नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को एक संसदीय पैनल को सूचित किया है कि दिल्ली और NCR में वायु प्रदूषण से कोविड-19 संक्रमण का तेजी से प्रसार हो सकता है. मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण से लोगों को खांसी और छींक आ सकती है. जो अंततः कोविड-19 संक्रमण को और फैलाने का कारण बनेगी.
तेजी से बढ़ रहा कोविड-19 का प्रकोप
संसदीय पैनल के समक्ष कोविड-19 रोगों की वर्तमान स्थिति की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने कहा कि प्रदूषण और ठंड के मौसम के कारण, कोविड-19 वायरस का प्रसार तेजी से बढ़ सकता है और अधिक समय तक इसका प्रभाव भी बना रहेगा.
वायु प्रदूषण से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने के मुद्दे पर बात करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और महासचिव डॉ. आरवी अशोकन ने ईटीवी भारत को बताया कि स्थिति वास्तव में चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि हम बहुत चिंतित हैं. कोविड-19 की पहली लहर कई राज्यों में खत्म हो गई है और दिल्ली में तीसरी लहर शुरू हो रही है. इससे ठंडे वातावरण के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ गया है. डॉ. अशोकन ने कहा कि जो कुछ भी मानव निर्मित है उसे रोका जा सकता है और जो भी कोविड के जैविक कारकों के कारण है उसे हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने की आवश्यकता है.
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सरकार को करने होंगे उपाय
उन्होंने सुझाव दिया कि विशेष रूप से त्योहार के मौसम के दौरान वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन उपाय किए जाने की आवश्यकता है. दिल्ली के भीतरी इलाकों में पटाखे जलाने, धूम्रपान करने, पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदमों के अलावा, सरकार को और उपाय करने होंगे.
खोजना होगा स्थायी समाधान
दरअसल, देश के लगभग सभी भागों में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे है. जो चिंता के सबब बने हुए हैं. वायु प्रदूषण और कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भाजपा सांसद जगदंबिका पॉल की अगुवाई में शहरी मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने संबंधित अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी ली.
जिन हितधारकों से जानकारी ली गई उनमें आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली राज्य सरकार के प्रतिनिधि शामिल रहे. संसदीय समिति के समक्ष हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों पर वायु प्रदूषण का स्थायी समाधान खोजने पर विशेष जोर दिया.
लगातार घट रही जीवन दर
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण भारत में हर साल जीवन दर 1.7 फीसदी से घट रही है. वहीं, अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली में सांस की बीमारियों और सांस लेने की समस्याओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि सांस की बीमारियों और सांस लेने की समस्याओं के प्रसार का 1.7 गुना अधिक खतरा है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी ने कहा दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सालाना 10,000 से 30,000 मौतें होती हैं. इसके साथ-साथ पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने 2016 और 2019 के बीच चार वर्षों के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर प्रकाश डाला.
बेहद गंभीर स्थिति है
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि देश की राष्ट्रीय राजधानी में वायु की गुणवत्ता बहुत खराब थी. उन्होंने कहा कि एक निश्चित समय के दौरान हवा की गुणवत्ता 78 दिनों के लिए बेहद गंभीर थी.