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तमिलनाडु : ई-शौचालय बन रहा संक्रमण फैलाने का केंद्र - खुले में शौच

स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त भारत का सपना देखा देखा गया था. लेकिन लोगों ने शिकायत की है कि चेन्नई महानगर निगम के भीतर 15 क्षेत्रों में स्थापित मुफ्त इलेक्ट्रॉनिक शौचालय (ई-शौचालय) खराब रखरखाव के कारण संचरण का केंद्र बन गए हैं.

ई-शौचालय
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Published : Dec 16, 2020, 4:24 PM IST

चेन्नई : चेन्नई महानगर निगम की ओर से 15 जिलों में दो हजार से अधिक पेड-टॉयलेट और फ्री-टॉयलेट का इंतजाम किया गया है. 2016 में पानी के उपयोग को कम करने के लिए चेन्नई के निगम में ई-शौचालय शुरू किए गए थे.

सड़कों के किनारे 230 से अधिक स्थानों पर पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अलग-अलग ई-शौचालय स्थापित किए गए हैं. इन शौचालयों को अनुबंधित आधार पर आधुनिक सुविधाओं जैसे कि बिजली का पंखा, मांग पर पानी, आवाज मार्गदर्शन और स्वच्छ स्थान के साथ बनाए रखा गया था.

इनमें से कई स्थानों पर स्थापित ई-शौचालय वर्तमान में पानी की कमी, बिजली और सीवर कनेक्शन के अभाव में अनुपयोगी हो गए हैं. ये ई-शौचालय शुरुआती दिनों में बहुत लोकप्रिय थे, उचित रखरखाव के बिना कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के बाद खराब हो गए.

विशेष रूप से कोडम्बक्कम के गिल नगर क्षेत्र में ई-शौचालय कई दिनों तक रखरखाव के बिना था. बाद में इसे एक डंपिंग ग्राउंड बन दिया गया. पार्क में ई-टॉयलेट की निकटता के कारण पार्क में आने वाले लोग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होने लगे हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि कई बार निगम के अधिकारियों से शिकायत करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई.

पढ़ें- केरल नगर निकाय चुनाव की काउंटिंग जारी, शुरुआती रुझानों में वाम दल आगे

इन शौचालय से कोविड-19 के संक्रमण का भी खतरा बन रहा है. विशेष रूप से स्लम क्षेत्रों में जहां निवासी सार्वजनिक शौचालय पर निर्भर हैं. शौचालय साफ नहीं होने के कारण, शहर के खुले में शौच मुक्त होने के निगम के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. वहां के स्थानीय लोग जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है, वे खुले में शौच करने के लिए मजबूर है.

एक इलेक्ट्रॉनिक टॉयलेट या ई-टॉयलेट एक प्रकार का सार्वजनिक टॉयलेट है, जिसका उपयोग खुले में शौच की प्रथा को कम करने करके स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा देना था.

चेन्नई : चेन्नई महानगर निगम की ओर से 15 जिलों में दो हजार से अधिक पेड-टॉयलेट और फ्री-टॉयलेट का इंतजाम किया गया है. 2016 में पानी के उपयोग को कम करने के लिए चेन्नई के निगम में ई-शौचालय शुरू किए गए थे.

सड़कों के किनारे 230 से अधिक स्थानों पर पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अलग-अलग ई-शौचालय स्थापित किए गए हैं. इन शौचालयों को अनुबंधित आधार पर आधुनिक सुविधाओं जैसे कि बिजली का पंखा, मांग पर पानी, आवाज मार्गदर्शन और स्वच्छ स्थान के साथ बनाए रखा गया था.

इनमें से कई स्थानों पर स्थापित ई-शौचालय वर्तमान में पानी की कमी, बिजली और सीवर कनेक्शन के अभाव में अनुपयोगी हो गए हैं. ये ई-शौचालय शुरुआती दिनों में बहुत लोकप्रिय थे, उचित रखरखाव के बिना कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के बाद खराब हो गए.

विशेष रूप से कोडम्बक्कम के गिल नगर क्षेत्र में ई-शौचालय कई दिनों तक रखरखाव के बिना था. बाद में इसे एक डंपिंग ग्राउंड बन दिया गया. पार्क में ई-टॉयलेट की निकटता के कारण पार्क में आने वाले लोग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होने लगे हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि कई बार निगम के अधिकारियों से शिकायत करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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इन शौचालय से कोविड-19 के संक्रमण का भी खतरा बन रहा है. विशेष रूप से स्लम क्षेत्रों में जहां निवासी सार्वजनिक शौचालय पर निर्भर हैं. शौचालय साफ नहीं होने के कारण, शहर के खुले में शौच मुक्त होने के निगम के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. वहां के स्थानीय लोग जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है, वे खुले में शौच करने के लिए मजबूर है.

एक इलेक्ट्रॉनिक टॉयलेट या ई-टॉयलेट एक प्रकार का सार्वजनिक टॉयलेट है, जिसका उपयोग खुले में शौच की प्रथा को कम करने करके स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा देना था.

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