्जी शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी थी. इसके बाद, जमानत औपचारिकताएं पूरी करने पर उन्हें रिहा कर दिया गया.' उन्होंने बताया कि 18 नवंबर को हाई कोर्ट ने तेलतुंबडे को जमानत दी थी. उन्हें एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था.

तेलतुंबडे इस मामले में गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में तीसरे ऐसे आरोप हैं जिन्हें जमानत पर रिहा किया गया है. कवि वरवर राव फिलहाल स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं जबकि वकील सुधा भारद्वाज नियमित जमानत पर हैं. यह मामला पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित रूप से भड़काऊ भाषण से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इसी भाषण के चलते पश्चिमी महाराष्ट्र के इस शहर में अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की थी.

पुणे पुलिस ने यह दावा भी किया था कि यह सम्मेलन कथित माओवादी संबंध वाले व्यक्तियों द्वारा आयोजित किया गया था. बाद में इस मामले की जांच एनआईए ने अपने हाथों में ले ली थी. (पीटीआई-भाषा)

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