चेन्नई (तमिलनाडु): मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) की मदुरै पीठ ने सोमवार को पुलिस को निर्देश दिया कि वह सांस्कृतिक समूहों को थूथुकुडी जिले के कुलसेकरपट्टिनम में दशहरा उत्सव के दौरान इस शर्त पर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दे कि कोई अश्लीलता नहीं फैलाई जायेगी. न्यायमूर्ति आर महादेवन और न्यायमूर्ति जे सत्य नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि अगर पुलिस कार्यक्रम के आयोजकों या कलाकारों को अश्लीलता में लिप्त पाती है तो वह उनपर कार्रवाई कर सकती है.
पढ़ें: मद्रास हाई कोर्ट ने छात्र को नो कास्ट, नो रिलीजन प्रमाणपत्र जारी करने का दिया आदेश
कोर्ट ने कहा कि कार्यक्रम की अनुमति है, अश्लीलता फैलाने की नहीं. आयोजकों ने कोर्ट को बताया कि सभी कार्यक्रमों की संबंधित कार्यक्रम आयोजकों द्वारा वीडियोग्राफी की जाती है. अदालत का निर्देश श्री अंबिकाई दशहरा कुझू नाम के एक समूह के सचिव वी कन्नन द्वारा जनहित याचिका (पीआईएल) पर आया, जो दशहरा कार्यक्रम आयोजित करना चाहता था. अपनी याचिका में, कन्नन ने अदालत के हालिया आदेश का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि स्थानीय अधिकारी सिने और टीवी कलाकारों को त्योहार के दौरान प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि उत्सव के दौरान कोई भी अश्लील कार्यक्रम नहीं होना चाहिए.
पढ़ें: मद्रास हाई कोर्ट ने दी ऑनलाइन शादी की मंजूरी, दुल्हन भारत में तो दूल्हा है सात समंदर पार
अदालत ने स्पष्ट किया कि उसका हालिया आदेश केवल अश्लीलता फैलाने वाले कार्यक्रमों और अश्लील नृत्य प्रदर्शन से संबंधित है. पीठ ने याचिकाकर्ता को कार्यक्रमों की वीडियो रिकॉर्डिंग की लागत को कवर करने के लिए मुथरम्मन मंदिर प्रशासन के पक्ष में 10,000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा करने का भी निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इसका एक प्रमाण पुलिस के समक्ष एक वचन पत्र के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए कि प्रतिभागी अश्लीलता प्रदर्शित नहीं करेंगे.