गांधीनगर : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) में राष्ट्रीय स्वापक औषधि एवं मन-प्रभावी पदार्थ अनुसंधान एवं विश्लेषण के लिए उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन किया. इस अवसर पर शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सुविधाओं में शुमार यह नयी सुविधा देश को 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी.
शाह ने कहा, 'नशीले पदार्थों का हमारे युवाओं, समाज, हमारी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं.' उन्होंने कहा कि भारत की धरती पर नशीले पदार्थों की आमद को रोकने या उन्हें देश से खत्म करने के लिए पिछले दो वर्षों में कई कदम उठाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि भारत को नार्को-आतंक के रूप में एक और खतरे का सामना करना पड़ रहा है. इससे कमाए गए पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद में किया जाता है और इस पर भी रोक लगाने की जरूरत है. हमारी आने वाली पीढ़ी को नष्ट किया जा रहा है.'
गांधीनगर (Gandhinagar) के सांसद शाह ने कहा कि देश ने नशीले पदार्थों से निपटने के लिए विभिन्न स्तरों पर कई बदलाव किये गए हैं. उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि पिछले डेढ़ साल नशीले पदार्थों की जब्ती के मामले में भारत के लिए सुनहरा समय रहा है. लेकिन जब तक उनका वैज्ञानिक रूप से विश्लेषण नहीं किया जाता है और एक अलग रणनीति का उपयोग करना बंद नहीं किया जाता है, तब तक इस तरह के भौतिक अभियान हमें सफलता नहीं दिला पाएंगे.
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शाह ने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान 21वीं सदी की चुनौतियों के अनुरूप देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को पुनर्गठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने कहा कि हमें चुनौतियों का सामना कर सफलतापूर्वक दुनिया में अपना स्थान स्थापित करना होगा. इसके लिए हमें अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली को पुनर्गठित करना होगा और मेरा मानना है कि फोरेंसिक विज्ञान इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
(पीटीआई-भाषा)