जोधपुर : रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर ने चैफ एडवांस तकनीक विकसित की है जो नौसेना के जहाजों के साथ-साथ भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों को भी मिसाइल से बचाएगी.
इस तकनीक के सहयोग से भारतीय जहाज रडार को भी चकमा देने में सफल होंगे. नौसेना के लिए बनाई गई तकनीक का अरब सागर में गत दिनों सफल परीक्षण हो चुका है, जबकि वायु सेना के लिए जो तकनीक तैयार की गई है उस पर प्रशिक्षण के अंतिम चरण जारी हैं.
जोधपुर रक्षा प्रयोगशाला के निदेशक रविंद्र कुमार का कहना है कि चैफ तकनीक अब तक जो देश काम में ले रहे थे, उस पर उनका ही अधिकार था हमें भी उन पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब हमने अपने स्तर पर उनसे भी एडवांस तकनीक विकसित कर ली है, जो वर्तमान में किसी भी देश के पास नहीं है.
खास बात यह है कि इस तकनीक में पूरी तरह से भारतीय सामग्री का उपयोग किया गया है. इनमें कई महत्वपूर्ण चीजें तो जोधपुर में ही विकसित की गई हैं.
'ईटीवी भारत' से खास बातचीत करते हुए निदेशक रवींद्र कुमार ने बताया कि यह तकनीक दुश्मन के हमलों से तो बचाती है, साथ ही जब सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई करनी पड़े तो भी यह बहुत कारगर साबित होगी.
बताया कैसे काम करती है तकनीक
उन्होंने बताया कि ऑफेंसिव मोड में जवानों के लिए इस तकनीक की सहायता से चैफ कॉरिडोर बना कर जंग की सूरत बदली जा सकेगी. इस तकनीक से बहुत ही बारीक फाइबर से आसमान में क्लाउड बनते हैं जो कुछ किलोमीटर ऊपर आसमान में बनते हैं, जिससे मिसाइल चकमा खा जाती है. यह क्लाउड कई घण्टों तक आसमान में बने रहते हैं और बहुत धीरे धीरे नीचे आते हैं. निदेशक रवींद्र कुमार के मुताबिक हम लगातार इसके एडवांस स्टेज बनाते जा रहे हैं, जो भविष्य की आवश्यकता को भी पूरी करेगी.
तीन तरह की तकनीक
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने दुश्मन के मिसाइल हमले के खिलाफ नौसेना के जहाजों की सुरक्षा के लिए एक उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी विकसित की है.
डीआरडीओ प्रयोगशाला, डिफेंस लेबोरेटरी जोधपुर (DLJ) ने भारतीय नौसेना की गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के तीन प्रकारों को विकसित किया है, जैसे शॉर्ट रेंज चैफ रॉकेट (SRCR), मीडियम रेंज चैफ रॉकेट (MRCR) और लॉन्ग रेंज चैफ रॉकेट (LRCR).
पढ़ें- 'कार्यस्थलों पर भी हो सकती है टीकाकरण की शुरुआत'
डीएलजे की ओर से एडवांस्ड चैफ टेक्नोलॉजी का सफल विकास आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम है. हाल ही में भारतीय नौसेना ने भारतीय नौसेना के जहाज पर अरब सागर में तीनों प्रकारों के परीक्षण किए और प्रदर्शन संतोषजनक पाया.