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द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना आदिवासी समाज ही नहीं, बल्कि देश के लिए गर्व की बात : अर्जुन मुंडा

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Published : Jul 26, 2022, 7:56 PM IST

द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से देश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में उत्सव का माहौल है. वहीं, भाजपा के आरएसएस के साथ मिलकर उत्सव मनाने का कहीं न कहीं 2024 लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनावों में आदिवासी समाज की अनुकूल भावनाओं को वोट में तब्दील करने की कोशिश है. इस संबंध में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा से ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने बात की. पेश है मंत्री अर्जुन मुंडा से खास बातचीत के कुछ अंश...

अर्जुन मुंडा
अर्जुन मुंडा

नई दिल्ली : देश के 1.35 लाख आदिवासी बाहुल्य गांवों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ मिलकर उत्सव मनाने का सिलसिला अभी भी जारी है. ये उत्सव द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने की खुशी का है. जाहिर है कि 2024 के लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा इस समाज की अनुकूल भावनाओं को वोटों में बदलना चाहती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, आदिवासी समुदाय की आबादी 10.43 करोड़ है. पूर्वोत्तर के आधा दर्जन राज्यों के साथ ही पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड आदि राज्यों में यह आबादी राजनीति को पूरी तरह प्रभावित करती है. लगातार संघ आदिवासी समाज के धर्मांतरण को रोकने के लिए भी सक्रिय है. वह आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और इस बड़े समुदाय को हिंदू समाज की मुख्यधारा से जोड़कर धर्मांतरण रोकने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. यही वजह है कि देश के 1.35 लाख आदिवासी बाहुल्य गांवों में द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के उत्सव मनाने का सिलसिला अभी भी जारी है. यही नहीं, भारत सरकार का आदिवासी और जनजातीय मंत्रालय की सहायता से देशभर के आदिवासी समुदाय के लोग राजधानी पहुंचकर राष्ट्रपति से भी मिल रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा से खास बातचीत की.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की खास बातचीत

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज जल, जंगल और जमीन से जुड़ा हुआ है. संघर्ष करके ही यह समाज आज आगे बढ़ा है. ऐसे में इस समाज की एक महिला का देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होना, न केवल आदिवासी समुदाय, बल्कि देश के लिए भी गौरव की बात है. इसलिए, दूसरी पार्टी के लोगों ने भी, जो इस समाज को आगे बढ़ाना चाहते थे, उन्होंने भी दलगत राजनीति से ऊपर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाला.

झारखंड की जेएमएम की सरकार के समर्थन पर मंत्री मुंडा ने कहा कि आदिवासी समुदाय का विकास चाहने वाली पार्टियों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया. जबकि एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू का नाम घोषित होने के बाद कांग्रेस को उनके मुकाबले का उम्मीदवार नहीं मिल रहा था. काफी विचार-विमर्श के बाद विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया. इससे तो बेहतर था कि द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देकर समाज को वे एक अच्छा संदेश देते.

द्रौपदी मुर्मू के जरिये आदिवासी समाज के वोटबैंक पर भाजपा का निशाना लगाने की बात पर मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि मोदी सरकार देशभर में सभी वर्गों का दिल जीतकर सफलता की ओर अग्रसर है. लेकिन विपक्ष की सोच संकुचित है. हमेशा उन्होंने वोट की राजनीति की और कभी भारतीय समाज को संगठित करने की सोची नहीं. विपक्ष की तरफ से लगाए जा रहे ईडी के दुरुपयोग पर मंत्री ने कहा कि वास्तविकता को झुठलाया नहीं जा सकता है. यदि आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलते तो विपक्ष की बातों में दम होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि आरोपियों से ईडी ने करोड़ों की संपत्ति कुर्क की है.

नई दिल्ली : देश के 1.35 लाख आदिवासी बाहुल्य गांवों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ मिलकर उत्सव मनाने का सिलसिला अभी भी जारी है. ये उत्सव द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने की खुशी का है. जाहिर है कि 2024 के लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा इस समाज की अनुकूल भावनाओं को वोटों में बदलना चाहती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, आदिवासी समुदाय की आबादी 10.43 करोड़ है. पूर्वोत्तर के आधा दर्जन राज्यों के साथ ही पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड आदि राज्यों में यह आबादी राजनीति को पूरी तरह प्रभावित करती है. लगातार संघ आदिवासी समाज के धर्मांतरण को रोकने के लिए भी सक्रिय है. वह आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और इस बड़े समुदाय को हिंदू समाज की मुख्यधारा से जोड़कर धर्मांतरण रोकने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. यही वजह है कि देश के 1.35 लाख आदिवासी बाहुल्य गांवों में द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के उत्सव मनाने का सिलसिला अभी भी जारी है. यही नहीं, भारत सरकार का आदिवासी और जनजातीय मंत्रालय की सहायता से देशभर के आदिवासी समुदाय के लोग राजधानी पहुंचकर राष्ट्रपति से भी मिल रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा से खास बातचीत की.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की खास बातचीत

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज जल, जंगल और जमीन से जुड़ा हुआ है. संघर्ष करके ही यह समाज आज आगे बढ़ा है. ऐसे में इस समाज की एक महिला का देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होना, न केवल आदिवासी समुदाय, बल्कि देश के लिए भी गौरव की बात है. इसलिए, दूसरी पार्टी के लोगों ने भी, जो इस समाज को आगे बढ़ाना चाहते थे, उन्होंने भी दलगत राजनीति से ऊपर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाला.

झारखंड की जेएमएम की सरकार के समर्थन पर मंत्री मुंडा ने कहा कि आदिवासी समुदाय का विकास चाहने वाली पार्टियों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया. जबकि एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू का नाम घोषित होने के बाद कांग्रेस को उनके मुकाबले का उम्मीदवार नहीं मिल रहा था. काफी विचार-विमर्श के बाद विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया. इससे तो बेहतर था कि द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देकर समाज को वे एक अच्छा संदेश देते.

द्रौपदी मुर्मू के जरिये आदिवासी समाज के वोटबैंक पर भाजपा का निशाना लगाने की बात पर मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि मोदी सरकार देशभर में सभी वर्गों का दिल जीतकर सफलता की ओर अग्रसर है. लेकिन विपक्ष की सोच संकुचित है. हमेशा उन्होंने वोट की राजनीति की और कभी भारतीय समाज को संगठित करने की सोची नहीं. विपक्ष की तरफ से लगाए जा रहे ईडी के दुरुपयोग पर मंत्री ने कहा कि वास्तविकता को झुठलाया नहीं जा सकता है. यदि आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलते तो विपक्ष की बातों में दम होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि आरोपियों से ईडी ने करोड़ों की संपत्ति कुर्क की है.

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