रांची: झारखंड का एक और आईएएस अधिकारी ईडी के रडार पर आ गया. रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन आखिरकार ईडी के रडार पर आ ही गए. इस छापेमारी में ईडी ने कई अहम दस्तावेज जब्त किए हैं. जमशेदपुर में कदमा थाना क्षेत्र के लौंगिया अपार्टमेंट में IAS अधिकारी छवि रंजन के फ्लैट नंबर 1A में ईडी की टीम लगभग 12 घंटे तक छापेमारी करती रही. जमशेदपुर के अलावा 22 ठिकानों अन्य ठिकानों पर भी ईडी ने छापेमारी की. जमशेदपुर में करीब शाम 6 बजे ईडी की टीम छवि रंजन के आवास से मिले दस्तावेजों को अपने साथ लेकर लौटी.
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छवि रंजन जब जमशेदपुर से सटे सरायकेला जिले के उपायुक्त थे तब वे अपने माता पिता के इसी फ्लैट में रहते थे. कुछ समय बाद जब वे रांची के उपायुक्त बने तो वे रांची में ही रहने लगे. हालांकि वे अक्सर अपने परिजनों से मिलने जमशेदपुर के कदमा स्थित फ्लैट में आते हैं. फिलहाल उनके माता-पिता ही इस फ्लैट में रहते थे. कुछ महीने पहले छवि रंजन मां रांची उनके साथ ही रहती थी जबकि पिता अपनी बेटी के यहां चले गए थे, जिसके कारण यह फ्लैट खाली पड़ा था.
सूत्रों का कहना है कि 12 घंटे की छापामारी के दौरान ईडी की टीम को कई अहम दस्तावेज मिले हैं, जिनमे जमीन से जुड़े कागजात भी शामिल हैं. वर्तमान में समाज कल्याण विभाग के सचिव पद पर पदस्थापित IAS अधिकारी छवि रंजन पर आदिवासी जमीन का नेचर चेंज करने के आरोप के अलावा रांची के करम टोली में सेना की लीज वाली जमीन का मामला भी सामने आया है.
विवादों से है पुराना नाता: रांची के पूर्व डीसी और आईएएस अधिकारी छवि रंजन का विवादों से पुराना नाता रहा है. चाहे कोडरमा हो या रांची, अक्सर वे विवादों में फंसते ही रहे हैं. इससे पहले भी वे कोडरमा में पेड़ कटाई की की वजह से एंटी करप्शन ब्यूरो के रडार आ गए थे, लेकिन सेना की जमीन खरीद में हुई गड़बड़ी के बाद से ही छवि रंजन ईडी की रडार पर आ गए. ईडी ने सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री में गड़बड़ी की जांच बरियातू थाने में दर्ज केस के आधार पर शुरू की थी. नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने नगर आयुक्त के आदेश पर प्रदीप बागची के खिलाफ फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, पजेशन लेटर देकर होल्डिंग के आवेदन देने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. इसके बाद ईडी ने इस मामले में केस दर्ज किया था.
प्रदीप बागची ने जमीन की रजिस्ट्री जगत बंधु टी स्टेट के नाम पर कर दिया था. इस कंपनी में चर्चित कारोबारी अमित अग्रवाल पूर्व में निदेशक रह चुके हैं. निदेशकों के यहां ईडी पूर्व में दबिश दे चुकी है. वहीं ईडी ने डिप्टी रजिस्ट्रार घासीरामी पिंगूआ के यहां इस मामले में छापेमारी की थी, वहीं उससे पूछताछ की थी. तब डिप्टी रजिस्टार ने बताया था कि उसने तत्कालीन डीसी छवि रंजन के कहने पर जमीन की रजिस्ट्री की थी. वहीं रांची में कई सौ एकड़ जमीन की खरीद में छवि रंजन के पद पर रहने के दौरान ही घोटाला हुआ. ऐसे में वह एजेंसी की रडार पर आ गए थे.
इन जगहों पर हुई रेड: गुरुवार को छवि रंजन के रांची के राजभवन के समीप स्थित सरकारी आवास, कांके के ओयना में 4 सी, दामोदर जेमिनी सोसायटी, जमशेदपुर के कदमा स्थित फ्लैट नंबर 1, एसबी लोंगिया अपार्टमेंट में छापेमारी की, छापेमारी शाम करीब 6 बजे तक चली.
चेशायर होम रोड की जमीन डील, आरोपियों पर ईडी का शिकंजा: सदर थाने में उमेश गोप के बयान पर नवंबर 2022 में केस दर्ज किया गया था. इस केस में पुनीत भार्गव समेत 6 लोगों को आरोपी बनाया गया था. सदर थाने में उमेश गोप के द्वारा रांची एसीजीएम की कोर्ट में दाखिल कम्प्लेन केस में आए आदेश पर आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 447, 504 , 506, 341 और 323 के साथ 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. कोर्ट के आदेश के बाद विष्णु अग्रवाल, पुनीत भार्गव, भरत प्रसाद, राजेश राय, लखन सिंह और इम्तियाज अहमद के ऊपर एफआईआर हुई थी. इस कांड के आरोपी भरत प्रसाद के मेरु हजारीबाग और बड़कागांव स्थित आवास पर ईडी ने दबिश दी. वहीं, राजेश राय के गोपालगंज, लखन सिंह के कोलकाता और इम्तियाज अहमद के रांची मणिटोला आवास में ईडी ने छापेमारी की.
एक जमीन के तीन दावेदार: चेशायर होम रोड स्थित डील के बाद इस जमीन के तीन दावेदार सामने आ चुके हैं. पहले दावेदार उमेश गोप ने सदर थाने में केस कराया था, खतियान में भी उमेश गोप के पूर्वजों का नाम है. जमीन का दूसरा दावेदार कोलकाता का लखन सिंह है, लखन से जुड़े रिकार्ड कोलकाता में हैं. लखन सिंह के नाम पर भी जमीन की रजिस्ट्री हैं. वहीं तीसरा दावेदार राजेश राय है, राजेश राय ने यह जमीन पुनीत भार्गव को बेचा था, जिसके बाद पुनीत ने जमीन की रजिस्ट्री रांची के एक बड़े उद्यमी को कर दी थी.