रांची: राजधानी रांची के पूर्व डीसी और समाज कल्याण विभाग के निदेशक छवि रंजन को ईडी ने गुरुवार को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है. गुरुवार को रांची में जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के केस में ईडी ने छवि रंजन को दूसरी बार पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसके बाद देर रात छवि रंजन को गिरफ्तार कर लिया गया.
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गुरुवार को दिन के 10.40 बजे पहुंचे थे छवि रंजन: गुरुवार की सुबह से यह कयास लगाया जा रहा था कि छवि रंजन को ईडी के द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाएगा, क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हासिल कर लिए गए थे. गुरुवार को दिन के 10.40 बजे छवि रंजन पूछताछ के लिए ईडी के रांची जोनल ऑफिस पहुंचे थे, पूछताछ के दौरान छवि रंजन ने जांच में ईडी अधिकारियों को कई सवालों के जवाब नहीं दिए. जमीन घोटाले में अब तक की जांच में ईडी ने तत्कालीन डीसी छवि रंजन और पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश को ही मास्टरमाइंड माना है. ईडी सूत्रों के मुताबिक, दोनों ने जमीन के फर्जीवाड़े कराने से लेकर इसकी रजिस्ट्री तक में भूमिका निभाई. इसके बाद दोनों ने इसी के माध्यम से करोड़ों की अवैध कमाई की, ईडी को जमीन डील में छवि रंजन के लाभान्वित होने के पूरे साक्ष्य मिले ,जिसके बाद ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
कैसे आए छवि रंजन ईडी के घेरे में: दरअसल जब छवि रंजन रांची के डीसी थे तब उनके कार्यकाल में बड़े पैमाने पर फर्जी कागजों के आधार पर जमीन की खरीद बिक्री की गई, इनमें सबसे प्रमुख बरियातू स्थित सेना की जमीन थी. बरियातू में सेना की 4.55 एकड़ जमीन को फर्जी कागजात के जरिए कोलकाता के प्रदीप बागची ने जगत बंधु टी एस्टेट को बेच दी थी. इस जमीन की सरकारी दर 20 करोड़ 75 लाख 84200 रुपये थी, लेकिन बिक्री महज सात करोड़ में दिखायी गई. उसमें भी 25 लाख रुपये प्रदीप बागची के खाते में आए थे, बाकी पैसों के चेक के जरिए भुगतान की जानकारी डीड 6888/2021 में दी गई थी. लेकिन ईडी ने जब चेक के जरिए भुगतान की जांच की तो पता चला कि खातों में पैसे गए ही नहीं हैं. चेक के भुगतान की गलत जानकारी डीड में दी गई थी, ताकि खरीद बिक्री सही प्रतीत हो.
इस दौरान छवि रंजन के परिजनों के खातों में बड़े ट्रांजेक्शन और लाभान्वित होने के सबूत ईडी को मिले हैं. जमीन की रजिस्ट्री करने वाले सब रजिस्ट्रार घासीराम पिंगुआ ने भी अपने बयान में बताया था कि डीसी के आदेश पर उन्होंने जमीन की रजिस्ट्री की थी. तत्कालीन कमिश्नर नितिन मदन कुलकर्णी ने भी डीसी की गड़बड़ी पकड़ी थी. वहीं रांची के बाजरा में भी 7.16 एकड़ जमीन की घेराबंदी से लेकर म्यूटेशन तक में डीसी रहते छवि रंजन की भूमिका काफी संदेहास्पद रही. जमीन के 83 साल का दखल खारिज एक ही दिन में डीसी रहते छवि रंजन ने कराई. इस जमीन की रजिस्ट्री भी सरकारी दर 29.88 करोड़ से कम में महज 15.10 करोड़ में की गई थी.
वहीं, तीसरा मामला रांची के सदर चेशायर होम में एक एकड़ जमीन की रजिस्ट्री भी छवि रंजन के डीसी रहते हुई. चेशायर होम रोड में एक एकड़ जमीन की डील में प्रेम प्रकाश को डेढ़ करोड़ रुपये मिले थे. फर्जी दस्तावेज के सहारे राजेश राय ने जमीन का पावर इम्तियाज अहमद और भरत प्रसाद को दिया. इसके बाद दोनों ने यह जमीन 1.78 करोड़ में पुनीत भार्गव को बेची. पुनीत भार्गव ने बाद में यही जमीन विष्णु अग्रवाल को 1.80 लाख रुपये में बेची. जांच में यह बात सामने आयी है कि प्रेम प्रकाश व छवि रंजन के सहयोग से ही जमीन की पूरी डील की गई थी.